लॉकडाउन में 70 फीसदी लोगों का बिगड़ा रूटीन, कोई ज्यादा सोने से परेशान तो किसी को नहीं आ रही नींद
लाकडाउन-4 चालू हो गया है और लोग अब इसके साथ तालमेल बैठाने की पूरजोर कोशिश कर रहे हैं। नई आदतों के साथ रहना, कई पुरानी आदतों से फिलहाल तौबा भी कर चुके हैं। लेकिन लाकडाउन-4 आते-आते जो स्वास्थ्य संबंधी...
लाकडाउन-4 चालू हो गया है और लोग अब इसके साथ तालमेल बैठाने की पूरजोर कोशिश कर रहे हैं। नई आदतों के साथ रहना, कई पुरानी आदतों से फिलहाल तौबा भी कर चुके हैं। लेकिन लाकडाउन-4 आते-आते जो स्वास्थ्य संबंधी जो सबसे बड़ी परेशानी सामने आई है, वो है स्लीप पैटर्न डिस्टर्बनेंस यानि नींद का रूटीन गड़बड़ हो जाना।
चौंकाने वाली बात है कि इस लाकडाउन में करीब 70 फीसदी लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं और उसमें से अधिकांश को न तो इसका कोई अंदाजा है औ न ही वजह का। एक तरफ उनकी आंख से नींद दूर है तो दूसरी तरह मन अशांत। स्वास्थ्य विभाग ने इस परेशानी को दूर करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है और सभी मेंटल हेल्थ सेंटरों पर इसकी जानकारी भी दी जा रही है।
बेड देखकर दिमाग में कन्फ्यूजन : सुनने मेंं अजीब लगता है लेकिन है सच, बिस्तर देखकर दिमाग में सोने का सिग्नल जाता है। लाकडाउन में बेड पर अधिक देर बैठने, लैपटाप-मोबाइल चलाने, खाना खाने की वजह से दिमाग में कन्फ्यूजन हो गया। यही कन्फ्यूजन स्लीप पैटर्न डिस्टर्बनेंस की बड़ी वजह है। मोबाइल से दिमाग में फूटे पटाखे : मोबाइल और टीवी अधिक देर तक देखने पर दिमाग में बिलकुल पटाखे जैसे पटते हैं, एक हलचल सी मची रहती है। लाकडाउन में लोगों ने मोबाइल का जमकर इस्तेमाल किया और दिमाग अशांत होने से नींद उड़ गई।
लाकडाउन में धूप देखी कम : वैज्ञाानिक तथ्य है कि जो लोग धूप नहीं देखते या कम देखते हैं, उनको नींद कम आने की परेशानी होती है। लाकडाउन में लोग घरों से बाहर कम निकले और इसकी वजह से स्लीप पैटर्न डिस्टर्बनेेंस का शिकार हुए।
भरपूर नींद के उपाय
- सूर्यास्त के बाद डिजिटल डिवाइस का कम से कम उपयोग करें-
- सोने से करीब एक घंटा पहले मोबाइल, टीवी और लैपटाप का उपयोग न करें
- रोजाना थोड़ी देर धूप में रहें। अगर नींद न आने की परेशानी अधिक हो तो ध्यान भी कारगर है।
- सोने से पहले चाय-काफी का सेवन कतई न करें।
लाकडाउन में करीब 70 फीसदी लोगों में स्लीप पैटर्न डिस्टर्बेन्स की समस्या देखने को मिली है। रोजाना 40 से अधिक फोन भी हेल्प लाइन पर आ रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम ने स्लीप पैटर्न सही करने के लिए कई प्वाइंट पर काउंसिलिंग का निर्देश दिया है। डा. आशीष कुमार, मानसिक रोग विशेषज्ञ