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फीस का खेल ऐसा कि सूचना देने में डर रहे स्कूल

निजी स्कूल सूचना के अधिकार के तहत फीस की जानकारी देने से बच रहे हैं। आरटीई एक्टीविस्ट ने इस संबंध में दिल्ली पब्लिक स्कूल की जेडी कार्यालय में शिकायत की है। आरोप है कि फीस में खेल के कारण सूचना के...

फीस का खेल ऐसा कि सूचना देने में डर रहे स्कूल
हिन्दुस्तान टीम,बरेलीSat, 17 Nov 2018 01:18 PM
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निजी स्कूल सूचना के अधिकार के तहत फीस की जानकारी देने से बच रहे हैं। आरटीई एक्टीविस्ट ने इस संबंध में दिल्ली पब्लिक स्कूल की जेडी कार्यालय में शिकायत की है। आरोप है कि फीस में खेल के कारण सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं दी जा रही है।

शुल्क विधेयक आने के बाद निजी स्कूलों पर अंकुश लगाए जाने की बात कही जा रही थी। शुल्क विधेयक का असर तो नहीं दिख रहा। उल्टे स्कूलों ने आरटीई के तहत सूचना देना भी बंद कर दिया है। महानगर निवासी आरटीआई एक्टीविस्ट यशेंद्र सिंह ने 20 जुलाई को डीपीएस की फीस का ब्यौरा मांगा था। 25 जुलाई को तत्कालीन जेडी डा अंजना गोयल ने डीपीएस की प्रिंसिपल को पत्र भेज यह ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। हालांकि यशेंद्र को कोई सूचना नहीं मिली। इसकी बाद यशेंद्र ने दुबारा जेडी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी से यही सूचना मांगी।

फीस में खेल, इसी लिए नहीं दे रहे सूचना : आरटीआई एक्टीविस्ट यशेंद्र सिंह का कहना है कि स्कूल ने फीस में खेल कर रखा है। इसी लिए सूचना नहीं दी जा रही है। डीपीएस में कक्षा सात के छात्रों से जनवरी 2018 की तिमाही में ट्यूशन फीस के नाम पर 4700 रुपये लिए गए। जनवरी 2019 की तिमाही के लिए जो स्लिप दी गई है, उन पर ट्यूशन फीस 11640 हो गई है। इतनी बड़ी वृद्धि को छिपाने के लिए ही सूचना नहीं दी जा रही है। ऐसा कई और स्कूलों के साथ भी है। जल्द ही उनकी भी शिकायत की जाएगी।

जेडी ने दिया डीपीएस को निर्देश : जेडी प्रदीप कुमार ने बीते बुधवार को डीपीएस की प्रधानाचार्या को पत्र भेजा है। पत्र के जरिए शैक्षिक सत्र 2017-18 की फीस की जानकारी मांगी गई है। जेडी ने बताया कि यशेंद्र ने स्कूल ने सूचना मांगी थी। सूचना नहीं मिलने पर उन्होंने जेडी कार्यालय में अपील की है।

स्कूल को नहीं मिला कोई पत्र : इस बारे में डीपीएस की प्रिंसिपल रजनी सिंह ने बताया कि स्कूल को आरटीआई के तहत कोई पत्र नहीं मिला है। यदि कोई पत्र आता तो सूचना जरुर दी जाती। हमने अपनी फीस वेबसाइट पर अपलोड कर रखी है। फीस में वृद्धि भी शुल्क विधेयक के अनुसार ही की गई है।

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