मन में कुछ कर गुजरने की लगन हो तो वर्किंग आवर में भी काफी कुछ किया जा सकता है। इस बात को चरितार्थ किया है इज्जतनगर रेल कारखाना के एक आईटीआई इंजीनियर ने। विभाग के सीनियर टेक्नीशियन हंसनाथ राय ने महज तीन महीने में रेलवे के कबाड़ से ट्रेन ब्रेक सिस्टम टेस्टिंग मशीन बनाई है। अधिकारियों की जांच में भी मशीन का ट्रायल सफल रहा। मशीन बनने के बाद अब कारखाना को ट्रेन ब्रेक टेस्टिंग के लिए निजी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसके कारण कारखाना के साल में करीब 60 लाख रुपये बचेंगे।
मालूम हो कि इज्जतनगर मंडल रेल कारखाना अभी तक डेमू और ईएमयू ट्रेन के ब्रेक सिस्टम चेक कराने के लिए प्राइवेट कंपनियों का सहारा लेता था। इसके लिए रेलवे ने दो-तीन निजी कंपनियों से अनुबंध कर रखा था। कंपनी अपने इंजीनियर भेज कर मशीन से ब्रेक सिस्टम को चेक कराते थे। एक रेलगाड़ी के ब्रेक टेस्टिंग पर करीब पांच लाख रुपए का खर्च आता था। बताया जाता है कि सालभर में करीब 15 से 16 ट्रेनों का ब्रेक टेस्टिंग कराया जाता है। अब इज्जतनगर रेल कारखाना के पास खुद की ब्रेक बेंच टेस्टिंग मशीन हो गई है।
मैकेनिकल विभाग के सीनियर टेक्नीशियन हंसनाथ राय का कहना है कि जब कभी भी निजी कंपनियों को ब्रेक टेस्टिंग के लिए बुलाया जाता था तो उनके काफी नखरे झेलने होते थे। रेलवे का काफी पैसा भी खर्च होता था। ऐसे में करीब तीन माह पहले एक दिन उनके मन में विचार आया कि क्यों न खुद की बेंच टेस्टिंग मशीन को बनाया जाए। यह बात उन्होंने अपने साथ काम करने वाले तीन अन्य कर्मचारियों को भी बताई। इसके बाद उन्होंने कारखाने से ही मशीनों के पुराने कल पुर्जे जुटाने शुरू किए। फिर काम के दौरान ही समय निकालकर उन्हें मशीन का रूप दिया। प्रयोग करने के बाद जब यह सफल रहा तो इसकी जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई। अधिकारियों की टेस्टिंग में भी मशीन सही निकला। कारखाना प्रबंधक राजेश अवस्थी ने हंसनाथ राय की उपलब्धि पर उनकी काफी सराहना की।