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नौ माह से पांच साल तक हर छह माह में दें विटामिन-ए की खुराक

बस्ती। निज संवाददाता जिले में विटामिन ‘ए सम्पूरण कार्यक्रम का शुभारंभ शनिवार को हुआ।...

नौ माह से पांच साल तक हर छह माह में दें विटामिन-ए की खुराक
हिन्दुस्तान टीम,बस्तीSun, 01 Aug 2021 04:02 AM
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बस्ती। निज संवाददाता

जिले में विटामिन ‘ए सम्पूरण कार्यक्रम का शुभारंभ शनिवार को हुआ। जिला महिला अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभारी सीएमओ डॉ. एफ हुसैन ने फीता काटकर व एक बच्चे को विटामिन ए की खुराक पिलाकर किया। अभियान के दौरान जिले में कुल 3.70 लाख बच्चों को खुराक पिलाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्रभारी सीएमओ ने कहा कि नौ माह से पांच साल तक के बच्चों को साल में दो बार विटामिन ए की खुराक जरूर पिलवाएं। इस अभियान के दौरान इस उम्र के बच्चों को खुराक पिलाई जानी है। उन्होंने कहा कि विटामिन ए , वसा में एक घुलनशील विटामिन है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। कोविड काल को देखते हुए इसे सभी पात्र बच्चों को पिलाया जाना जरूरी है। कोविड से बचाव में रोग प्रतिरोधक क्षमता की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश में एक से चार साल तक के लगभग 17 प्रतिशत बच्चे विटामिन ए की कमी से जूझ रहे हैं।

नौ माह से पांच साल के बीच नौ बार विटामिन ए की खुराक दिए जाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है, जिससे वह स्वस्थ व तंदरूस्त होते हैं। विटामिन ए के अतिरिक्त छह माह से पांच साल तक के बच्चों को एनीमिया से बचाव के लिए आईएफए सीरप का भी वितरण किया जाएगा। कार्यक्रम में जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. सुषमा सिन्हा, चिकित्सक डॉ. पीके श्रीवास्तव, डॉ. एके कुशवाहा, यूनिसेफ के मंडलीय कोआर्डिनेटर मनोज कुमार श्रीवास्तव, यूनिसेफ के डीएमसी आलोक राय और एपी श्रीवास्तव प्रमुख तौर पर उपस्थित रहे।

यह खुराक है निर्धारित

- नौ माह से 12 माह- एक एमएल (आधा चम्मच)

- 16 से 24 माह- दो एमएल

- दो से पांच वर्ष- दो एमएल

विटामिन ए के फायदे

बालरोग विशेषज्ञ डॉ. पीके श्रीवास्तव ने बताया कि विटामिन ए की मौजूदगी से रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। आखों की परत अर्थात कार्निया सुरक्षित रहती है। आखों के रोग रतौंधी आदि से बचाव होता है। इससे बाल मृत्यु दर में भी कमी होती है। खसरा, मलेरिया, दस्त से होने वाली मौत में कमी आती है। इस समय सबसे बड़ी समस्या कुपोषण की है। विटामिन ए कुपोषण को दूर कर शरीर के विकास में सहायक होता है।

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