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बस्ती मेडिकल कॉलेज में कोरोना से आठ की मौत, एक भी वेंटिलेटर पर नहीं रखा

बस्ती के महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल में करीब पांच हीने के दौरान आठ संक्रमितों की मौत हो चुकी है। इनमें से पांच को सांस फूलने की शिकायत थी लेकिन मेडिकल कॉलेज में 18 वेंटिलेटर होने के...

बस्ती मेडिकल कॉलेज में कोरोना से आठ की मौत, एक भी वेंटिलेटर पर नहीं रखा
हिन्दुस्तान टीम,बस्तीWed, 05 Aug 2020 04:05 AM
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बस्ती के महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल में करीब पांच हीने के दौरान आठ संक्रमितों की मौत हो चुकी है। इनमें से पांच को सांस फूलने की शिकायत थी लेकिन मेडिकल कॉलेज में 18 वेंटिलेटर होने के बावजूद एक भी मरीज को इसकी सुविधा नहीं मिली। क्यों? इस पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन का तर्क भी जान लीजिए। उसका मानना है कि वेंटिलेटर पर जाने वाले अधिकतर मरीजों की मौत हो जाती है। इस कारण उन्हें वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया। ऑक्सीजन आदि लगाकर इलाज किया जा रहा है।

मेडिकल कॉलेज बस्ती में 18 वेंटिलेटर शासन की तरफ से उपलब्ध कराए गए हैं। वार्ड पूरी तरह से तैयार है। मशीनें इंस्टाल हैं और पूरी तरह से इस्तेमाल के लिए तैयार हैं। शासन से नामित तीन-तीन नोडल अधिकारी आए और वार्ड देखकर चले गए। हर किसी ने एक ही सवाल किया कि यहां कितने मरीजों का इलाज हुआ?जवाब शून्य मिला। इलाज क्यों नहीं होता? इस सवाल पर जिम्मेदार या तो चुप्पी साध गए या जवाब दिया कि किसी मरीज को जरूरत ही नहीं पड़ी।

हियुवा पदाधिकारी की बहन को सांस फूलने पर रेफर किया, रास्ते में मौत

हियुवा के जिला प्रभारी की 31 जुलाई को पीजीआई में इलाज के दौरान मौत हो गई। उसी दिन दोपहर बाद बस्ती मेडिकल कॉलेज में भर्ती उनकी बहन की तबीयत बिगड़ने लगी। सांस फूलने की समस्या होने पर उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया। रास्ते में फैजाबाद के पास उनकी मौत हो गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उन्हें समय से वेंटिलेटर मिला होता तो स्थिति नियंत्रित की जा सकती थी।

ऑक्सीजन से काम चलाने का प्रयास

बस्ती मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान आठ कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है। इनमें बानपुर लालगंज बस्ती का युवक, भवानीगंज सिद्धार्थनगर की महिला, अमदेवा महुली संतकबीरनगर के अधेड़, जगदीशपुर वाल्टरगंज बस्ती की महिला शामिल है। बोदवल मुंडेरवा के कोरोना पॉजिटिव अधेड़ की सांस फूलने की शिकायत पर मौत हुई तो परिजन उस दिन शव तक लेने नहीं आए। परिजनों की मानें तो पांडेय बाजार के व्यापारी और हरेवा सोनहा के अधेड़ को सांस फूलने की शिकायत पर ही मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। हर्रैया के कृष्णौता निवासी एक व्यक्ति को भी इसी तरह की शिकायत हुई। इन सभी की मौत सांस फूलने के चलते हुई, लेकिन किसी को भी वेंटिलेटर पर नहीं ले जाया गया। अस्पताल प्रबंधन ने केवल ऑक्सीजन से काम चलाने का प्रयास किया।

चार एनेस्थेटिक में से तीन हैं ओवरएज

मेडिकल कॉलेज में तैनात चार एनेस्थेटिक में से तीन कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से ओवरएज अर्थात 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं। इन्हें कोरोना ड्यूटी में नियमत: नहीं लगाया जा सकता है। वेंटिलेटर चलाने के लिए चौबीसों घंटे एनेस्थेटिक की जरूरत होती है। इस संबंध में प्राचार्य का कहना है कि प्रशिक्षण लेकर कोई भी चिकित्सक वेंटिलेटर चला सकता है। इसमें बड़ी समस्या नहीं है।

वेंटिलेटर की खरीद और सुविधा पर है जोर

अस्पतालों को अधिक से अधिक वेंटिलेटर देकर गंभीर मरीजों को इलाज की सुविधा दी जाए, इस पर शासन-प्रशासन का जोर है। विधायक और सांसद निधि से धन लेकर वेंटिलेटर खरीदे जा रहे हैं। ऐसे में 18 वेंटिलेटर होने के बाद भी बस्ती मेडिकल कॉलेज में यह तर्क देकर उनका प्रयोग नहीं किया जा रहा है कि वेंटिलेटर पर जाने वाले अधिकांश मरीजों की मौत हो जाती है।

सभी वेंटिलेटर चालू हालत में हैं। ऐसा देखा गया है कि जिन मरीजों को वेंटिलेटर पर ले जाया गया, उनमें से अधिकांश की मौत हो गई। इस कारण यहां अभी तक किसी मरीज को वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया। आवश्यकता पड़ने पर मरीज को वेंटिलेटर की सुविधा प्रदान की जाएगी। जिन मरीजों की मेडिकल कॉलेज में मौत हुई है, उन्हें वेंटिलेटर तक ले जाने का अवसर ही नहीं मिला। वेंटिलेटर के अलावा मरीज के लिए ऑक्सीजन की सुविधा है, जो वेंटिलेटर से ज्यादा कारगर साबित हो रही है। इस समय 15 मरीजों को ऑक्सीजन पर रखा गया है।

-डॉ. नवनीत कुमार, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज, बस्ती

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