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Aathwaphera samwad : सम्मान के साथ समानता का भाव ही आठवां फेरा

सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है पति-पत्नी का, शादी के वक्त अग्नि को साक्षी मानकर लिए गए सात फेरे सात वचनों को रूप हैं। आपसी समझ, प्रेम के साथ ही समान अधिकार होना भी जरूरी है। पति-पत्नी दोनों...

Aathwaphera samwad : सम्मान के साथ समानता का भाव ही आठवां फेरा
Dinesh Rathour वरिष्ठ संवाददाता, बरेलीTue, 15 Oct 2019 05:32 AM
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सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है पति-पत्नी का, शादी के वक्त अग्नि को साक्षी मानकर लिए गए सात फेरे सात वचनों को रूप हैं। आपसी समझ, प्रेम के साथ ही समान अधिकार होना भी जरूरी है। पति-पत्नी दोनों गृहस्थी के दो पहिए हैं और दोनों के दायित्व, कर्तव्य और अधिकार बराबर हैं। सोमवार को हिन्दुस्तान आठवां फेरा-एक वचन समान अधिकार का, पर आधारित संवाद में महिलाओं ने खुलकर अपने विचार रखे। बताया कि समय के साथ ही भूमिकाएं बदली हैं, करवाचौथ जैसे पर्व पति-पत्नी के रिश्तों को मजबूत करते हैं और पुरुषवादी सोच काफी हद तक मध्यमवर्गीय परिवारों से दूर हो चुकी है।

रिश्ते में आपसी समझ जरूरी

पति-पत्नी के रिश्ते में आपसी समझ पहली शर्त है। करवाचौथ के मायने महज श्रृंगार तक ही नहीं हैं बल्कि उसके पीछे प्रेम, समर्पण का भाव छिपा है। जरूरी है कि दोनों ही एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें और तभी रिश्ते में मजबूती, मधुरता आएगी।

सुमन साहनी, पंजाबी महासभा महिला इकाई अध्यक्ष

पति भी साथ में रखते हैं व्रत

शादी के 20 साल हो गए, पति का बहुत सहयोग, स्नेह मिला। जरूरत है बस एक-दूसरे को बेहतर तरीके से समझने की। इससे न केवल परेशानी दूर होती है बल्कि रिश्तों में मिठास आती है। पति मेरे साथ करवाचौथ का व्रत रखते हैं और मेरे लिए इससे बड़ा तोहफा और भला क्या हो सकता है।

श्वेता पावा

करवाचौथ पर पति रहते हैं साथ

करवाचौथ पर पति पूरा दिन घर में ही साथ रहते हैं। मेरा पूरा ख्याल रखते हैं और यही है रिश्तों में आपसी समझ। जरूरी नहीं कि पति आपके साथ व्रत रखें, अगर वो आपको समझते हैं, सम्मान और स्नेह देते हैं तो यह समानता के अधिकार से कम कतई नहीं। -डिंपल भसीन

बेटा-बहू साथ रखते हैं व्रत

एक-दूसरे का सम्मान करना ही व्रत है। करवाचौथ या कोई भी व्रत रखने के पीछे मूल भावना एक-दूसरे के प्रति समर्पण की है। घर में बेटा-बहू एक साथ व्रत रखते हैं और एक-दूसरे को पूरा सम्मान देते हैं। जब तक पति-पत्नी का एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक रवैया नहीं होगा, रिश्तों में मजबूती नहीं होगी।

रीता अरोरा

दोनों की है बराबर जिम्मेदारी

गृहस्थी की गाड़ी तभी सही चलती है जब पति-पत्नी के रूप में दोनों पहिए एक-दूसरे के साथ कदमताल मिलाकर चलें। समर्पण और सम्मान महज औरत की ड्यूटी नहीं है। दोनों के अधिकार समान होने चाहिए जिससे किसी प्रकार की परेशानी न हो। समानता और सम्मान के बिना घर सही से नहीं चल सकता।

रुचि कपूर

वूमेन इज सन ऑफ फेमिली

घर इमारत है तो नारी उसकी नींव। घर में कितनी भी परेशानी हो, महिलाएं ही उनको दूर करती हैं। समर्पण, सम्मान और प्रेम की प्रतिमूर्ति होती है महिलाएं। करवाचौथ जैसे व्रत नारी शक्ति का सम्मान है, उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को दिखाते हैं। उसे प्रेम, अधिकार के साथ ही सम्मान मिलना ही चाहिए।

मनीषी

हिंदू धर्म में नारी का विशेष स्थान

करवाचौथ जैसे व्रत हिंदू धर्म की विशेषता बताते हैं। करवा का अर्थ है मिट्टी जो हमारे प्राण तत्वों में से एक है। करवाचौथ पूजन हमारे पति को दीर्घायु बनाता है और नारी के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है। हिंदू धर्म में नारी हमेशा से कामना करती है कि पति की उम्र उससे अधिक हो।

मनीशा आहूजा

पति का हो साथ तो हर व्रत आसान

करवाचौथ वैसे तो काफी कठिन व्रत माना जाता है लेकिन पति का स्नेह, सहयोग और सम्मान मिलने से यह व्रत आसान हो जाता है। यह बताता है कि नारी शक्ति को सम्मान मिले, अधिकार मिले तो उसका समर्पण हर बार अपनी सीमाओं की नई परिभाषा गढ़ता है।

सोनिया सिंह

सम्मान और समानता दोनों जरूरी

महिलाओं को घर में सम्मान और समानता मिलना जरूरी है। वैसे तो यह स्त्री की खूबी है कि वह किसी भी परिस्थिति में सामंजस्य बना लेती है। अब समय बदल रहा है और महिलाओ को भी पुरुषों के समान ही अधिकार मिल रहे हैं। फिर बात चाहे घर की हो या समाज की।

वर्षा

समानता के भाव में व्रत की सार्थकता

करवाचौथ हो या फिर कोई अन्य व्रत, उसकी सार्थकता तभी है जब व्रती महिलाओं को पूरा सम्मान मिले। आज का दौर बदल रहा है। पतियों का पूरा सहयोग महिलाओं को मिल रहा है। करवाचौथ के दिन पति अपनी पत्नियों का ध्यान रखते हैं। यही भावना ही समानता और सम्मान की है जो महिलाओं को खुशी देती है। -ज्योति अरोरा

समर्पण का भाव सिखाता है करवाचौथ व्रत

हिंदू धर्म में नारी शक्ति स्वरूपा है। मां गौरी ने शिव के वरण की साधना की थी तो सावित्री पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए यमराज के सम्मुख दीवार बनकर खड़ी हो गई थी। करवाचौथ पर्व हमें इसी समर्पण के भाव की शिक्षा देता है। पति भी पत्नी को सम्मान दें तो ये रिश्ता आर्दश बन जाता है।

सिम्मी आनंद

धीरे-धीरे बदल रही है सामाजिक स्थिति

समय के साथ सामाजिक स्थितियों में भी धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। आज मध्यमवर्गीय घरों में पति-पत्नी के अधिकार समान हो रहे हैं। उनके कर्तव्य अलग हो सकते हैं। करवाचौथ का त्योहार नारी को यह शिक्षा देता है कि पति के प्रति प्रेम और समर्पण से सम्मान स्वत: मिलता है।

सोनिया सब्बरवाल

पतियों को भी रखना चाहिए करवाचौथ व्रत

आज समानता का दौर है, जब महिलाएं हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है तो फिर पतियों को भी व्रत रखना चाहिए। यह किसी भी पत्नी के लिए बेहद खुशी की बात होगी कि करवाचौथ का व्रत पति भी उसके साथ, उसकी खातिर रखे। आठवें फेरे में समानता का वचन सही मायने में तभी पूरा होगा।

समीक्षा अरोरा

पति को देना चाहिए व्रत में पूरा सहयोग
गृहस्थी में पति-पत्नी की भूमिकाएं अलग हो सकती हैं और इसके कतई अधिकारों से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। आज स्त्री कामकाजी भी है तो पुरुष घर के काम में मदद भी कर रहे हैं। पतियों को पूरा सहयोग करना चाहिए और तभी जिंदगी की परेशानियों का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है।

सुमन अरोरा 

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