यूपी से निकलेगा अगला डी गुकेश? इस जिले के स्कूलों में चल रही ‘शतरंज फैक्ट्री’
- बिजनौर जिले में 2000 से अधिक बेसिक स्कूलों में शतरंज खेली जा रही है। पंचायत स्तर पर शतरंज के एक्सपर्ट तैनात किए गए हैं।

एक समय था जब सरकारी स्कूलों के बच्चे शतरंज जैसे खेल से दूर थे। मगर अब वह दिन दूर नहीं जब वेस्ट यूपी के जिलों से भी विश्वनाथन आनंद और डी गुकेश जैसे शतरंज के खिलाड़ी निकलेंगे। इसके लिए बिजनौर के सरकारी स्कूलों में शतरंज को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि यहां करीब 2000 से अधिक सरकारी स्कूलों में शतरंज खेलना सिखाया जा रहा है। बाकायदा इस काम के लिए टीचर्स को भी ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि बच्चों के बीच शतरंज की आदत विकसित हो सके। बिजनौर के डीएम अंकित कुमार अग्रवाल और सीडीओ पूर्ण बोरा की पहल पर सरकारी स्कूलों में बड़े स्तर पर शतरंज खेल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सरकारी स्कूलों के साथ-साथ सीबीएसई, आईसीएसई, मदरसा और कॉलेज में भी शतरंज खेलने को बढ़ावा दिया जा रहा है। शतरंज से बच्चे जहां जीतकर जिले का नाम रोशन करेंगे तो वहीं उनमें बौद्धिक क्षमता का विकास होगा। उचित निर्णय लेने की मानसिक क्षमता हासिल होगी। शतरंज से बच्चों की दिमागी कसरत भी होगी।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि अधिकांश सरकारी स्कूलों में चेस बोर्ड भेजी गई है। बेसिक स्कूलों के बच्चे पढ़ाई के साथ शतरंज में दिलचस्पी ले रहे हैं। जिले में 2 हजार से अधिक बेसिक स्कूलों में शतरंज खेली जा रही है। पिछले कुछ समय में जिले में स्कूल, पंचायत, ब्लॉक, जिला, राज्य एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता हो चुकी है। इसमें जिले के खिलाड़ियों ने दमखम दिखाया है।
हर पंचायत में शतरंज सिखाने वाले अध्यापक लगाए गए
जिला शतरंज संघ के सचिव दुष्यंत कुमार ने बताया कि डीएम और सीडीओ की पहल पर जिले में पंचायत, ब्लॉक, जिला, राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर की शतरंज प्रतियोगिता हो चुकी है। अध्यापकों को शतरंज सिखाने के लिए ब्लॉक स्तर पर कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें शतरंज सिखाने वाले अध्यापकों को लगाया गया है।
सभी माध्यमिक स्कूलों में शुरू हुई शतरंज
जिला विद्यालय निरीक्षक जयकरन यादव ने बताया कि जिले के सभी माध्यमिक स्कूलों में शतरंज खेली जा रही है। पहले की अपेक्षा बड़े स्तर पर माध्यमिक स्कूलों में शतरंज शुरू हुई है। अब वह दिन दूर नहीं जब महात्मा विदुर की धरती से शतरंज के चैंपियन निकलेंगे। करीब साढे़ तीन हजार शतरंज (बोर्ड और मोहरे) स्कूलों में भेजी गई है।
शतरंज से बौद्धिक क्षमता का होगा विकास
बिजनौर डीएम अंकित कुमार अग्रवाल ने बताया कि शतरंज से बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। इससे बच्चों का दिमाग खुलेगा और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी। यह एक दिमागी कसरत भी है। शतरंज को 5 साल के बच्चे से लेकर 90 साल के बुजुर्ग भी खेल सकते हैं। बच्चों की पढ़ाई जैसे मैथ के सवाल हल करने आदि में इसका फायदा होता है। शतरंज में अच्छा खिलाड़ी और कोच बनकर करियर भी बना सकते हैं। शतरंज में भारत अच्छा नाम कर रहा है। इसलिए प्रयास किया है कि बिजनौर के बच्चे शतरंज में आगे निकलें और इंडिया के लिए खेलें और चैंपियन बने।