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डाक्टरों की कमी से मरीजों को नहीं मिलता इलाज

नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है।

डाक्टरों की कमी से मरीजों को नहीं मिलता इलाज
हिन्दुस्तान टीम,बांदाTue, 22 May 2018 09:22 PM
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नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है।

दूरदराज से इलाज कराने आए मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। एक डाक्टरों के भरोसे अस्पताल की व्यवस्था चलाई जा रही है। मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि यहां बुखार, खासी की दवाएं मिल जाती है लेकिन ज्यादा गंभीर रोगों का इलाज नहीं मिल पाता है। दूरदराज से आए मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। मरीजों के तीमारदारों का कहा है कि सामान्य दवाये तो केन्द्र से मिल जाती है। लेकिन अच्छी दवाओ के लिये बाहर के लिए पर्ची थमा दी जाती है।

सरकार ने मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लाखों रुपए के उपकरण स्वास्थ्य केंद्रों में लगवाए हैं। लेकिन इसका समुचित फायदा मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एमबीबीएस डा. अनुराग शुक्ला स्वास्थ्य केंद्र में महीने में एक- दो बार ही यहां आते हैं। जिससे मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां आयुष डाक्टर विनोद गुप्ता के भरोसे स्वास्थ्य केंद्र संचालित किया जा रहा है। मरीजों के तीमारदारों का कहना था कि डाक्टर फौरी तौर से देखकर मरीजों को रेफर कर देते हैं। यहां सबसे ज्यादा पानी के पीने की समस्या बनी हुई है। अस्पताल में सफाई व्यवस्था के नाम पर खानापूरी की जाती है। मरीजो की माने कि यदि दुर्घटना में कोई घायल हो जाने पर डाक्टर जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। क्षेत्र का एक मात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र होने के चलते मरीज तो आते है लेकिन उन्हें समुचित इलाज नहीं मिल पाता है।

तीमारदारों को नहीं मिल पा रहा ठंडा पानी

नवीन प्राथमिक स्वास्त्थ्य केंद्र में पानी की व्यवस्था नहीं है। बाहर लगे हैंडपंप से मरीज व उनके तीमारदार प्यास बुझाकर गला तर करते हैं। मरीज के तीमारदार ठंडे पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे है। दुकान से ठंडा पाउच खरीदकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं।

पैथालांजी नहीं होती जांचे

नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पैथालाजी तो संचालित है। यहां पर सिर्फ टीबी की जांच की जाती। बाकी अन्य जांचे को लिए मरीज को नरैनी, जिला अस्पताल जाना पड़ता है। मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि मलेरिया की जांच के लिए प्राइवेट नर्सिगहोमों का सहारा लेना पड़ता है।

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