संसाधन अधूरे, आवारा कुत्तों की जनसंख्या वृद्धि रोकने के दावे
शहर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है, जबकि एबीसी (एनीमल बर्थ कंट्रोल) सेंटर अभी तक नहीं खुला है। नगर निगम ने पिछले पांच साल में केवल 7000 कुत्तों की नसबंदी की है। हालात गंभीर हैं, लोग आवारा...
शहर में आवारा कुत्तों की फौज कम होने का नाम ही नहीं ले रही। इनकी बढ़ती आबादी को कम करने को एबीसी (एनीमल बर्थ कंट्रोल) सेंटर खुलना बाकी है। हकीकत यह है कि अभी भी सिर्फ एक ही ठेकेदार के सहारे ही कुत्तों की नसबंदी का टारगेट पूरा किया जा रहा है। प्राइवेट एजेंसी के कंधों पर ही आवारा कुत्तों की जनसंख्या को रोकने पर भार है। नगर निगम सीमा में करीब 50 हजार आवारा कुत्ते हैं। पांच साल में नगर निगम ने करीब 7000 आवारा कुत्तों की नसबंदी करा दी है। वहीं दो हजार कुत्तों की नसबंदी कराने की जिम्मेदारी फिर से दी गई है। बता दें कि शहर से लेकर देहात तक आवारा कुत्तों के हमले का शिकार लोग एंटी रेबीज वैक्सीनेशन सेंटर पर जाते हैं। नगर निगम सीमा में लगातार यह घटनाएं बढ़ रही हैं। नगर निगम ने एक एजेंसी को कुत्तों की नसबंदी का ठेका दे रखा है। 500 कुत्ता प्रति माह के हिसाब से ही नसबंदी की जा रही है। नंदौसी में एबीसी सेंटर में कुत्तों की नसबंदी कराई जा रही है। अब समस्या यह है कि शहर में गली-गली कुत्तों की फौज लगातार बढ़ रही है मगर एबीसी सेंटर पूरी क्षमता के साथ नहीं चल पा रहा। नगर निगम के पशु चिकित्सा एंव कल्याण अधिकारी डॉ.आदित्य तिवारी कहते हैं कि नसबंदी से कुत्तों की आक्रामकता में कमी आ जाती है। नया एबीसी सेंटर तैयार किया जा रहा है। सेंटर तैयार होते ही कुत्तों की नसबंदी कराने की संख्या बढ़ जाएगी।
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