धूप-छांव की आंख मिचौली से बढ़ा उमस का सितम
बेचैन करने वाली गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। धूप-छांव की आंख मिचौली से उमस का सितम बढ़ गया है। मौसम की बेरुखी से वॉयरल और एलर्जिक बीमारियों के मरीज बढ़ गए हैं। पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने...
बेचैन करने वाली गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। धूप-छांव की आंख मिचौली से उमस का सितम बढ़ गया है। मौसम की बेरुखी से वॉयरल और एलर्जिक बीमारियों के मरीज बढ़ गए हैं। पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। तमाम जगहों पर धान के खेतों में दरारें पड़ने लगी है।
सड़कों पर उड़ती धूल देख किसानों को सूखे की चिंता सताने लगी है। पानी के अभाव में धान का पौधा पीला पड़ने लगा है। हाड़तोड़ मेहनत कर धान की रोपाई करने वाले अन्नदाताओं के सामने सिंचाई की विकट समस्या पैदा हो गई है। नहर से सटे किसान तो डीजल इंजन से भराई कर ले रहे हैं लेकिन नलकूपों पर निर्भर रहने वाले किसानों का सुख-चैन हराम हो गया है। अघोषित बिजली कटौती किसानों के लिए कोढ़ में खाज साबित हो रही है। कभी-कभार हो रही रिमझिम बारिश सिर्फ खेतों में नमी बना रही है।
उधर, किसानों की मानें तो दो-चार दिन तल्ख धूप हुई नहीं कि खेतों से पूरी नमी गायब हो जाएगी और धान के पौधे झुलस जाएंगे। नलकूप व नहर से किसान कितने खेतों की सिंचाई कर पाएंगे यह चिंता अन्नदाताओं को हमेशा सता रही है। हर पल बदल रहा मौसम का मिजाज सेहत के लिए काफी हानिकारक साबित हो रहा है। जिले का सरकारी अस्पताल हो या फिर निजी नर्सिंग होम सभी मरीजों से भर गए हैं। महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल में सुबह ओपीड़ी खुलने के पूर्व ही मरीजों की लंबी कतार लग जा रही है।