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27 के दंगल से पहले ओमप्रकाश राजभर ने फिर आजमाया पुराना दांव, चिट्ठी ने मचाई हलचल

27 के दंगल से पहले ओमप्रकाश राजभर ने फिर आजमाया पुराना दांव, चिट्ठी ने मचाई हलचल

संक्षेप: आरोप यही हैं कि राजभर ऐसे समय में इस मसले को उठाते हैं, जब चुनाव दहलीज पर होता है। ऐसे में इस चिट्ठी के तमाम निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। एक वर्ग का मानना है कि वह वर्ष 2027 के चुनाव के पहले भाजपा पर अपना दबाव बनाना चाहते हैं ताकि उन्हें चुनाव में सीट बंटवारे में फायदा मिले।

Mon, 6 Oct 2025 06:13 AMAjay Singh रोहित मिश्रा, लखनऊ
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UP Politics: तकरीबन चार साल पहले सुभासपा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर जिस मसले पर पिछली एनडीए सरकार से अलग होकर सपा के साथ चले गए थे, उसी मामले को उन्होंने एक बार फिर हवा दे दी है। वर्ष 2027 में विधान सभा चुनाव होने हैं। ऐसे में ओबीसी आरक्षण में बंटवारे को लेकर राजभर की चिट्ठी को सियासी गलियारों में दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि राजभर की चिट्ठी न केवल भाजपा बल्कि अन्य सहयोगी दलों, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) को भी असहज कर सकती है।

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ओबीसी आरक्षण में बंटवारा सुभासपा का अहम मुद्दा रहा है। पार्टी आरोप लगाती रही है कि पिछड़े वर्ग की तमाम जातियां आरक्षण का लाभ पाने से वंचित हैं। लिहाजा उन्हें भी आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में बंटवारा किया जाए। हालांकि, आरोप यही हैं कि राजभर ऐसे समय में इस मसले को उठाते हैं, जब चुनाव दहलीज पर होता है। ऐसे में इस चिट्ठी के तमाम निहितार्थ प्रदेश की सियासत में तलाशे जा रहे हैं। एक वर्ग का मानना है कि वह वर्ष 2027 के चुनाव के पहले भाजपा पर अपना दबाव बनाना चाहते हैं ताकि उन्हें चुनाव में सीट बंटवारे में फायदा मिले। वहीं, कुछ राजनीतिक जानकार इसे भाजपा को असहज करके दूसरे राजनीतिक अवसर तलाशने की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं।

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सूत्र दावा कर रहे हैं कि चुनाव के ठीक पहले सियासी समीकरण किस तरह के बनेंगे, उसके मुताबिक राजभर अपनी आगे की रणनीति जाहिर करेंगे। यह चिट्ठी एक तरह से उसी का आधार बनाने की कवायद का हिस्सा है। अगर वह एनडीए का हिस्सा रहकर चुनाव लड़ना चाहते हैं तो वह भाजपा के एक और आश्वासन से संतुष्ट हो जाएंगे और अगर उन्हें अपने रास्ते अलग करने होंगे तो भी यह चिट्ठी ही इसका आधार बनेगी। सुभासपा महासचिव अरुण राजभर कहते हैं कि यह चिट्ठी भाजपा नहीं बल्कि अन्य दलों की असलियत उजागर करने के लिए लिखी गई है, जो आरक्षण में बंटवारे का विरोध कर सकते हैं।

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2000 से ज्यादा जातियों को नहीं मिल रहा लाभ

अरुण राजभर कहते हैं कि इस मसले के समाधान के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट बीते साल ही सौंपी जा चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछड़े वर्ग की 2000 से ज्यादा जातियों को आरक्षण का समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। हमें भाजपा पर विश्वास है क्योंकि ओबीसी आयोग बनाना रहा हो या जातिगत जनगणना करवाना। भाजपा इस मसले पर सकारात्मक है।

Ajay Singh

लेखक के बारे में

Ajay Singh
अजय कुमार सिंह दो दशक से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की और टीवी होते हुए अब डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हैं। राजनीति, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण से जुड़ीं खबरों को गहराई से कवर किया है। फिलहाल लाइव हिन्दुस्तान में असिस्टेंट एडिटर हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति और क्राइम खबरों पर विशेष फोकस रखते हैं। और पढ़ें
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