Neglected Freedom Fighters Memorials in Barabanki A Call for Restoration बाराबंकी बोले: स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्मारकों का रखरखाव नहीं, Barabanki Hindi News - Hindustan
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बाराबंकी बोले: स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्मारकों का रखरखाव नहीं

Barabanki News - बाराबंकी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्मारक उपेक्षा का शिकार हो गए हैं। उनकी सफाई, रंग-रोगन, और देखरेख नहीं हो रही है, जिससे ये स्थल केवल पत्थरों का ढांचा बनकर रह गए हैं। स्थानीय प्रशासन की...

Newswrap हिन्दुस्तान, बाराबंकीThu, 14 Aug 2025 04:43 PM
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 बाराबंकी बोले: स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्मारकों का रखरखाव नहीं

आजादी का पर्व करीब है, लेकिन जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में बने स्मारक उपेक्षा की धूल में दबे हैं। कहीं साफ-सफाई नहीं, तो कहीं रंग-रोगन सालों से नहीं हुआ। हरियाली और प्रकाश व्यवस्था का हाल भी बदहाल है। जिम्मेदार विभागों की अनदेखी के चलते ये स्थान अब सिर्फ पत्थरों का ढांचा बनकर रह गए हैं, जबकि इनका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना था। नगर पंचायत, नगर पालिका और ग्राम पंचायत स्तर पर इन स्थलों की देखरेख की जिम्मेदारी तय है, लेकिन न तो नियमित सफाई होती है, न ही पेयजल और प्रकाश की व्यवस्था। कई स्मारकों पर झाड़ियां उग आई हैं, वहीं शिलापट धुंधले पड़ गए हैं।

बाराबंकी बोले: स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्मारकों का रखरखाव नहीं बाराबंकी। स्थानीय स्कूली बच्चों, युवाओं और आम लोगों को इन स्थलों के इतिहास से जोड़ने के लिए कोई नियमित कार्यक्रम नहीं होता। प्रशासन की ओर से न तो समय-समय पर भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और न ही इनकी कहानी बताने वाले बोर्ड लगाए गए हैं। कई स्मारकों पर मरम्मत व सौंदर्यीकरण के लिए सालों से प्रस्ताव लंबित हैं। पहले 15 अगस्त पर स्कूलों के बच्चे इन स्मारकों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम करते थे, पुष्प अर्पित करते थे। अब कार्यक्रम केवल जिलास्तरीय समारोह तक सीमित हैं। ऐसे में जिनके बलिदान से हमें आजादी मिली, उनके स्मारक और सम्मान पर ध्यान देना समाज की जिम्मेदारी है। अगर अभी भी प्रशासन और समाज ने ध्यान नहीं दिया, तो आने वाली पीढ़ियां इन स्थलों को केवल भूले-बिसरे पत्थरों के रूप में देखेंगी। आजादी के पुरोधा, प्रखर नेता और देश के पहले डाक व तार मंत्री रहे रफी अहमद किदवई की स्मृति में मसौली कस्बे में बना भव्य स्मारक आज उपेक्षा का शिकार है। कभी लोगों के लिए प्रेरणा और गौरव का केंद्र रहा यह स्थल में उखड़े रंग-रोगन और गंदगी के कारण अपनी पहचान खोता जा रहा है। स्मारक परिसर में नियमित सफाई नहीं होती। बरसात के मौसम में घास-फूस और झाड़ियां फैल गई हैं। रंग-रोगन कई साल से नहीं हुआ, फर्श की टाइलें टूट चुकी हैं और चारों ओर अव्यवस्था का माहौल है। रात में प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं, जिससे यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी हो जाता है। रफी अहमद किदवई के जीवन, संघर्ष और योगदान को स्कूली बच्चों व युवाओं को बताने के लिए पहले सालाना गोष्ठियां होती थीं, लेकिन पिछले चार-पांच सालों से यह परंपरा खत्म हो गई है। मसौली का रफी अहमद किदवई स्मारक केवल एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि देश की आजादी और विकास की कहानी का अहम अध्याय है। प्रशासन और समाज को मिलकर इसे सहेजना होगा, वरना आने वाली पीढ़ियां सिर्फ तस्वीरों में ही इसकी भव्यता देख पाएंगी। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों का होता है सम्मान: आजादी की लड़ाई में अपनी जान की बाजी लगाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को याद रखने और आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए जिला प्रशासन हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को उनके परिवारों को सम्मानित करता है। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और आज भी बरकरार है। हर ब्लॉक बने हैं स्वतंत्रता संग्राम के गवाह जिले के लगभग हर ब्लॉक में स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक आंदोलनों और ऐतिहासिक घटनाओं की याद में स्मारक बने हुए हैं। यह स्मारक न केवल आजादी के संघर्ष के गवाह हैं बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाले स्रोत भी हैं। लेकिन रखरखाव और देखरेख की कमी से कई स्मारक बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं। रामनगर, मसौली, सिरौलीगौसपुर, हैदरगढ़, सूरतगंज, हरख, निंदूरा, त्रिवेदीगंज, समेत जिले के सभी 15 ब्लॉकों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के नाम पर बने स्मारक मौजूद हैं। इनमें से कई स्थानों पर स्थानीय इतिहास के अहम पन्ने छुपे हैं। कई स्मारकों पर रंग-रोगन, सफाई, प्रकाश व्यवस्था और मरम्मत का काम सालों से नहीं हुआ। बरसात में घास-फूस फैल जाती है, दीवारों में दरारें आ जाती हैं, और कई जगह शिलापट के अक्षर धुंधले पड़ गए हैं। इतिहासकार और शिक्षाविद मानते हैं कि स्मारकों की महत्ता बच्चों और युवाओं तक पहुंचाने के लिए नियमित जागरूकता कार्यक्रम, सांस्कृतिक आयोजन और भ्रमण यात्राएं जरूरी हैं। इससे नए पीढ़ी में देशभक्ति और इतिहास के प्रति लगाव बढ़ेगा। स्मारक किसी भी क्षेत्र के इतिहास और गौरव की पहचान होते हैं। हर ब्लॉक में मौजूद इन धरोहरों को संजोना प्रशासन की जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि समाज का कर्तव्य भी है। समय रहते इनकी देखरेख शुरू हुई तो ये आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व का कारण बने रहेंगे। बाराबंकी के गौरव रहे लल्ला भैया देश की आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तहसील फतेहपुर के पैतेपुर क्षेत्र में जन्मे अवध शरण वर्मा उर्फ लल्ला जी जिले के विख्यात किसान नेता व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। महात्मा गांधी के अनुयायी और उनकी प्रेरणा से स्वतंत्रता आंदोलन में लल्ला जी ने अंग्रेजों की तमाम यातनाएं झेली थी। आजादी के आंदोलन में छह वर्षों तक जेल में रहे और जेपी, पंडित गोविंद बल्लभ पंत और लोहिया के कट्टर अनुयायी थे। वह सामाजिक कुरीतियों के प्रबल विरोधी थे और आजादी के बाद 1952 में वह फतेहपुर तहसील से विधायक चुने गए थे। स्मारकों के पास हरियाली से लेकर साफ-सफाई की हो व्यवस्था जिले के विभिन्न हिस्सों में बने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और ऐतिहासिक घटनाओं की याद में बनाए गए स्मारकों की सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व बनाए रखने के लिए स्थानीय लोग अब हरियाली और साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। बरसात के मौसम में कई स्थानों पर झाड़ियां और गंदगी फैल जाती है, जिससे स्मारकों का स्वरूप बिगड़ता है और पर्यटक या स्थानीय लोग यहां आना कम कर देते हैं। रामनगर, मसौली, हैदरगढ़, सतरिख, सिरौलीगौसपुर और निंदूरा सहित कई क्षेत्रों के स्मारकों पर रंग-रोगन वर्षों से नहीं हुआ। कई जगह शिलापट धुंधले पड़ गए हैं, फर्श की टाइलें टूटी हैं और परिसर में रोशनी की व्यवस्था नहीं है। नगर पालिका और ग्राम पंचायत स्तर पर स्मारकों की देखरेख की जिम्मेदारी तय है, लेकिन सीमित बजट और संसाधनों के कारण सभी स्थलों पर एक साथ काम कर पाना मुश्किल बताया जा रहा है। स्मारक केवल पत्थर की इमारतें नहीं, बल्कि इतिहास के जीवित प्रतीक हैं। हरियाली और साफ-सफाई से न केवल इनका सौंदर्य बढ़ेगा, बल्कि लोगों का रुझान भी बढ़ेगा। प्रशासन, जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोगों को मिलकर इनकी देखरेख की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। स्कूलों में बच्चों को दी जाएगी सेनानियों की जानकारी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने तय किया है कि जिले के सभी सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों को स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान की जानकारी दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य बच्चों में देशभक्ति की भावना जगाना और अपने जिले के गौरवशाली इतिहास से जोड़ना है। शिक्षकों को निर्देश दिया जाए कि वे कक्षा में 10 से 15 मिनट का सत्र रखकर बच्चों को रफी अहमद किदवई, लल्ला भैया सहित अन्य सेनानियों की कहानियां सुनाएं। साथ ही, उनकी तस्वीरें और स्मारकों की जानकारी भी दें। यह पहल न केवल बच्चों को अपने स्थानीय नायकों से परिचित कराएगी, बल्कि उन्हें प्रेरणा भी देगी कि देश के लिए योगदान केवल बड़े शहरों में नहीं, बल्कि गांव-गांव में संभव है। पेंशन, सम्मान और स्मारकों की देखरेख प्रमुख मुद्दे जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार फाउंडेशन के बैनर तले संगठित होकर समय-समय पर अपनी मांगें उठाना जारी रखा है। फाउंडेशन से जुड़े 100 से अधिक परिवार न केवल पेंशन और सम्मान से जुड़े मुद्दे उठाते हैं, बल्कि सेनानियों के स्मारकों की देखरेख, सांस्कृतिक कार्यक्रम और इतिहास को संरक्षित रखने पर भी जोर देते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि फाउंडेशन की यह मुहिम सिर्फ सेनानियों के परिवारों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार फाउंडेशन की सक्रियता यह साबित करती है कि बलिदान की विरासत को सहेजना अब भी कई लोगों के दिल का मुद्दा है। इनकी भी सुनिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को पेंशन तो मिलती है, लेकिन इसके अलावा कोई सुविधा नहीं मिलती है। इसके लिए प्रशासन को कोई उपाय करे। - कृष्णा सिंह सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों का निशुल्क स्वास्थय कार्ड बनाया जाए। जिससे वह किसी अस्पताल में अपना इलाज करा सकें। - परशुराम वर्मा सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए प्रशासन हर साल तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए मुफ्त व्यवस्था करें। अगर यह सुविधा होती है तो अच्छा रहेगा। -सूर्य बक्श सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों का भी बस व रेलवे का मुफ्त पास होना चाहिए, जिससे वह अपने परिवार के साथ कहीं भी आ जा सकें। - जफर किदवाई जिले के सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अर्न्तगत आवास मिलना चाहिए। प्रशासन को इस तरह की योजना बनानी चाहिए। -अभय प्रताप सिंह हमे हर माह पेंशन आसानी से मिल जाती है। कोई परेशानी नहीं होती है। कुछ और सुविधा अगर मिल जाए तो बहुत अच्छा रहेगा। -रमाकांती स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सुविधाएं मिलती है। यदि सुविधाओं में और बढ़ोत्तरी की जाएगी तो काफी अच्छा होगा। - भूपेंद्र अगर सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों को स्वास्थ्य सुविधा भी मिल जाए तो बहुत अच्छा रहेगा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। - ओमनरायन बोले जिम्मेदार- देश की आजादी में अपनी जान की बाजी लगाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में हर किसी को जानकारी रखनी चाहिए, खास कर युवा पीढ़ी को इनके बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार की समस्याओं को दूर कराने के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है। सेनानियों की यादें संजोने के लिए अब तक जो प्रयास हुए हैं, उनको सहेजने को जिला प्रशासन को भी पत्र लिखा जाएगा। -तनुज पुनिया, सांसद बाराबंकी।

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