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गणेश चतुर्थी पर नहीं होगा भद्रा का प्रभाव, रखें इन बातों का ध्यान

गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितंबर को मनाया जाएगा। भगवान गणेश जीवन के कष्ट दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। किसी शुभ कार्य का आरंभ गणेश वंदना से करने का विधान है। ज्योतिष गणना कहती है कि इस बार गुरूवार...

गणेश चतुर्थी पर नहीं होगा भद्रा का प्रभाव, रखें इन बातों का ध्यान
हिन्दुस्तान टीम,बरेलीTue, 11 Sep 2018 12:49 PM
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गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितंबर को मनाया जाएगा। भगवान गणेश जीवन के कष्ट दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। किसी शुभ कार्य का आरंभ गणेश वंदना से करने का विधान है। ज्योतिष गणना कहती है कि इस बार गुरूवार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी, गणेश चतुर्थी स्वाती नक्षत्र में है। इस दिन भ्रदा 12 सितम्बर की मध्य रात्रि 03:24 से प्रारम्भ होकर 13 सितम्बर दोपहर 02:54 मिनट तक रहेगी। गणेश जी का जन्म भी भद्रा काल मे हुआ था। अत: भद्रा का प्रभाव नगण्य रहेगा। राहूकाल मे गणेश स्थापना पूर्ण रूप से वर्जित रहेगी।

बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा ने बताया कि इस दिन की विशेष बात स्वाती नक्षत्र के साथ ही चन्द्रमा का तुला राशि मंे गुरूदेव बृहस्पति के साथ होना, प्रबल गजकेशरी योग बन रहा है। इस दिन शुक्र भी स्वयं अपनी तुला राशि में विद्यमान रहकर राजयोग का निर्माण भी कर रहा है। अत: इस दिन पूूजा पाठ का विशेष फल गणेश जी की पूजा, स्थापना में भक्तो को प्राप्त होगा।

ऐसे करें पूजन

एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर उसमें मिट्टी, धातू, सोने अथवा चांदी की मूर्ति, ध्यान आवाहन के बाद रखनी चाहिए। ऊं गं गणपतये नम: कहते हुये उपरोक्त पूजन सामग्री गणेशजी पर चढ़ायें। एक पान के पत्ते पर सिन्दूर में हल्का सा घी मिलाकर स्वास्तिक चिन्ह बनायें, उसके मध्य में कलावा से पूरी तरह लिपटी हुई सुपारी रख दें। इन्हीं को गणपति मानकर एवं मिट्टी की प्रतिमा भी साथ में रखकर पूजन करें, गणेश जी के लिए मोतीचूर का लड्डू (5 अथवा 21) अवश्य चढ़ायें। लड्डू के साथ गेहूं का परवल अवश्य चढ़ायें, धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़, नारियल, तिल एवं पके हुये केले का भी भोग लगायें। अन्त में देशी घी में मिलकार हवन सामग्री के साथ हवन करें एवं अन्त मंे गणेशजी की प्रतिमा के विसर्जन का विधान करना उत्तम माना गया है।

इसका रखे ध्यान

- गणेशजी की पूजा सायं काल की जानी चाहिए, पूजनोपरान्त चन्द्रमा को अर्य देकर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।

- घर में तीन गणेशजी की पूजा नहीं करनी चाहिए।

- यदि चन्द्र दर्शन हो जायें तो मुक्ति के लिए हरिवंश भागवतोक्त स्यमन्तक मणि के आख्यान का पाठ भी करना चाहिए।

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