बोले बस्ती : अपना दर्द दबा दूसरों तक पहुंचाते हैं खुशियां
Basti News - बस्ती जिले में ऑनलाइन मार्केटिंग तेजी से बढ़ रही है, जिससे डिलिवरी ब्वॉयज को रोजगार मिल रहा है। हालांकि, उन्हें ऑर्डर कैंसिल होने और कम भुगतान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डिलिवरी ब्वॉयज की...
Basti News : ऑनलाइन मार्केटिंग का दायरा शहर के साथ ही गांवों-कस्बों तक फैल गया है। हर हाथ में मोबाइल आ गया है,जिससे घर बैठे लोग खरीदारी की सुविधा उठा रहे हैं। बस्ती जिले में भी ई-कॉमर्स व्यवस्था तेजी से फैल रही है। इसके साथ ही युवाओं को घर में ही नौकरी मिल रही है। लोगों के दरवाजे तक सामान पहुंचाने वाले डिलिवरी ब्वॉय के घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई और इलाज इसी से चल रहा है। हालांकि, कभी-कभी दरवाजे पर पहुंचने पर लोग ऑर्डर कैंसिल कर देते हैं। कूरियर लौटाने का असर डिलीवरी ब्वॉय के पेट पर पड़ता है। ‘हिन्दुस्तान‘ से बातचीत में डिलिवरी ब्वॉयज ने अपना दर्द साझा किया। Basti News : ऑनलाइन बाजार ने लोगों के काम को आसान बना दिया है। कपड़े, मोबाइल, घड़ी व खाने-पीने तथा पहनने-ओढ़ने तक के सामान ऑनलाइन बाजार में उपलब्ध हैं। मोबाइल और कंप्यूटर से लोग जरूरत के सामानों का ऑर्डर करते हैं और तय समय में डिलिवरी ब्वॉय उनके घर पहुंचा देते हैं। दरवाजे तक सामान लेकर पहुंचने वाले डिलिवरी ब्वॉय की भी पीड़ा है जिसे कोई नहीं समझता। घर पर ही रोजगार पाए डिलिवरी ब्वॉय अपना दर्द छिपाते हुए लोगों के घरों तक उनकी खुशियां पहुंचाते हैं। लोगों की खुशी में दिन भर पसीना बहाने वाले डिलिवरी ब्वॉय जो ×कुछ कमाते हैं उसी से घर का खर्च चलाते हैं।
ऑनलाइन कंपनियों के साथ जुड़कर काम कर रहे डिलिवरी ब्वॉयज की कई तरह की समस्याएं हैं। रुधौली क्षेत्र के रहने वाले सुरेश का कहना है कि वह पिछले दो वर्षों से काम कर रहे हैं। वह और उनके जैसे अन्य डिलिवरी ब्वॉय सुबह छह बजे कंपनी के स्टोर पर आ जाते हैं। उनका एरिया बंटा हुआ है। उसी के हिसाब से उन्हें पैकेट दिए जाते हैं। सुबह अपने पैकेट को छांटकर डिलिवरी ब्वॉय आठ बजे से अपने-अपने क्षेत्र में निकलते हैं। एक डिलिवरी ब्वॉय 50 से 200 तक पैकेट लेकर निकलते हैं। डिलिवरी ब्वॉय राजीव ने बताया कि अक्सर दिन में वह लोगों के दरवाजे पर पहुंच जाते हैं। तकरीबन 15 से 20 लोगों द्वारा ऑर्डर कैंसिल कर दिया जाता है। लोग घर बैठे चंद मिनट में ही ऑर्डर कैंसिल कर देते हैं, लेकिन इससे उनक लोगों को कितनी पीड़ा होती है, यह वे महसूस नहीं करते। ऑर्डर कैंसिल होने पर उन लोगों को कुछ नहीं मिलता है और बाइक का तेल और मेहनत जाया जाता है। ऑर्डर कैंसिल होने के बाद मन खिन्न हो जाता है। लेकिन वे अपना दर्द किसे बताएं। ऑर्डर कैंसिल करने वाले लोगों को उनके दर्द से क्या लेना-देना। उनका कहना है कि कुछ लोग विलंब से सामान पहुंचने पर गुस्सा जताते हैं, उनकी हर बात को चुपचाप सुनना पड़ता है। कभी-कभी तो लोग दरवाजे पर जाने के बाद दूसरे दिन आने को कहते हैं, इससे दोहरी मार पड़ती है। वर्तमान में बस्ती शहर में करीब 300 डिलिवरी ब्वॉय काम कर रहे हैं। शादी-ब्याह और त्योहारों के मौसम में इनकी संख्या बढ़कर 500 के करीब तक पहुंच जाती है।
डिलिवरी ब्वॉय की चुनौतियां भी अपार
डिलिवरी ब्वॉय के काम से उनके परिवार की आजीविका चल रही है। लेकिन इस काम में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। दुजय कुमार बताते हैं कि छह बजे सुबह कंपनी के स्टोर में पहुंचना होता है। हम लोगों को सुबह आठ बजे डिलीवरी पैकट का बैग लेकर क्षेत्र में निकलना होता है। सामान को ग्राहकों तक पहुंचाने में कई बार शाम छह बज जाते हैं। रोजाना लगातार आठ से दस घंटे बाइक चलानी पड़ती है।
कई बार सड़क खराब होने से डिलिवरी करने में काफी परेशानी होती है। खराब सड़कों की वजह से शाम तक कमर दुखने लगती है। ठंड हो या बरसात हर मौसम में तय वक्त पर सामान पहुंचाना होता है। कभी-कभी होती है छिनैती की घटनाएं : बस्ती में 27 जनवरी को टोल प्लाजा के पास डिलीवरी ब्वाय के साथ छिनैती की घटना सामने आई थी। इस घटना के बाद डिलिवरी ब्वाय को रात में डर बना रहता है।
छह महीने पहले मिलता था चाय का पैसा
एक डिलिवरी ब्वॉय ने बताया कंपनी की ओर से छह महीने पहले चाय का पैसा मिलता था, जिससे डिलिवरी ब्वॉय को खर्च में कुछ सहूलियतें मिल जाती थी। लेकिन अब कंपनी के अधिकारियों ने इस व्यवस्था को बंद कर दिया। छह जनवरी से इस व्यवस्था को ठप कर दिया। अब डिलिवरी ब्वॉय को अपने पॉकेट से चाय-पानी की रकम खर्च करनी पड़ती है।
डिलिवरी ब्वॉय को एक ऑर्डर पर मिलते हैं 13 रुपये
बस्ती। डिलिवरी ब्वॉय को एक ऑर्डर पहुंचाने पर कंपनी की तरफ से सिर्फ 13 रुपये दिए जाते हंै। उसी में उनके बाइक का तेल और उनका मेहनत की मजदूरी होती है। पहले एक व्यक्ति के यहां चार ऑर्डर होते थे, तो चारों पैकेट के 13-13 रुपये मिलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब एक आईडी पर कितना भी ऑर्डर हो सिर्फ पहले पर 13 रुपये मिलते हैं। अन्य ऑर्डर पर आधा भुगतान होता है। इससे डिलिवरी ब्वॉय को काफी नुकसान हो रहा है। डिलिवरी ब्वॉय का कहना है ऑर्डर कैंसिल होने पर भी उन्हें भुगतान मिलना चाहिए। महंगाई के दौर में एक पैकेट के ऑर्डर पर 13 रुपये काफी कम है।
15 से 20 हजार रुपये तक कमाते हैं महीना
डिलिवरी ब्वॉय रमेश समेत अन्य लोगों का कहना है कि कोई ऐसा महीना नहीं है, जिस महीने में उन्हें 15 हजार रुपये से कम कमाई होती है। वह आठ से 10 घंटे कार्य करते हैं। खास बात यह है कि वह अपनों के बीच घर पर ही रहकर यह काम करते हैं।
लगन और त्योहारों में बढ़ जाती है आय दशहरा, दीपावली और लगन के समय में पार्सल की डिलिवरी कई गुना तक बढ़ जाती है। ऐसे में आय में इजाफा हो जाता है। त्योहार में ई-कॉमर्स कंपनियां डिलीवरी ब्वाय को आर्कषक ऑफर देती हैं। इसके साथ ही कम समय के लिए डिलीवरी ब्वाय की नियुक्ति भी करती हैं। डिलीवरी ब्वाय सुरेश का कहना है त्योहारों के समय हम लोग 10 बजे रात तक लोगों के घरों पर सामान पहुंचाते हैं।
रोजगार की खुलीं राहें
ई-कामर्स से युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खुल गए हैं। काफी संख्या में ऐसे युवा जो रोजगार के लिए बड़े-बड़े शहरों में पलायन करते थे। अब वहीं डिलिवरी ब्वॉय का काम कर रहे हैं। अमित ने बताया कि पहले 15 से 20 हजार कमाने के लिए मुम्बई-दिल्ली जाना पड़ता था। लेकिन अब इतने रुपये गांव और परिवार के साथ रहकर कमा ले रहे हैं।
ऑर्डर का कैंसिल होना बन गई है सबसे बड़ी मुसीबत
बस्ती। डिलिवरी ब्वॉय वीरेन्द्र मिश्र बताते हैं कि हमारे लिए सबसे बड़ी मुसीबत चुनौती ऑर्डर का कैंसिल होना है। उन्होने बताया कि हम 10 किमी दूर सामान लेकर जाते हैं। वहां पहुंचने पर कस्टमर ऑर्डर कैंसिल कर देता है। इस वजह से पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है। ऑर्डर कैंसिल होने पर हमें कोई भुगतान नहीं मिलता है। बताया कि अगर डिलिवरी ब्वॉय 100 पैकट लेकर निकलता है तो 25 के करीब ऑर्डर कैंसिल हो जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि डिलिवरी प्वाइंट पर पहुंचने ही ग्राहक पार्सल कैंसिल कर देता है। जिससे शारीरिक और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। नए नियम लागू होने से बढ़ीं परेशानियां: ई-कार्मस के नए नियम से डिलिवरी ब्वॉय की परेशानियां बढ़ गई हैं। छह जनवरी से डिलिवरी ब्वॉय के लिए लागू नियम में एक आईडी से दो पार्सल से अधिक होने पर एक पर फुल और सभी का हाफ पैसा मिलता है। यह नियमानुसार गलत है। जबकि कंपनी को कैंसिल पार्सल का पैसा भी डिलिवरी ब्वॉय को मिलना चाहिए। डिलिवरी ब्वॉय के लिए ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने के लिए तत्पर रहते हैं। बड़े बाजार और शहरों में मिलने वाला सामान चंद दिनों में उनके हाथों में होता है। डिलिवरी ब्वॉय सुबह पांच बजे से शाम पांच बजे तक लोगों का सामान सही सलामत घर तक पहुंचते हैं। खराब मौसम से बचने के लिए कंपनी की तरफ से कोई सुविधाएं नहीं मिलती है। बारिश या चिलचिलाती धूप से बचाव के लिए कंपनी की ओर से डिलिवरी ब्वॉय को कोई सुविधा नहीं मुहैया कराई जाती है।
झेलना पड़ता है ग्राहकों का गुस्सा
डिलिवरी ब्वाय अजय वर्मा का कहना है कई बार उपभोक्ताओं की नाराजगी का भी शिकार होना पड़ता है। कुछ लोग विलंब में सामान पहुंचाने पर भड़क जाते हैं। कभी-कभी तो खूब खरी-खोटी सुनाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि तय पते पर पहुंचने पर पता चलता है कि घर पर कोई नहीं है। कॉल करने पर अगले दिन आने की बात कह दियाजाता है। कई बार कस्टमर कॉल नहीं उठाते हैं, इस वजह से डिलिवरी पैकेट पहुंचाने के लिए झेलना पड़ता है। कई बार लोग मौके पर सामान चेक करते हैं और पंसद नहीं आने पर सामान वापस ले जाने का दबाव बनाते हैं। कंपनी की ओर से यह संभव नहीं होता है। ऑनलाइन मार्केटिंग में सामान के वापसी की अलग प्रक्रिया होती है।
बोले डिलिवरी ब्वॉय
ऑर्डर कैंसिल होने पर पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है। कैंसिल ऑर्डर पर कोई भुगतान नहीं मिलता है,जिससे काफी नुकसान झेलना पड़ता है।
वीरेंद्र मिश्र
ग्राहकों का भी कोई सहयोग नहीं मिलता है। डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बाद पंसद न आने पर ऑर्डर कैंसल कर देते हैं।
अजय वर्मा
डिलिवरी ब्वॉय के साथ आए दिन रात में छिनैती की घटनाएं समाने आती है, जिससे काफी डर बना रहता है।
दुजय कुमार
विलंब हो जाने पर ग्राहक विरोध जताते है, उनकी बात सुननी पड़ती है। कई बार डिलिवरी प्वाइंट पर पहुंचने पर पता चलता है, घर पर कोई नहीं है।
शैलश कुमार
डिलिवरी ब्वॉय में उचित भुगतान मिलता है, लेकिन एक ही पार्सल देने के लिए कई बार दौड़ना पड़ता है, जिससे पेट्रोल खर्च ज्यादा हो जाता है।
शुभम सिंह
काम में छोटी-बड़ी कई प्रकार की परेशानी आती है। उपभोक्ता हमारे साथ बेहद कामर्शियल तरीके से पेश आते हैं।
शक्ति अग्रहरी
किसी डिलिवरी ब्वॉय के साथ कोई घटना होती है तो मदद नहीं मिलती है। किसी प्रकार आर्थिक सहायता कंपनियां नहीं देती हैं।
अब्दुल वहिद
डिलिवरी ब्वॉय के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। हम लोग सुबह से लेकर शाम तक काम में लगे रहते हैं। दस घंटे तक पार्सल पहुंचना होता है।
आकाश मौर्य
बहुत से ग्राहक सामान पहुंचाने पर तुरंत चेक करते हैं। सामान पंसद नहीं आने पर आर्डर कैंसिल कर देते हैं। इसकी मार को झेलना पड़ता है।
संतोष कुमार
हर रोज डेस्टिनेशन से पार्सल लेकर निकलने के बाद औसतन 10 पार्सल कैंसिल कर दिया जाता है। पेट्रोल व समय दोनों खर्च हो जाता है। श्याम सुंदर यादव
सरकार को डिलिवरी मैन के लिए सहायतार्थ योजनाएं सचलित करना चहिए। उनकी सुरक्षा का इंतजाम होना चाहिए।
तिलकधारी यादव
काम अच्छा है पर भविष्य सुरक्षित नहीं है। दुर्घटना या चोट लगने पर काम नहीं होता तो किराया नहीं मिलता हैं।
संदीप सोनकर
दो साल से डिलिवरी का काम करते हो गया। कस्टमर फोन नहीं उठाते है, जिससे एक ही पार्सल को कई बार दौड़ाना पड़ता है।
पीयूष लाल
एक से अधिक पैकेट डिलिवरी करने पर एक का ही फुल पैसा मिलता है, जबकि ऑर्डर कैंसिल होने पर भुगतान नहीं मिलता है।
अभिषेक रावत
महंगाई के अनुसार कोई लाभ नहीं मिलता है। एक पैकेट के डिलिवरी पर 13 रुपये मिलता है। इसमें बढ़ोत्तरी होना चाहिए।
सोनू कुमार
बोले जिम्मेदार
गिग वर्कर्स की सेवा शर्तों के लिए इस समय सर्वे चल रहा है। यह सर्वे वित्त मंत्रालय और श्रम मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। सरकार ने उनके सेवा शर्त बनाने के लिए कार्य शुरू कर दिया है। उनको ईपीएफओ पेंशन के दायरे में लाने की भी योजना पर काम हो रहा है। ऑनलाइन कंपनियों के साथ डिलिवरी से जुड़े कर्मचारियों की अनुमानित संख्या लगभग एक करोड़ है, जो 2030 तक 2.35 करोड़ तक पहुंच जाएगी। ऐसे में उनके लिए पॉलिसी बनाना अनिवार्य हो गया है।
बीएम शर्मा, उप श्रमायुक्त, बस्ती
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