मां के कदमों में जन्नत है तो पिता उसका दरवाजा: मौलाना मुहीत
शहर के कजियाना मोहल्ले में सोमवार की रात अजमत-ए-औलिया कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। आगाज क़ुरआन की तिलावत के साथ हाफिज अली रजा ने की। जलसे को खिताब करते हुए मौलाना अब्दुल मुहीत ने कहा कि मोहब्बत का नाम...
शहर के कजियाना मोहल्ले में सोमवार की रात अजमत-ए-औलिया कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। आगाज क़ुरआन की तिलावत के साथ हाफिज अली रजा ने की। जलसे को खिताब करते हुए मौलाना अब्दुल मुहीत ने कहा कि मोहब्बत का नाम ही जिंदगी है। जिस दिल में अल्लाह और अल्लाह के रसूल तथा आले रसूल की मोहब्बत न हो, वह दिल मुर्दा है। कहा कि आज हमारे दिल को सकून नहीं मिल रहा है। वजह हम अल्लाह के जिक्र और नबी की उल्फत से गाफिल हो गए है। मौलाना ने कहा कि अगर सकून, इज्जत व बुलन्दी चाहते हो तो अल्लाह का जिक्र करो। उन्होंने बड़ों का एहतेराम व छोटो से मोहब्बत करने की बात कही।
मौलाना ने कहा कि माता-पिता की इज्जत करने वालों पर अल्लाह राजी होता है। उनकी दुआएं वह रद नहीं करता। कहा कि मां के कदमों के नीचे जन्नत है तो पिता उसका दरवाजा। इस दौरान मौलाना अब्दुस्समद जियाई, मौलाना महफूज आलम ने भी तकरीर की। वाराणसी से आए शायर सकलैन वजाहत ने ‘मेरे नबी सा नबी और कोई क्या होगा, जो जाके सज्दे में रोया है उम्मती के लिए' पेश किया। आकिब एकबाल ने अरब है गौसे आजम का अजम है गौसे आजम का- हमारे पास जो कुछ भी है करम है गौसे आजम का नात सुनाया। जावेद आसिम अशअरी के नात सहारा बन के आलम में शफीउल मुजनबी आए- न हो मायूस कोई रहमतल्लिल आलमीन बन कर आए पर वाहवाही लूटी।
इस मौके पर हाजी हाफिज परवेज अच्छे, मो. आजम, शफीक राईन, हाफिज शहजाद, हाफिज इसरार, सुफियान राईन, गुफरान राईन, गुलफाम राईन, अरशद, सगीर, दिलावर, जावेद कुरैशी आदि रहे। कांफ्रेंस की सदारत मौलाना फैसल हुसैन अशर्फी ने की।