प्रदेश की सबसे बड़ी हेपिटाइटिस ओपीडी के बंद होने संकट
जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस की ओपीडी पर संकट खड़ा हो गया है। हेपिटाइटिस के मरीजों की स्क्रीनिंग करने वाले डॉक्टर राजीव रंजन ने इस्तीफा दे दिया है। वह...

जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस की ओपीडी पर संकट खड़ा हो गया है। हेपिटाइटिस के मरीजों की स्क्रीनिंग करने वाले डॉक्टर राजीव रंजन ने इस्तीफा दे दिया है। वह बीते करीब दो साल से जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस की ओपीडी चला रहे थे। प्रदेश में सबसे अधिक मरीज यहां मिले हैं।
शासन के निर्देश पर कई जिलों के सरकारी अस्पतालों में हेपिटाइटिस की ओपीडी दो साल पहले शुरू की गई थी। जिला अस्पताल में सप्ताह मे दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को ओपीडी का संचालन हो रहा है। डॉ. राजीव रंजन के साथ फिजिशियन डॉ. आरके गुप्ता मरीजों को देख रहे हैं। बीते दिनों फिजिशियन डॉ. आशु अग्रवाल का तबादला होने के बाद डॉ. आरके गुप्ता अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के इलाज में लग गए। ऐसे में ओपीडी डॉ. राजीव रंजन की जिम्मेदारी हो गई थी। अब डॉ. राजीव रंजन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मेरठ में कॉरपोरेट हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया है।
नए मरीजों की स्क्रीनिंग में परेशानी
जिला अस्पताल में जो मरीज पहले से इलाज करा रहे हैं, उनको तो दवा मिलती रहेगी, लेकिन नए मरीजों की स्क्रीनिंग पर संकट है। नए मरीजों की स्क्रीनिंग से लेकर जांच तक में डॉ. राजीव रंजन की अहम भूमिका होती थी। बीते दो साल में 800 से अधिक हेपिटाइटिस मरीजों को यहां खोजा गया, जो पूरे प्रदेश में किसी भी जिले से अधिक है।
बरेली में बनना है मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर
हेपिटाइटिस के मरीजों के बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल में माडल ट्रीटमेंट सेंटर बनाने की तैयारी भी हो रही है। दरअसल बीते दो सालों में यहां सबसे अधिक हेपिटाइटिस के मरीज खोजे गए और उनका इलाज हुआ। ऐसे में शासन ने बरेली जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस का माडल ट्रीटमेंट सेंटर खोलने कवायद शुरू की है।
