ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशमौसम खराब होते ही किसानों में बढ़ी बेचैनी

मौसम खराब होते ही किसानों में बढ़ी बेचैनी

मौसम की मार से रबी फसलों की बर्बादी का मंजर खेत के साथ ही किसानों की आंखों में नजर आ रहा है। पिछले दिनों तेज आंधी संग हुई बारिश से बर्बाद हुईं फसलों को देख किसानों की आंखें नम हो जा रही है। खेत में...

मौसम खराब होते ही किसानों में बढ़ी बेचैनी
हिन्दुस्तान टीम,भदोहीFri, 01 May 2020 10:57 PM
ऐप पर पढ़ें

मौसम की मार से रबी फसलों की बर्बादी का मंजर खेत के साथ ही किसानों की आंखों में नजर आ रहा है। पिछले दिनों तेज आंधी संग हुई बारिश से बर्बाद हुईं फसलों को देख किसानों की आंखें नम हो जा रही है। खेत में बांधकर रखे गए गेहूं बोझ एक सप्ताह में तीन बार भीग चुके हैं। तड़के हल्की बरसात से कृषकों की बेचैनी एक बार फिर बढ़ गई है। हालांकि दिन में मौसम साफ हुआ तो अन्नदाताओं ने राहत की सांस ली।

गेहूं की मड़ाई में सबसे अधिक चौकाने वाली बात इस रुप में सामने आ रही है कि कई स्थानों पर उम्मीद से बहुत कम गेहूं उत्पादन देखन को मिल रहा है। मौसम की मार से इस वर्ष गेहूं की फसल पूरी तरह प्रभावित हो गई है। सिवान में मड़ाई करने वाले किसान गेहूं का पतला दाना देख मायूस हो जा रहे हैं। किसानों की हुई क्षति का अंदाजा उनका चेहरा देख आसानी से लगाया जा सकता है। मौसम की मार झेलने के बाद पिछले कुछ दिनों से किसान गेहूं की मड़ाई में व्यस्त हैं। मड़ाई के दौरान अधिकतर स्थानों पर गेहूं के दाने पतले ही नजर आ रहे हैं। किसानों की माने तो तेज आंधी व बरसात से खेत में गेहूं की फसल गिरने से दाने पतले हो गए हैं। तेज आंधी से गेहूं फसल खेतों में लेट गई थी जिससे उसका विकास पूरी तरह से ठहर गया। इसके चलते उत्पादन करीब 30 फीसदी से अधिक ही प्रभावित हुई है। एक खास बात यह भी सामने आयी है कि उत्पादित गेहूं में लाइट नहीं है। इसके साथ ही काट कर खेत में छोड़े गए गेहूं की स्थिति तो सबसे अधिक दयनीय है। गेहूं के अलावा सरसों व अरहर की भी पैदावार काफी कम हुई है। किसानों की माने तो मौसम का अब भी कोई भरोसा नहीं। लिहाजा किसान दिनों-रात कठिन परिश्रम कर गेहूं की कटायी व मड़ाई काम में युद्ध स्तर से लगे हैं। इन दिनों मौसम ने करवट फेरा तो किसान को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

नहीं रखें गेहूं का बीज

ज्ञानपुर। कृषि जानकारों के मुताबिक किसानों को आगाह किया गया है कि वह उत्पादित गेहूं को अगले वर्ष के लिए बीज के रुप में कदापि नहीं रखें। गेहूं पर मौसम की मार पड़ी है। दाने पूरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में यह दाने अगले वर्ष गेहूं के बीज के रुप में उपयोग में नहीं लाए जा सकते हैं। इसलिए किसान गेहूं को बीज के तौर पर न रखें। प्रभावित गेहूं को बीज के रुप में रख दिया गया और अगले वर्ष बो दिया गया तो वह जरुरत के हिसाब से नहीं जमेंगे जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है।

मड़ाई के लिए नहीं मिल रहे ट्रैक्टर थ्रेसर

ज्ञानपुर। मौसम का मिजाज किसी समय बदल सकता है यह चिंता किसानों को सताए जा रही है। ऐसे में किसान किराए के ट्रैक्टर थ्रेसर से मड़ाई करने में जुट गए हैं। आलम यह है कि अब भी तमाम किसान ट्रैक्टर थ्रेसर के लिए लाइन लगाए खड़े हैं। ट्रैक्टर थ्रेसर की कमी पड़ जाने के चलते किसानों को शीघ्र मड़ाई की चिंता भी सताने लगी है। किसान इस बात को लेकर अधिक फिक्रमंद हैं कि यदि फिर से बारिश हुई तो सब कुछ चौपट हो जाएगा। ट्रैक्टर थ्रेसर के लिए दिन ही नहीं पूरी रात किसान सिवार में चक्रमण कर रहे हैं। मौसम से सहमे किसानों के सामने एक ही लक्ष्य है कब ट्रैक्टर थ्रेसर मिले और कितना जल्दी सिवान में पड़ी मेंहनत की कमाई घर में पहुंच जाए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें