बरेली का इकलौता घर, जहां संस्कृत में बात करते है परिजन
Bareily News - बरेली के डॉ. श्वेतकेतु शर्मा का परिवार संस्कृत में बातचीत करता है, जो एक अद्भुत परंपरा को दर्शाता है। उनकी मां, डॉ. सावित्री देवी शर्मा, संस्कृत की विदुषी थीं और परिवार ने उनकी सीख को आगे बढ़ाया है।...

इंग्लिश-हिंग्लिश के वर्चस्व के बीच बरेली में एक ऐसा परिवार भी है जो संस्कृत में ही बातचीत करता है। यह सुनकर आपको भले आश्चर्य हो मगर यह सत्य है। डॉ. श्वेतकेतु शर्मा के घर पर सभी लोग आपस में संस्कृत में ही बात करते हैं। यह संस्कार डॉ. श्वेतकेतु को अपनी मां वेद भारती डॉ. सावित्री देवी शर्मा वेदाचार्या से मिले। आयुर्वेद के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. श्वेतकेतु शर्मा और उनका परिवार संस्कृत संभाषण को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। डॉ. श्वेतकेतु शर्मा बताते हैं, उनकी मां डॉ. सावित्री देवी शर्मा पांच विषय में आचार्य, दो विषय में एमए व पीएचडी थी। वो विश्व की प्रथम महिला वेदाचार्या, विश्व की चतुर्थ आर्य महिला विदुषी, शतपथ ब्राह्मण की भाष्यकार, शतपथ के प्रतीक नामक विशाल ग्रन्थ की रचयिता, वैदुष्य से ओत प्रोत, वेदों की प्रकांड विदुषी, सम्पूर्ण देश में वेदों के उपदेशों से जन जन में वैदिक क्रांति करने वाली महिला थी। उनके कारण हमारी पारिवारिक मातृ भाषा संस्कृत रही। बचपन से ही सभी लोग आपस में संस्कृत में ही बोलते थे। वर्ष 2005 में माता जी का निधन हो गया। माताजी भले हमारे बीच में नहीं है मगर उनके संस्कार संस्कृत के रूप में जीवित हैं।
चौथी पीढ़ी भी निभा रही परम्परा
गुलाब नगर के केला बाग में रह रहे डॉ. श्वेतकेतु शर्मा बताते हैं, मेरे भाई स्व. कवि क्रतु शर्मा और शतक्रतु शर्मा भी संस्कृत में ही बातचीत करते थे। बाद में तीसरी पीढ़ी में मेरे दोनों पुत्र ज्योतिर्वसुशर्मा और वेद वसु शर्मा इंजीनियर होने के बाद भी यह परंपरा निभा रहे। मेरी पत्नी उषा शर्मा का भी इसमें बड़ा योगदान रहा। चौथी पीढ़ी में मेरा पौत्र वीयांश भी संस्कृत संभाषण का क्रम आगे बढ़ा रहा है। हम सामान्य बोलचाल के साथ संस्कृत के गीत, श्लोक, छोटे छोटे वाक्यों आदि का प्रयोग वीयांश के साथ करते हैं ताकि उनका पौत्र भी अपनी परदादी की संस्कृत भाषा को मातृभाषा बनाने के संकल्प को पूरा कर सके।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।