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सठियाता कोई नही बुढापे में, ये है अल्जाइमर का इशारा

अच्छी बात भी बुरी लग जाना, चिड़चिड़ापन होना और नहाना-खाना भी भूल जाना, ये बुढापे में सठिया जाना नही बल्कि अल्जाइमर की बीमारी है। नई बातें, हाल ही में परिचित हुए लोग और पासवर्ड जैसी चीजें अचानक भूल जाना...

सठियाता कोई नही बुढापे में, ये है अल्जाइमर का इशारा
वरिष्ठ संवाददाता,बरेलीFri, 20 Sep 2019 04:42 PM
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अच्छी बात भी बुरी लग जाना, चिड़चिड़ापन होना और नहाना-खाना भी भूल जाना, ये बुढापे में सठिया जाना नही बल्कि अल्जाइमर की बीमारी है। नई बातें, हाल ही में परिचित हुए लोग और पासवर्ड जैसी चीजें अचानक भूल जाना अल्जाइमर बीमारी का पहला लक्षण माना जाता है। आमतौर पर यह बीमारी अधेड़ अवस्था के बाद शुरू होती है और तभी इसके लक्षण भी दिखने आरंभ होते हैं। आज की लाइफ स्टाइल में अल्जाइमर एक बड़ी बीमारी का रूप ले चुकी है जिसका अभी तक  कोई सटीक इलाज नहीं है। डॉक्टरों के परामर्श और सही इलाज से इसका प्रभाव काफी हद तक कम किया जा सकता है।

अल्जाइमर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। जिला अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डॉ आशीष कुमार ने बताया कि पहले अल्जाइमर बीमारी को लोग उतनी गंभीरता से नहीं लेते थे और इसी बुढ़ापे का आम लक्षण बता दिया जाता था। दरअसल यह मस्तिष्क की कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तन के कारण पैदा होती है। अल्जाइमर बीमारी से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है शुरुआत में ही इसके लक्षण को पहचानना। अगर अल्जाइमर बीमारी के लक्षण प्रारंभ में ही पकड़ में आ जाएं तो काफी हद तक इस बीमारी के प्रभाव को दूर किया जा सकता है। वैसे तो आमतौर पर यह वृद्धावस्था की बीमारी कही जाती है लेकिन युवा और अधेड़ उम्र के लोगों में भी अल्जाइमर के मामले सामने आ रहे हैं।

अल्जाइमर की करें पहचान

शुरुआती लक्षणों में तुरंत कही बातों को बार-बार याद करना मुश्किल होता है। साथ ही नई चीजों को समझने की क्षमता में कमी आने लगती है। मन मे भटकाव होता है और एक ही बात को बार बार पूछना भी इसका लक्षण है। पढ़ने में मन नही लगता और चीजें रखकर भूल जाते हैं। रोगी को ठीक से नींद भी नही आती है।

अल्जाइमर की तीन श्रेणियां

हल्का अल्जाइमर – यह अल्जाइमर रोग का प्रारंभिक चरण है। व्यक्ति इसके प्रारंभिक चरण में ज्ञान-संबंधी सभी चीजों को याद रखने में असमर्थ हो जाता है। जैसे बिलों का भुगतान करना, कठिन कार्यों को करना आदि।

मध्यम अल्जाइमर –  व्यक्ति की याददाश्त में कमी आने लगती है। इसमें सबसे ज्यादा मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है जिसमें इसके लक्षण अधिक बढ़ जाते हैं।
गंभीर अल्जाइमर – अंतिम चरण के दौरान, पट्टिकाओं और गांठों के फैलने के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। जो लोग इस स्थिति तक पहुंच जाते हैं वे आम तौर पर बिस्तर पकड़ लेते हैं और बातचीत करने में असमर्थता महसूस करने लगते हैं।

पूरी तरह सही नही होती बीमारी

डाक्टर आशीष ने बताया कि अल्जाइमर रोग को सही नही किया जा सकता, बस इसका प्रभाव बढ़ने से रोका जा सकता है। हर सप्ताह 70 से अधिक रोगी आते हैं। उनके परिवार की भी काउंसिलिंग की जाती है। इस बीमारी में 70 फीसदी भूमिका दवाओं की होती है।

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