1998 में एसटीएफ के एनकाउंटर में मारे गये पूर्वांचल के माफिया डॉन श्री प्रकाश शुक्ला 22 साल बाद भी सोशल मीडिया पर जिंदा है। आतंक के पर्याय रहे बाहुबली श्री प्रकाश शुक्ला के नाम से दर्जनों फेसबुक आईडी चल रही हैं। इसमें उसकी प्रोफाइल पिक्चर का भी इस्तेमाल किया गया है। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से लेकर कई माफिया डॉन के साथ उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गई हैं। फेसबुक एकाउंट को बाकायदा संचालित किया जा रहा है।
जरायम की दुनिया के डॉन से प्रभावित होकर इन्हें अपना आईडल मानने वाले युवाओं ने फेसबुक पर कई मोस्ट वांटेड रहे अपराधियों की प्रोफाइल फोटो का इस्तेमाल किया है। प्रदेश में बरेली, लखनऊ, गोरखपुर, बस्ती, गाजियाबाद और गोंडा में श्रीप्रकाश शुक्ला की फेसबुक प्रोफाइल को युवा सर्च कर रहे हैं। कई तो उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल हैं। फेसबुक पर सर्च करने पर डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला की कई प्रोफाइल सामने आ जाती है। कई लोग इसकी प्रोफाइल को स्टाइल दिखाने के लिये बना रहे हैं। इस पर सोशल मीडिया में काफी कमेंट किये जा रहे हैं। जैसे रेलवे के ठेकों का बादशाह, जुर्म की दुनिया का बॉस, पूर्वांचल का शेर, माफिया डान, बाहुबली जैसे तमगों से नवाजा गया है।
श्रीप्रकाश के लिये ही हुआ था एसटीएफ का गठन
चार मई 1998 को श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिये ही एसटीएफ का गठन किया गया था। 1998 तक श्रीप्रकाश का नाम देश के साथ ही विदेश में भी गूंजने लगा था। अपहरण, रंगदारी, कब्जे जैसे मामलों के अलावा बड़े हाई प्रोफाइल लोगों की हत्या में शामिल होने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिये स्पेशल सेल का गठन हुआ था।
1993 में की थी पहली हत्या, गया था बैंकॉक
1993 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने 20 साल की उम्र में उसकी बहन के साथ कॉलेज से लौटते समय छेड़छाड़ करने वाले एक श्ख्स की पीटकर हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि वह शख्स विधायक वीरेन्द्र शाही का ही आदमी था। इसके बाद उसे एक नेता की मदद से बैंकॉक भेज दिया गया। बाद में श्री प्रकाश ने पूर्व विधायक वीरेन्द्र शाही की हत्या, बिहार के एक मंत्री की हत्या कर दी। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी लेने के बाद श्री प्रकाश शुक्ला की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी।
बरेली रेंज के डीआईजी ने किया था श्रीप्रकाश का एनकाउंटर
वर्तमान में बरेली रेंज के डीआईजी राजेश पांडेय ने ही श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर किया था। श्रीप्रकाश शुक्ला ने लखनऊ में एसपी सिटी के पेशकार की नौ सितंबर 1997 में दारुल सफा के बाहर गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद एसटीएफ ने गाजियाबाद में ट्रेस कर उसके एनकाउंटर का प्लान बनाया। एसटीएफ के प्रभारी रहे एसएसपी अरुण कुमार झा और डीआईजी राजेश पांडेय की टीम ने 23 सितंबर 1998 को श्री प्रकाश शुक्ला उसके साथी अनुज सिंह, सुधीर त्रिपाठी और भरत नेपाली को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया।