ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशबरेली में बोले शंकराचार्य, वैदिक धर्म से विमुखता पर प्रकृति का संकेत है कोरोना 

बरेली में बोले शंकराचार्य, वैदिक धर्म से विमुखता पर प्रकृति का संकेत है कोरोना 

वैदिक धर्म और संस्कृति में चिकित्सा, शिक्षा, अर्थशास्त्र, राजनीति समेत अन्य सभी शास्त्रों का मूल है। कथित विकास की दौड़ में पाश्चात्य का अंधानुकरण करना अशुभ व अमंगल है। वैदिक धर्म से लोग विमुख हो रहे...

बरेली में बोले शंकराचार्य, वैदिक धर्म से विमुखता पर प्रकृति का संकेत है कोरोना 
बरेली | वरिष्ठ संवाददाताSun, 15 Mar 2020 11:26 AM
ऐप पर पढ़ें

वैदिक धर्म और संस्कृति में चिकित्सा, शिक्षा, अर्थशास्त्र, राजनीति समेत अन्य सभी शास्त्रों का मूल है। कथित विकास की दौड़ में पाश्चात्य का अंधानुकरण करना अशुभ व अमंगल है। वैदिक धर्म से लोग विमुख हो रहे हैं। कोरोना वायरस का प्रकोप इसी विमुखता के खिलाफ प्रकृति का संदेश है। आज लोग हाथ मिलाने की जगह नमस्कार, प्रणाम का प्रचार कर रहे हैं। शाकाहार को वरीयता दे रहे हैं जो हमारे वैदिक धर्म का पुरातन ज्ञान रहा है। शनिवार को श्री शंकराचार्य गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने यह बातें कहीं। स्वामी निश्चलानंद धार्मिक-आध्यात्मिक सत्संग के लिए आए हैं। 

सिविल लाइंस स्थित एक अशोका आवास पर उनका स्वागत किया गया। पत्रकारों से बातचीत में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि वैदिक धर्म ने जो मार्ग दिखाया, उसी में पूरे विश्व का कल्याण है। 64 कलाओं का केंद्र होने के बाद भी वैदिक धर्म उपेक्षित है। ऐसा ही रहा तो सृष्टि नष्ट हो जाएगी।  देश की मेधा शिक्षा के लिए विदेश जाती है और बाजार में बिकने वाला सामान बनकर रह जाती है। विश्व बैंक अपनी समस्या का निराकरण हमारे देश में पाता है और हमारे देश की प्रतिभा विदेश जा रही हैं। ऐसे में जब तक सनातन धर्म का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा, धर्म का विलोप जारी रहेगा। पूरा विश्व लाचार होकर मार्ग खोज रहा है। हम खुद सनातन धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। हमें अपनी वैदिक संस्कृति को सहेजना, सम्मान करना होगा। 

सभी वर्णों के अपने कर्म और नियम हैं

उन्होंने वर्णव्यवस्था को समाज और विकास के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि यह परंपरा व्यवहारिक थी। सभी वर्णों के अपने कर्म और नियम हैं जो कल्याणकारी हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में राजशाही जिंदा है। तिब्बत में दलाईलामा को प्रतीकात्मक सेना प्रमुख माना जाता है लेकिन इन अंग्रेजों ने राजशाही को हमारे लिए खतरनाक कह दिया, जो उनकी चाल थी। अंग्रेजों ने वर्ण संकर से पैदा हुई संतानों को हमारे धर्म को नुकसान पहुंचाने में इस्तेमाल किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसंख्या वृद्धि पर कई बार अपनी चिंता जताई है। वर्ण व्यवस्था में इसका भी समाधान स्वत: हो जाएगा। सनातन धर्म में तलाक का भी विधान नहीं है। संस्कृति पढ़ने वाले छात्रों को समझाना होगा कि वो देववाणी पढ़ रहे हैं। शंकराचार्य ने कहा कि वो गणित पर आधारित ग्रंथ लिख रहे हैं जिसमें वैदिक धर्म के सिद्धांतों का समावेश है। शीघ्र ही यह ग्रंथ पूरा हो जाएगा। 

बोले-सत्ता, लोलुपता, अदूरदर्शिता का पर्याय राजनीति

स्वतंत्र भारत में भी हिन्दू एक नंबर का नागरिक नहीं है। इसके पीछे स्वार्थ की राजनीति जिम्मेदार है। सत्ता, लोलुपता, अदूरदर्शिता का पर्याय राजनीति बन गई है। धर्मनिरपेक्ष देश का दर्जा देकर यहां धर्म को हर प्रकार से लांछित किया गया। एक तरफ पूरा विश्व हमारे वैदिक ज्ञान और अध्यात्म को मान्यता दे रहा है तो वहीं दूसरी ओर हमारे यहां ही इसके प्रति निराशावादी सोच है।   

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें