आरएसएस ने धर्म-अध्यात्म के साथ की मानवीय मूल्यों की रक्षा
आरएसएस के विभाग प्रचारक आनंद ने कहा कि संघ और उसकी शाखाओं की अनवरत साधना 92 वर्षों से चल रही है। तमाम राजनीतिक विरोधों के बावजूद संघ विश्व का सबसे बड़ा गैर राजनीतिक संगठन बना। संघ के चिंतन में धर्म,...
आरएसएस के विभाग प्रचारक आनंद ने कहा कि संघ और उसकी शाखाओं की अनवरत साधना 92 वर्षों से चल रही है। तमाम राजनीतिक विरोधों के बावजूद संघ विश्व का सबसे बड़ा गैर राजनीतिक संगठन बना। संघ के चिंतन में धर्म, अध्यात्म, मानवीय मूल्य और विश्व कल्याण की भावना रही है। यही वजह है कि राष्ट्र और हिंदू विरोधी शक्तियों के लिए संघ आज भी आंख की किरकिरी बना हुआ है।
शनिवार को विजयदशमी पर महानगर में कई जगह शस्त्र पूजन किया गया। इस दौरान विभाग प्रचारक आनंद ने कहा कि आज संघ 92 वर्ष का हो गया है। विश्व के सबसे बड़े संगठन के रूप में विख्यात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को विजयदशमी के दिन नागपुर में हुई थी। संघ के मूल में छिपी शक्ति ने इसे इतना बड़ा कर दिया कि आज यह बुद्धिजीवियों के ध्यानाकर्षण का केन्द्र है। संघ के प्रथम सरसंघ चालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 13 अक्टूबर, 1937 को विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के उद्देश्य के संबंध में कहा था कि संघ की स्थापना केवल स्वयं के उद्धार के लिए किया गया है। स्वयं का उद्धार करने के लिए जीवित रहना पड़ता है, जो समाज जीवित रहेगा वही समाज स्वयं का और दूसरों का उद्धार कर सकता है। संघ के प्रचार प्रमुख डॉ. शैलेश चौहान ने बताया कि विजयदशमी पर शहर में 13 जगह शस्त्र पूजन के कार्यक्रम हुए। 12 जगह पथ संचलन हुआ, जिसमें 1600 स्वयंसेवकों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में केसी गुप्ता, रमेश, अतुल खण्डेलवाल, हरीश कश्यप के अलावा शहर के विभिन्न गणमान्य लोग उपस्थित रहे।