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एक किलो स्मैक के साथ एनसीबी ने तस्कर दबोचा

मेरठ से तस्करी करके बदायूं ले जाई जा रही स्मैक को एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की टीम ने फतेहगंज पश्चिमी स्थित टोल प्लाजा पर पकड़ लिया। तस्कर रोडवेज बस से इसे लेकर आ रहा था। गुरुवार को आरोपी को...

एक किलो स्मैक के साथ एनसीबी ने तस्कर दबोचा
हिन्दुस्तान संवाद ,बरेली Wed, 26 Jul 2017 11:12 PM
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मेरठ से तस्करी करके बदायूं ले जाई जा रही स्मैक को एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की टीम ने फतेहगंज पश्चिमी स्थित टोल प्लाजा पर पकड़ लिया। तस्कर रोडवेज बस से इसे लेकर आ रहा था। गुरुवार को आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

लखनऊ एनसीबी के इंटेलिजेंस अफसर अफसर भजन लाल को मुखबिर ने मंगलवार को सूचना दी कि बुधवार को मेरठ से तस्कर स्मैक लेकर बदायूं जाने वाला है। सूचना मिलने के बाद एनसीबी की टीम बुधवार सुबह बरेली आ गई और फतेहगंज पश्चिमी टोल प्लाजा पर घेराबंदी कर दी। दोपहर में मेरठ से आ रही बस को रोककर जब टीम ने तलाशी ली तो उसमें बैठे युवक के पास बैग में एक किलो स्मैक मिली। जिसके बाद टीम ने आरोपी हिरासत में ले लिया।

पूछताछ में पकड़े गए तस्कर ने बताया कि वह बदायूं के बिनावर स्थित फरीदपुर गांव का रहने वाला है। उसका नाम शानू खान है। उसने एनसीबी को बताया कि वह गांव के ही राशिद रजा के लिए काम करता है। एनसीबी ने आरोपी के खिलाफ अपने विभाग में मुकदमा दर्ज कर उसे बुधवार देर रात कोतवाली पुलिस को सौंप दिया। गुरुवार सुबह उसे एनसीबी की टीम अपनी सुरक्षा में कोर्ट में पेश करेगी। तस्कर को गिरफ्तार करने वालों में टीम प्रभारी भोजराज सिंह, जेपी सिंह, सुजीत कुमार, पंकज सिंह और विष्णु मीणा शामिल है। 

मेथाकुलेन नाम का है स्मैक
एनसीबी के लोगों ने बताया कि जिस स्मैक को उन्होंने बरामद किया है वह मेथाकुलेन नाम का है। इसका नशा और स्मैकों से कहीं ज्यादा होता है। इसका नशा दिमाग को सुन्न कर देता है। 

शाहिद रजा पर दर्ज है पहले मुकदमा 
एनसीबी टीम प्रभारी भोजराज ने बताया कि शाहिद रजा पर पहले भी एक मुकदमा एनडीपीएस का कायम है। उस समय उसके पास से टीम ने दो किलो से ज्यादा स्मैक बरामद की थी। जिसके बाद वह चार साल तक जेल में था। कुछ समय पहले ही वह छूटा था। 

हर चक्कर के मिलते थे तीस हजार
शानू ने बताया कि वह मेरठ से स्मैक की खेप लेकर बदायूं शाहिद रजा के पास पहुंचाता था। इसके लिए उसे हर चक्कर के तीस हजार रुपये दिए जाते थे। साथ ही होटल में रहने और खाने के लिए अलग से रुपया दिया जाता था।

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