ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश बिजनौरसावधान! गुलदार के हमले सावधान! अभी और हो सकते है गुलदार के हमले

सावधान! गुलदार के हमले सावधान! अभी और हो सकते है गुलदार के हमले

नजीबाबाद के गांव भोगपुर में बच्चे को मारने वाले गुलदार को ग्रामीणों ने भले ही मार गिराया हो, लेकिन इससे गुलदार के हमले कम होने के आसार नहीं...

सावधान! गुलदार के हमले
सावधान! अभी और हो सकते है गुलदार के हमले
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरMon, 06 Jan 2020 10:10 PM
ऐप पर पढ़ें

नजीबाबाद के गांव भोगपुर में बच्चे को मारने वाले गुलदार को ग्रामीणों ने भले ही मार गिराया हो, लेकिन इससे गुलदार के हमले कम होने के आसार नहीं है।

कारण नागल सोती और मोहडिया के जंगलों में भी गुलदार डटे हैं।

इसके अलावा अन्य विभिन्न क्षेत्रों में गुलदार लोगों पर हमले कर रहे हैं। इसलिए गुलदार के हमले अभी और भी हो सकते हैं। शर्मीले स्वभाव और अव्वल दर्जे का शिकारी गुलदार सामान्य तौर पर मनुष्यों का शिकार नहीं करता और ये भी जरूरी नहीं की यदि गुलदार एक बार मनुष्य का शिकार कर ले तो वह अगला शिकार मनुष्य का ही करेगा। तेंदुए माहौल के हिसाब समायोजन करने वाला कुशल शिकारी होते हैं, अगर जंगल उनसे छीन लिया जाए तो वह खेतों में रहने लगते हैं। अगर जंगली जानवर जानवर शिकार खत्म हो जाए तो वह पालतू जानवरों का शिकार करने लगते हैं। फिर ऐसा छिपकर रहने वाला शिकारी बहुतायत में मौजूद जानवरों आवारा कुत्तों की अनदेखी कर ढीठ किस्म का आदमखोर कैसे बन गया। अध्ययन बताते हैं कि शिकारी जानवरों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह में बसाने (पुनर्वास) आने में इंसानों और उनके बीच की होने वाली झड़पें बंद हो जाती हैं, लेकिन ये गलत साबित हो रही है। शोधकर्ता बताते हैं की तेंदुए की अदला बदली व उनके पुनर्वास करने से वह आदमखोर हो जाते हैं और कुछ समय बाद पुनर्वास किए गए। तेंदुए उसी स्थान पर लौट आते हैं। और मनुष्यों पर हमला करना शुरू करते हैं विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल में पहले से रह रहे तेंदुए से नई तेंदुए को मुकाबला करना पड़ता है। वन एवं वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. शाह मौहम्मद बिलाल का कहना हैमादा तेंदुआ को अपने छोटे शाबको को नर तेंदुए बचाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। नतीजतन परेशान और तनावग्रस्त तेदुओ की आबादी इंसानों पर हमला करने लगती है। आमतौर पर यह भी माना जाता है कि आदमखोर हो चुके तेंदुए को फौरन इलाके से हटा देना चाहिए। यह स्थाई समाधान नहीं होता। अक्सर वह तेंदुआ या बाघ उस स्थान पर पुनः लौट आता हिंसक हो जाता है । कुछ जीव (विशेषज्ञों का मानना है प्राकृतिक आपदाओं, शारीरिक रूप से अशक्त होने, कैनाईन टूट जाने या पैरों में घाव हो जाने के कारण तेंदुआ नरभक्षी हो जाता है वही दूसरी शोधकर्ताओं का मानना है कि शीत ऋतु (दिसंबर से फ़रवरी) तक तेंदुओं का मिलनकाल होता है।वन एवं वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. शाह मौहम्मद बिलाल का कहना है कि गुलदारो का मेटिंग टाइम की क्षेत्र के हिसाब से बदल जाता है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए दिल का लिक उपाय खोजने के लिए पारंपरिक सोच को छोड़ना होगा। आसान नही है आदमखोर घोषित करनावन एवं वन्यजीव विभाग को नरभक्षी घोषित करना आसान काम नही है। क्योंकि गुलदारो मे काफी समानता होती है। कैमरा ट्रैप से उसकी ज्यादा से ज्यादा तस्वीर कैद करके व पगचिन्हो के आधार पर उसकी लंबाई, चौड़ाई, ( अनुमानित आयु व भार) वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट टीम के द्वारा मिलान करने के बाद ही नरभक्षी घोषित किया जायेंगा। उसके बाद उसे जिंदा पकड़ने का प्रयास किया जायेगा जिंदा न पकड़ने जाने पर ट्रेक्यूलाइज किया जायेंगा।नरभक्षी होने के कारणप्रजनन काल मे हार्मोनल बदलाव होना।गुलदारों की आबादी मे बढ़ोत्तरी होना।शिकार की कमी व जंगलों का दोहन।गुलदारों का रिलोकेट होना।गुलदारों के दाँतो का टूटना या घिसना।जंगलों में आग लगाना या फसलों के अवशेष जलाना।गाँव मे आवारा पशुओं की संख्या मे इजाफा।गाँव के आसपास झाड़ियो की अधिकता।मादा गुलदार द्वारा शावकों को इंसानो का मांस खिलाना।तेदुए से बचाव के उपाय खेतों मे इंसानी मुखौटा चेहरे की पीछे की ओर लगाकर जायें।गुलदार प्रभावित क्षेत्र मे अकेले न जाये व साथ मे डंडा रखे।तेंदुए को देखकर मुड़ कर नही भागना चाहिए।तेंदुए के सामने आने पर जोर से चिल्लाये।गुलदार के होने पर जोर जोर से शोर मचायें व ताली बजायें।गुलदार को देखकर हाथ फैलाकर धीरे धीरे पीछे की ओर चलें।गुलदार से नजरें न मिलायें, गुलदार इसे चेतावनी समझता है।गाँव के आसपास झाड़ी न होने दे।मवेशियों को लोहे के बंद बाड़े मे रखें।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें