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सछास के दबाव में बरेली कॉलेज प्रशासन ने बदल दिया दाखिले का प्रारूप

एलएलबी मेरिट लिस्ट के प्रारूप को विरोध-प्रदर्शन कर रहे सछास छात्रनेताओं के आगे बरेली कॉलेज प्रशासन ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। जिस मेरिट को खुद कुलसचिव ने सही बताया था उस मेरिट के प्रारू प को...


सछास के दबाव में बरेली कॉलेज प्रशासन ने बदल दिया दाखिले का प्रारूप
हिन्दुस्तान टीम,बरेलीFri, 27 Jul 2018 02:00 AM
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एलएलबी मेरिट लिस्ट के प्रारूप को विरोध-प्रदर्शन कर रहे सछास छात्रनेताओं के आगे बरेली कॉलेज प्रशासन ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। जिस मेरिट को खुद कुलसचिव ने सही बताया था उस मेरिट के प्रारू प को प्राचार्य ने सछास छात्रनेताओं के भारी हंगामे के दबाव में बदल दिया। अब पहले ओपन मेरिट के एडमिशन पूरे होंगे फिर अन्य कैटगरी की मेरिट जारी होगी। इसके पीछे गतिरोध दूर करने की दलील दी गई। वहीं अब मेरिट प्रारूप बदलने पर एबीवीपी ने भी मोर्चा खोल दिया और कहा कि दो कोर्स में मेरिट के अलग-अलग नियम नहीं चलेंगे।

सछास की ओर से एलएलबी मेरिट के प्रारुप पर सवाल खड़े किए जाने के बाद प्राचार्य ने विवि से मेरिट का परीक्षण कराया था। कुलसचिव ने एलएलबी मेरिट को क्लीनचीट दे दी थी। गुरुवार को एलएलबी में एडमिशन बोर्ड बैठा और दाखिले शुरू किए गए। इसपर समाजवादी छात्रसभा के छात्रनेता लॉ विभाग में धमक पड़े। विवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह यादव, बरेली कॉलेज में पूर्व छात्रसंघ महामंत्री हृदेश यादव, अनूप यादव, वैभवगंगवार, अरुण यादव सहित बरेली कॉलेज और विश्वविद्यालय के कई पुराने छात्रनेता भी मेरिट का विरोध करने लगे। वहां एबीवीपी के जिला संगठन मंत्री राहुल चौहान, गोरव यादव, नितेश पाल सहित 100 कार्यकर्ता भी लॉ विभाग पहुंचे। सछास मेरिट का प्रारुप बदले की मांग पर अड़ी थी, एबीवीपी मेरिट में बदलाव के खिलाफ थी। इसको लेकर सछास और एबीवीपी छात्रनेताओं में कहासुनी हुई। यहां तक कि मारपीट की भी नौबत आ गई।

प्राचार्य का घंटों घेराव

सछास छात्रनेताओं ने प्राचार्य डॉ. अजय शर्मा को उनके कार्यालय में ही घेर लिया। पुलिस पहुंची पर उनको अंदर नहीं आने दिया गया। कई घंटे सछास का प्राचार्य कार्यालय में कब्जा रहा। सछास नेताओं ने एलएलबी की मेरिट को गलत बताया। कहा कि कॉलेज ओपन, ओबीसी, एससी-एसटी और वूमन कोटा का एडमिशन एक साथ कर रहा है, यह गलत है। पहले ओपन मेरिट के एडमिशन पूर हों फिर ओबीसी-एससी-एसटी और वूमन सहित दूसरे सबकोटा के एडमिशन किए जाएं। इसको लेकर छात्रनेता कभी जमीन पर बैठते तो कभी उठकर टेबल थपथपाने लगे। प्राचार्य के खिलाफ जमकर अपशब्दों का प्रयोग हुआ। सछास ने आरक्षण नियमावली भी प्राचार्य को थमा दी।

प्राचार्य ने लॉ विभाग के एडमिशन बोर्ड को बुलाया और हो गया फैसला

प्राचार्य डॉ. अजय शर्मा ने एडमिशन बोर्ड के सदस्यों को बुलाया। इसमें डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. डीके सिंह, डॉ. नसीम अख्तर शामिल हुए। सछास नेताओं के दबाव में मेरिट का प्रारुप बदले का फैसला लिया। यह जानते हुए भी कि इसी मेरिट के आधार पर यूजी और पीजी के एडमिशन हो चुके हैं। विवाद यही से शुरू हो गया। एडमिशन बोर्ड ने जो आदेश जारी किया है उसमें गतिरोध खत्म करने का हवाला दिया गया। तय हुआ कि एलएलबी की 320 सीटों में से ओपन रैंक (1-112) और वूमन कोटा 20 प्रतिशत (32 सामान्य वर्ग की छात्राएं) 5 प्रतिशत आर्म्ड फोर्स सामान्य, 3 प्रतिशत दिव्यांग और दो प्रतिशत फ्रीडम फाइटर कोटे सहित 160 अभ्यर्थियों के प्रवेश शुक्रवार को होंगे। कोई छात्र छूटेगा तो 28 जुलाई तक ही प्रवेश होंगे। 30 को पहले ओपन कैटगरी में बची सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। 30 को ही ओबीसी व एससी वर्ग में प्रवेश होंगे। ओबीसी एससी के बचे छात्रों के एडमिशन अब 31 को होंगे।

एबीवीपी का विरोध एक कॉलेज में एडमिशन के दो नियम नहीं चलेंगे

एबीवीपी ने फैसले का विरोध करते हुए प्राचार्य कक्ष में जबरदस्त प्रदर्शन कर दिया। गौरव यादव, नितेश पाल सहित सैकड़ों एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने प्राचार्य कक्ष में हंगामा काटा। कहा कि सछास के दबाव में आकर एलएलबी में मेरिट का प्रारूप बदला गया है। ऐसे में अब या तो स्नातक व परास्नातक में भी इसी नई पद्धति के तहत एडमिशन फिर से कराए जाएं, या फिर एलएलबी की मेरिट के प्रारुप में बदलाव न किया जाए और जैसे यूजी-पीजी में हुए उसकी तरह से मेरिट जारी एलएलबी के एडमिशन हों। एबीवीपी ने ऐलान कर दिया कि शुक्रवार को एडमिशन नहीं होने दिए जाएंगे।

यूजी-पीजी में इस तरह से हुए थे दाखिले

बरेली कॉलेज ने स्नातक व परास्नातक में मेरिट में सभी कैटगरी के एडमिशन एक साथ जारी रखे थे। ओपन कैटगरी, ओबीसी, एससी, के साथ हर कैटगरी की सब कैटगरी जैसे कि वूमन, एफएफ, डीएफ, पीएच कोटा के एडमिशन साथ चले। अब पहले ओपन मेरिट के एडमिशन पूरे होने के बाद ही ओबीसी और एससी के एडमिशन बरेली कॉलेज करेगा।

31 जुलाई तक कैसे निपटेंगे दाखिले

बरेली कॉलेज में छात्रों के हंगामे के कारण मेरिट व एडमिशन का प्रारुप बदला गया। स्नातक व परास्नातक में एडमिशन हो चुके हैं, अब एलएलबी के लिए प्रारुप बदला गया है। विवाद यह है कि कॉलेज में अलग-अलग कोर्स के लिए क्या एडमिशन करने के तौर-तरीके बदल दिए जाएंगे। ऐसा किया गया तो क्या अब फिर से स्नातक व परास्नातक के एडमिशन होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा संभव नहीं क्योंकि 31 जुलाई एडमिशन की आखिरी तारीख है। ऐसे में एलएलबी में मेरिट के प्रारुप को बदलने पर पूरी प्रवेश प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।

विवाद के पीछे एडमिशन

एलएलबी में इस साल एडमिशन के लिए छात्रनेताओं की फौज लगी हुई है। बरेली कॉलेज और विवि से जुड़े सभी नए पुराने छात्रनेताओं ने एलएलबी में आवेदन कर रखा है।सूत्र बताते हैं कि कई छात्रनेता मेरिट से बाहर हो गए हैं। ऐसे में हंगामे को एलएलबी के एडमिशन को विवादित करने के रुप में देखा जा रहा है, ताकि दबाव बनाकर कम अंक के बाद भी छात्रनेता एलएलबी में एडमिशन ले सके।

छात्र-छात्राओं ने कहा हमारा क्या कसूर

हंगामे की भेंट चढ़े एलएलबी के एडमिशन पर छात्र-छात्राओं का भी गुस्सा फूट पड़ा। छात्रनेता मुस्तफा हैदर के साथ सैकड़ों छात्रनेताओं ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी का घेराव किया। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी से कहा कि उनका कसूर बताया जाए। वे दूर-दूर से एडमिशन के लिए आ रही है। कॉलेज आने पर पता चल रहा है कि एडमिशन बंद है। कॉलेज चाहे तो बीस दिन दाखिला बंद कर सकता है पर इसकी सूचना तो दे कि कब कॉलेज में एडमिशन होंगे। इसपर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी ने प्राचार्य से बात की।

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