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तो ड्यूटी से छुट्टी लेकर लूट करने बस्ती से गोरखपुर गया था सिपाही

बस्ती। निज संवाददाता 2021 में दूसरी बार ऐसा प्रकरण सामने आया है कि जब

तो ड्यूटी से छुट्टी लेकर लूट करने बस्ती से गोरखपुर गया था सिपाही
हिन्दुस्तान टीम,बस्तीFri, 25 Jun 2021 04:40 AM
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बस्ती। निज संवाददाता

2021 में दूसरी बार ऐसा प्रकरण सामने आया है कि जब गोरखपुर में हुई वारदात के खुलासे में बस्ती में तैनात पुलिस कर्मियों की संलिप्तता सामने आई है। गोरखपुर में सोमवार को हुई दो लाख रुपये की लूट में शामिल तीन बदमाशों को बुधवार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इनसे पूछताछ में गोरखपुर गगहा क्षेत्र निवासी मनीष यादव का नाम प्रकाश में आया, जो वर्तमान में बस्ती जिले में तैनात है। उसकी तलाश शुरू हुई तो पता चला कि पुलिस लाइन से ड्यूटी कर रहा मनीष 13 जून से 14 दिनों की छुट्टी लेकर घर गया हुआ है। अभी लूटकांड में आरक्षी मनीष की संलिप्तता को लेकर अधिकृत तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। सिर्फ बदमाशों से पूछताछ के आधार पर ही इसकी आशंका जताई जा रही है। पुलिस टीमें पूछताछ के लिए उसकी तलाश में जुट गई हैं।

इससे पहले गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन से महाराजगंज जिले के दो सराफा कारोबारियों को चेकिंग के बहाने अपने साथ ले जाकर 19 जनवरी 2021 को नौसढ़ में 19 लाख रुपये नगद और 11.20 लाख रुपये की कीमत के गहने लूटने में बस्ती के पुरानी बस्ती थाने में तैनात एसआई धर्मेन्द्र यादव, कांस्टेबल संतोष यादव और महेंद्र यादव का नाम सामने आया था। पूछताछ में सरगना दरोगा धर्मेन्द्र के साथ 30 दिसंबर 2020 को गोरखपुर के शाहपुर थाने में लूट करने में पुरानी बस्ती के ही सिपाही आलोक भार्गव की संलिप्तता पाई गई थी।

लूट के मास्टर माइंड बताए गए दरोगा धर्मेन्द्र यादव करीब 24 साल की नौकरी कर चुके थे, जबकि इसमें शामिल तीनों सिपाही नई उम्र के थे। सिपाही संतोष व महेन्द्र 2018 बैच तो आलोक भार्गव 2019 बैच का आरक्षी था। नौकरी के पहले ही पड़ाव में अपराध का रास्ता चुनने वाले इन सिपाहियों की करतूत ने पूरे पुलिस महकमे पर दाग लगाया था। इस बार बदमाशों से पूछताछ में नाम सामने आने के बाद सुर्खियों में आया सिपाही मनीष यादव 2013 बैच का बताया जा रहा है। लाइन में आने से रुधौली र्सिकल के एक थाने पर उसकी तैनाती रही।

हालांकि साथ में काम करने वाले पुलिस कर्मियों की मानें तो वह बेहद सीधा-साधा है। ऐसी किसी घटना में शामिल होने पर यकीन कर पाना मुश्किल है। यह भी हो सकता है कि उसे फंसाया जा रहा हो। जांच में सब कुछ सामने आ जाएगा। एसपी आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि प्रकरण संज्ञान में है। इस संबंध में रिपोर्ट मिलने के आधार पर ही अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

दागी पुलिस कर्मियों ने पहले भी कराई थी फजीहत

जिले में पिछले साल दो ऐसे प्रकरण सामने आए, जिनसे विभाग को फजीहत का सामना करना पड़ा। लालगंज थाने में तैनात दरोगा विजय प्रताप यादव को सितंबर 2020 में एंटी करप्शन यूनिट गोरखपुर ने घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। लालगंज थाने पर तैनाती के दौरान घूस लेते पकड़ने के आरोपी दरोगा को तैनाती दी गई है। बताया जा रहा है कि कुछ ही दिनों पहले दरोगा विजय को जिले के ही एक थाने पर भेजा गया है, हालांकि अभी तक ड्यूटी ज्वाइन न किए जाने की बात कही जा रही है। कोतवाली में मुकदमा दर्ज करने के साथ ही टीम उसे अपने साथ गोरखपुर लेकर चली गई थी। दिसंबर 2020 में कप्तानगंज थाने के सिपाही दिग्विजय राय की हरकतों ने अनुशासन की धज्जियां उड़ाकर रख दी थीं। आला अफसरों को जानमाल की धमकी के साथ ही पुलिस लाइन में तोड़फोड़ कर हंगामा करने के बाद पहले मुकदमा दर्ज कर उसे निलंबित किया गया और बाद में उसे बर्खास्त कर दिया था।

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