जुमा की नमाज में अमन चैन की मांगीं दुआएं
रमजान के पवित्र महीनें के तीसरे जुमा को मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा हुई। यहां मुल्क सलामती की दुआओं संग आपसी भाई चारे की दुआएं मांगी गई। रमजान महीने में कड़ी साधना करने वाले रोजेदारों ने प्रचंडगर्मी...
रमजान के पवित्र महीनें के तीसरे जुमा को मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा हुई। यहां मुल्क सलामती की दुआओं संग आपसी भाई चारे की दुआएं मांगी गई। रमजान महीने में कड़ी साधना करने वाले रोजेदारों ने प्रचंडगर्मी में नमाज अदा की।
शुक्रवार को शहर की 50 से अधिक मस्जिदों में रमजान माह के तीसरे जुमा की नमाज हुई। शहर की जामा मस्जिद में कारी इकामुद्दीन ने नमाज पढाई। खुतबा पढा और अंत में दुआ कराई। यहां हजारों लोगों ने चिलचिलाती गर्मी मेंं रोजेदारों ने नमाज पढी। यहां जामा मस्जिद के मुतवल्ली शेख सादी जमा ने धूप से बचाव के लिए पंडाल का प्रबंध किया।वहीं शेख सरवर साहब की मस्जिद में हजारों लोगों ने नमाज अदा की। यहां पेश इमाम सैय्यद मेराज मसूदी उर्फ अकील मियां(शहर काजी) ने नमाज अदा कराई। इसके अलावा खुटला,पुलिस लाइन के पास, आजाद नगर, कोतवाली के पास बोड़े की मस्जिद,मरकज की मस्जिद आदि जगहों में नमाज हुई। इस दौरान सुरक्षा के कड़े प्रबंध रहे। सुबह से मस्जिदों के आसपास साफ सफाई कराई गई।
रमजान में रोजा अहम होता
शहर काजी सैय्यद मेराज मसूदी ने कहा कि मुकद्दस पाक माह रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान माह का इबादत की दृष्टि से एक-एक पल कीमती है। इस वक्त को ईमानदारी से भूख और प्यास को बर्दाश्त करते हुए अपने रब की याद करना चाहिए। इस्लाम के पांच स्तून (खंभों) में से रोजा का महत्वपूर्ण स्थान है।
सब्र और शुक्र करें रोज़ेदार
रमजान माह गमख्वारी का महीना है। इसमें सब्र करें। बात-बात पर उलझें नहीं। यह न करें कि अरे रोजा है, प्यास लग रही है, भूख बर्दाश्त नहीं हो रही तो भी जो इसे बर्दाश्त करें। वही सच्चा रोजदार कहलाता है। अगर कोई बुरी बात कहता है या झगड़ा करने पर उतारू है तो उसे यह कहकर टाल दें कि अभी मेरा रोजा है। रोजे की हालत में ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत और मस्जिद में गुजारने की कोशिश करें ताकि ज्यादा से ज्यादा इबादत का हिस्सा आपकी तरफ आए। गरीबों की दिल खोलकर मदद करें।