नेपाली बच्चों का परिवार मिला, अपने देश लौटेंगे मासूम
हिन्दुस्तान ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मार्च में नेपाल से बरेली आए चार मसूमों की हकीकत दिखाई तो उनको घर भेजने के प्रयास शुरू हो...

हिन्दुस्तान ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मार्च में नेपाल से बरेली आए चार मसूमों की हकीकत दिखाई तो उनको घर भेजने के प्रयास शुरू हो गए। नेपाली दूतावास एक्शन में आया। प्रवासी-नेपाली मित्र मंच ने चारों बच्चों के घर का पता लगा लिया। तीन बच्चे कोहलपुर नगर पालिका के एक ही वार्ड के निकले, जबकि एक मासूम दूसरे जिले का है। कोहलपुर से अपने बच्चों को लेने के लिए वार्ड के अध्यक्ष के साथ परिवार वाले बरेली आ रहे हैं। हालांकि बाल कल्याण समिति ने बगैर नेपाल के दूतावास के पत्र के बगैर सीधे बच्चे सौंपने से इनकार कर दिया है।
नेपाल से मार्च में 15 साल का लड़का पहले बरेली पहुंचा था। बाल कल्याण समिति ने उसके अनाथालय भेज दिया। एक सप्ताह बाद तीन और नेपाल के मासूम चाइल्ड लाइन को मिले। बच्चों की उम्र नौ साल, सात और पांच साल है। पांच साल की बच्ची है। इन तीनों बच्चों को भी बाल कल्याण समिति के आदेश पर ही अनाथालय में रखा गया है। हिन्दुस्तान ने करीब साढे तीन महीने से अनाथालय में रह रहे नेपाली बच्चों की सच्चाई दिखाई। डीपीओ ने एससीपीसीआर को पूरे मामले की जानकारी भेजी। जबकि बाल कल्याण समिति के मजिस्ट्रेट ने नेपाल दूतावास और प्रवासी-नेपाली मित्र मंच को बच्चों की जानकारी भेजी। ई-मेल के जरिए बच्चों के ब्यौरा भेजा गया। नेपाल के दूतावास और प्रवासी-नेपाली मित्र मंच ने कार्रवाई शुरू की। दो दिन में चारों बच्चों का परिवार का पता कर बाल कल्याण समिति को डिटेल भेज दी। बच्चों को परिवार वालों को सुपुर्द करने से पहले कानून पहलुओं को देखा जा रहा है।
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चारों बच्चों के घर वालों का पता प्रवासी-नेपाली मित्र मंच ने लगा लिया है। मंच ने बच्चों के परिवार के बारे में डिटेल भेजी है। नेपाल के दूतावास का पत्र आने के बाद भी बच्चे परिवार वालों को सुपुर्द किए जा सकेंगे। ऐसे मामलों में दूतावास की संस्तुति जरूरी है।
- डा. डीएन शर्मा, मजिस्ट्रेट सीडब्ल्यूसी
