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आईवीआरआई पुल में मनमानी, एनईआर जीएम ने बैठाई जांच

पूर्वोत्तर रेलवे निर्माण विंग के अफसरों की मनमानी के कारण आईवीआरआई ओवरब्रिज अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। डिजाइन में कमी जानते हुए भी काम कराते रहने और लोगों की जान से खिलवाड़ करने के मामले को...

आईवीआरआई पुल में मनमानी, एनईआर जीएम ने बैठाई जांच
हिन्दुस्तान टीम,बरेलीSun, 02 Jun 2019 03:25 PM
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पूर्वोत्तर रेलवे निर्माण विंग के अफसरों की मनमानी के कारण आईवीआरआई ओवरब्रिज अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। डिजाइन में कमी जानते हुए भी काम कराते रहने और लोगों की जान से खिलवाड़ करने के मामले को पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय ने गंभीरता से लेते हुए जांच बैठा दी है। जांच में ये बिंदु भी शामिल किए जाएंगे कि किन परिस्थितियों में डिजाइन में कमी की गई और कमी जानते हुए भी अफसर चेते क्यों नहीं।

आईवीआरआई ओवरब्रिज के निर्माण में रेलवे अफसरों की लापरवाही को उजागर करते हुए हिन्दुस्तान ने 30 मई के अंक में आईवीआरआई पर खतरों का पुल बना रहा है रेलवे शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय के अफसरों ने भी निर्माण विंग के स्थानीय अफसरों की भूमिका पर नाराजगी व्यक्त की है। सूत्रों ने बताया कि मामले की सूचना पूर्वोत्तर रेलवे जीएम तक पहुंच गई है। उन्होंने भी हिन्दुस्तान की खबर का संज्ञान लेकर मामले की जांच का आदेश दिया है।

ओवरब्रिज की प्लानिंग में डिजाइन के हर पहलू पर सतर्कता बरतने के बजाय लापरवाही क्यों की गई और पुल निर्माण में देरी की वजह क्या रही? जांच में इन बिंदुओं को मुख्य रूप से शामिल किया गया है। पिछले साल तत्कालीन जीएम ने शहर विधायक के सामने पुल की प्रगति के बारे में पूछा तो डिप्टी चीफ इंजीनियर निर्माण ने कहा कि दिसंबर तक कार्य पूरा हो जाएगा। लेकिन, दिसंबर कब का बीत चुका है और निकट छह माह में भी ओवरब्रिज के पूरा होने के आसार नहीं दिख रहे। जांच में इस बात का भी जवाब मांगा जाएगा।

ये लापरवाही की अफसरों ने

जब गार्डर का निर्माण हो रहा था, उस वक्त बरेली के अफसरों ने निरीक्षण नहीं किया। 60 हजार किलो का गार्डर बनकर तैयार हो गया तो पता चला कि उसका डिजाइन गलत है। अगर कोई जुगाड़ करके इस गार्डर को लगा भी दिया जाता तो भार बढ़ने पर पुल ढह सकता था। साढ़े चार साल से बरेली में कैसे टिके अफसर : जांच में यह बिंदु भी शामिल किया गया है कि साढ़े चार साल तक अफसर एक ही जगह पर कैसे टिके। जबकि अफसरों की एक जगह पर अधिकतम तैनाती सीमा तीन वर्ष है। आखिर उन्होंने अपने कार्यकाल में कौन से उल्लेखनीय कार्य किए, इसका भी ब्योरा मांगा जाएगा। आईवीआरआई पुल तय समय पर क्यों नहीं बन पाया, इसका भी जवाब मांगा जाएगा। जानकारी मिली है कि निर्माण विंग के अफसर का जब-जब तबादला हुआ, उन्होंने सेटिंग करके रुकवा लिया।

नई डिजाइन या नई तकनीक का इस्तेमाल होगा

सूत्रों का कहना है कि आईवीआरआई पुल में स्थानीय अफसर की वजह से जो देरी हो रही है। उसमें अब तीन बिंदुओं पर चर्चा हो रही है। पहला गार्डर ही बदल दिए जाएं। इसमें समय और धन का खर्च लापरवाह अफसरों से वसूलने की बात चल रही है। दूसरा बिंदु है, नया डिजाइन तैयार कराया जाए या फिर नई तकनीक का प्रयोग करके पुल को चालू किया जाए। नई तकनीक में छेद की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन छेदों को बंद कर दिया जाएगा और इसकी जगह नई तकनीक से बियरिंग लगाई जाएगी। अब विशेषज्ञ तय करेंगे कि क्या ठीक रहेगा।

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