ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशदेशसेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा था सुलभ में

देशसेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा था सुलभ में

अभी चार मई को ही तो सुलभ गया था घर से...। फिर आने का वादा करके...। उनकी शादी की बात भी चल रही थी...। अगले कुछ दिनों में उसकी छेकइया होने वाली थीं लेकिन काल ने ऐसा कहर ढाया कि हम टूट गए। ज्ञानपुर...

देशसेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा था सुलभ में
निज संवाददाता ,ज्ञानपुरMon, 15 May 2017 10:08 PM
ऐप पर पढ़ें

अभी चार मई को ही तो सुलभ गया था घर से...। फिर आने का वादा करके...। उनकी शादी की बात भी चल रही थी...। अगले कुछ दिनों में उसकी छेकइया होने वाली थीं लेकिन काल ने ऐसा कहर ढाया कि हम टूट गए। ज्ञानपुर कोतवाली क्षेत्र के बैराखास निवासी छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स में तैनात कांस्टेबल 23 वर्षीय सुलभ उपाध्याय पुत्र अशोक उपाध्याय के परिजनों का यही कहना रहा। भरी आंखों से परिजनों ने बताया कि सुलभ में देशसेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। वह तिरंगे की आन, बान व शान के लिए लड़े और देश के लिए शहीद हो गये। 

रविवार की देर रात नक्सलियों से मुठभेड़ में सुलभ उपाध्याय के शहीद होने के बाद गांव में सियापा पसर गया। घर वालों के आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे। जवान बेटे को हमेशा के लिए खो चुके अशोक उपाध्याय को तो मानो काठ मार गया हो। उनके आंसू सूख ही नहीं रहे थे।

परिजनों ने बताया कि सुलभ छुट्टी बिताकर चार मई को घर से ड्यूटी पर गये थे। रविवार की शाम भी सुलभ ने अपने पिता अशोक से बात कर परिजनों का हालचाल भी पूछा था। फिलहाल सुलभ की शादी की बात चल रही थी। जवान भाई की मौत से बड़ा भाई नीलेश रह-रहकर अचेत हो जा रहा है। शहीद सुलभ के घर पर सांत्वना देने वालों का तांता लगा हुआ है।

सभी के दुलारे थे सुलभ
सुलभ उपाध्याय चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। छोटा बेटा होने से सुलभ माता मनोरमा देवी और पिता अशोक उपाध्याय के लाडले बेटे थे। बड़े भाई नीलेश व बड़ी बहने निधी तथा बिसा भी सुलभ को जान से ज्यादा चाहते थे। सुलभ घर के ऐसे सदस्य थे, जो पूरे परिवार को हमेशा खुश रखने का प्रयास करते थे। मृदुभाषी और व्यवहार कुशल सुलभ को खोने से हर कोई गमजदा है। नाम के अनुरूप सुलभ हर किसी के सुख-दुख में हाजिर रहते थे। घर के लाडले को हमेशा के लिए खो चुके परिजनों की तो मानों दुनिया ही उजड़ गई। 

sulabh mother

मातृत्व दिवस पर छिना मनोरमा का लाल
शहीद सुलभ उपाध्याय ने मातृत्व दिवस की देर रात में माताओं को अपने फर्ज और देश की खातिर शहादत का संदेश दे दिया। मदर डे पर शहीद सुलभ ने मां मनोरमा से बात भी की थी। मां ने बेटा कब घर आओगे पूछा तो सुलभ ने जवाब दिया मम्मी मैं नक्सली आपरेशन में हूं। इस वक्त हमें सिर्फ अपना फर्ज ही दिख रहा है। नक्सलियों का सफाया कर जल्द ही घर लौटूंगा। मां को शायद यह नहीं पता था कि हंस-हंस कर बात करने वाला उनका दुलारा बेटा सुलभ मातृत्व दिवस पर जिले भर की माताओं को फर्ज की रक्षा के लिए बेटों की शहादत का संदेश दे जाएगा। 

जनप्रतिनिधि के रुख पर फूटा गुस्सा

पुलिस लाइन मैदान में सोमवार की शाम शहीद हुए जवान सुलभ उपाध्याय का शव हेलीकाप्टर से उतरने के पूर्व उस समय स्थिति विकट हो गई, जब सुलभ के परिजन फोटो खिंचाने को लेकर हो रही आपाधापी पर आक्रोशित हो गए। शाम करीब पांच बजे हेलीकाप्टर मैदान में उतरा ही था कि कई अधिकारी और वहां पहुंचे एक जनप्रतिनिधि सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाने लगे। जनप्रतिनिधि का इस तरह फोटो खिंचवाना शहीद परिवार के सदस्यों को नागवार गुजरा। कुछ लोगों ने गुस्से में नारेबाजी भी की फिर लोग भारत-माता की जय का उद्घोष करते हुए हेलीकाप्टर की ओर बढ़ गए। मौके पर मौजूद डीएम विशाख जी व एसपी सचिन्द्र पटेल ने परिजनों को समझाते हुए स्थिति को संभाला। 

नम आंखों से रामपुर गंगा घाट पर अंतिम संस्कार 
शहीद जवान सुलभ का पार्थिव शरीर बैराखास गांव में पहुंचते ही हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। शहीद जवान के शव की एक झलक पाने को लोग बेताब दिखे। बैराखास गांव में पार्थिव शरीर पहुंचते ही सलामी के लिए बिगुल बजा तो वीर जवान को हमेशा के लिए गंवा चुके लोगों का कलेजा जैसे फटने लगा। शव से लिपटकर रो रहे माता-पिता को अधिकारियों ने किसी तरह संभाला। देर शाम गोपीगंज के रामपुर गंगा घाट पर शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। डीएम, एसपी ने पुष्प गुच्छ चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। पुलिसर्किमयों ने परम्परागत तरीके से अंतिम विदाई दी। पिता अशोक उपाध्याय ने मुखाग्नि दी तो सभी की आंखें भर आईं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें