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महिला आयोग पहुंचा बरेली कॉलेज का प्राचार्य विवाद, खबर में जाने क्या था मामला

बरेली कॉलेज में प्राचार्य पद को लेकर जारी खींचतान राष्ट्रीय महिला आयोग तक  पहुंच गई है। प्राचार्य न बनाए जाने से खफा डॉ. पूर्णिमा अनिल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर मानसिक उत्पीड़न...

महिला आयोग पहुंचा बरेली कॉलेज का प्राचार्य विवाद, खबर में जाने क्या था मामला
प्रमुख संवाददाता,बरेलीSun, 13 Oct 2019 03:37 PM
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बरेली कॉलेज में प्राचार्य पद को लेकर जारी खींचतान राष्ट्रीय महिला आयोग तक  पहुंच गई है। प्राचार्य न बनाए जाने से खफा डॉ. पूर्णिमा अनिल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इस मामले में जिला प्रशासन, विवि प्रशासन और कॉलेज को अब महिला आयोग नोटिस जारी कर जवाब मांगेगा। वहीं दूसरी ओर इस पूरे मामले में वरिष्ठता का नया झोल सामने आ गया है।

बरेली कॉलेज की वरिष्ठतम शिक्षक होने का दावा करते हुए डॉ. पूर्णिमा अनिल ने खुद को प्राचार्य न बनाए जाने के खिलाफ क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, डीएम और कुलपति और प्रत्यावेदन सौंपा था। दरअसल बरेली कॉलेज मैनेजमेंट ने प्राचार्य की कुर्सी डॉ. अनुराग मोहन को सौंप दी थी। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डीएम के आदेश पर मामले की जांच कर रहे हैं। पूर्व प्राचार्य से डॉ. पूर्णिमा अनिल को दरकिनार कर डॉ. अनुराग मोहन को प्राचार्य बनाने के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सोमवार तक पूर्व प्राचार्य को इस मामले में जवाब देना है। उधर डॉ. पूर्णिमा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है। इसे महिलाओं के सम्मान की बात कहते हुए कॉलेज प्रशासन पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप भी लगाया है। डॉ. पूर्णिमा ने उनको दरकिनार कर डॉ. अनुराग मोहन को प्राचार्य बनाने के फैसले को भी कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।  

एक बार बना सकते हैं, यहां तो बार बार बनाया

मैनेजमेंट ने उस नियम का हवाला दिया है जिसके तहत रेगुलर प्रिंसिपल के न होने पर मैनेजमेंट को अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी शिक्षक को तीन महीने के लिए कार्यवाहक प्राचार्य बना सकता है। तीन महीने के बाद सीनियर मोस्ट टीचर को प्रिंसिपल बनाना होगा। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर मैनेजमेंट कितने बार इस शक्ति का प्रयोग कर सकेगा। डॉ. आरपी सिंह रेगुलर प्रिंसिपल रहे। उनके रिटायरमेंट के बाद डॉ. सोमेश यादव को प्राचार्य बनाया गया। ऐसे में मैनेजमेंट ने एक बार शक्ति का प्रयोग कर लिया। नियम में एक बार ही शक्ति प्रयोग की बात लिखी है। जाहिर है इस नियम के अनुसार तो अब रेगुलर प्रिंसिपल के न होने पर वरिष्ठतम शिक्षक को प्राचार्य बनाया जाना चाहिए था पर मैनेजमेंट ने ऐसा नहीं किया और डॉ. अजय शर्मा के रिटायर होने पर के बाद डॉ. अनुराग को प्राचार्य बना दिया। जानकार इसे नियमानुसार गलत बताते हैं।

साथ ही यह भी कहते हैं कि आखिर मैनेजमेंट जब भंग है तो वह फैसले कैसे ले सकती है।
वरिष्ठता सूची भी विवादों में है। बरेली कॉलेज की विवादित वरिष्ठता सूची भी इस विवाद की एक प्रमुख जड़ है। पुरानी वरिष्ठता सूची में डॉ. पीके अग्रवाल सीनियर है जबकि संशोधित वरिष्ठता सूची में डॉ. पूर्णिमा अनिल सीनियर है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जब संशोधित वरिष्ठता सूची अभी बरेली कॉलेज ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी लागू नहीं की है तो पूरानी वरिष्ठता सूची ही प्रभावी है। 

मैने राष्ट्रीय महिला आयोग से शिकायत की है। मेरा मानसिक उत्पीड़न किया गया है। मैं सवाल उठाती हूं कि आखिर किस आधार पर मैनेजमेंट ने उनको दरकिनार किया। कहीं कोई नियम है या नहीं। जिन शक्तियों का हवाला देकर उनको प्राचार्य न बनाने का फैसला लिया गया। उसका आधार क्या है। कब, किसने और किन परिस्थितयों में यह फैसला लिया। यह बात सामने आनी चाहिए। 
-डॉ. पूर्णिमा अनिल, उप प्राचार्य, बरेली कॉलेज  

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