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जूते-मोजे ही नहीं यहां तो सरकारी बस्ते भी फट गए

मिड डे मील में घोटाला कर बच्चों का हक छीनने वाले अधिकारियों ने बस्तों की रकम में भी गोलमाल कर दिया। परिषदीय स्कूलों में चंद महीने पहले बांटे गए जूते और मोजों के साथ बस्ते भी फट गए...

जूते-मोजे ही नहीं यहां तो सरकारी बस्ते भी फट गए
हिन्दुस्तान टीम,बरेलीFri, 06 Apr 2018 12:50 PM
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मिड डे मील में घोटाला कर बच्चों का हक छीनने वाले अधिकारियों ने बस्तों की रकम में भी गोलमाल कर दिया। परिषदीय स्कूलों में चंद महीने पहले बांटे गए जूते और मोजों के साथ बस्ते भी फट गए हैं। अधिकारियों की इस करतूत से बच्चे खासे मायूस हैं।

आम तौर पर कोई भी स्कूली बैग कम से कम दो सत्र तक बड़ी आसानी से चल जाता है। परिषदीय स्कूलों में ऐसा नहीं हुआ। यहां तो वितरण के चंद दिन बाद ही बैग फटने शुरू हो गए। सत्र खत्म होते होते तो बस्तों में चिथड़े साफ नजर आने लगे। नए सत्र में बच्चे जैसे तैसे इन फटेहाल बस्तों में अपनी किताबें रखकर ला रहे हैं। कुछ के बस्ते तो इतने ज्यादा फट चुके हैं कि उनमें किताबें रखना सम्भव ही नहीं हैं।

शिक्षक नेता नरेश गंगवार कहते हैं कि शासन स्तर से बस्ते खरीद कर भेजे गए थे। इसी लिए अब सब चुप हैं। जबकि इसमें बड़े घोटाले के साफ संकेत मिल रहे हैं। अगर सही से जांच हो तो कई लोग नप जाएंगे। शिक्षक नेता विनोद शर्मा ने कहा कि बैग बांटने की योजना काफी अच्छी थी। अगर इसमें कमीशनखोरी नहीं हुई होती तो बच्चों को इसका सही लाभ मिल पाता।

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