बोले बांदा: समय पर मिले वेतन तो हमारा भी काम में लग जाए और मन
Banda News - बांदा में 20 हजार से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारी विभिन्न सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। महंगाई के बीच स्थायी...

बांदा। जनपद के विभिन्न विभागों और कार्यालयों में आउटसोर्सिंग पर करीब 20 हजार से अधिक कर्मचारी वर्तमान में काम कर रहे हैं लेकिन सरकारी विभागों और कार्यालयों के कामकाज को सुगम व तकनीकी गति देने वाले इन कर्मचारियों का खुद का जीवन गतिहीन हो गया है। सरकारी विभागों व उनसे संबद्ध दफ्तरों में अस्थायी रूप से काम करने वाले आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर पिछले कुछ वर्षों से निर्भरता ज्यादा बढ़ी है। वह कार्यालयों में तकनीकी और सभी महत्वपूर्ण कार्य संभाल रहे हैं। इसके बावजूद ये काम व दायित्व के अनुसार वेतन और सुविधाओं से महरूम हैं। इनकी नियुक्ति किसी और संस्था के माध्यम से हो रही है और बहाली के बाद दूसरी फर्म के अधीन कर दिया जा रहा है। इनके खिलाफ शिकायत मिलने पर पक्ष भी रखने का मौका नहीं मिलता। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से जिले में अलग-अलग सरकारी कार्यालयों में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। कहा कि समय पर वेतन मिले तो हमारा भी काम में मन लगे।
राहुल और कलीम समेत तमाम कर्मियों ने कहा कि तकनीकी रूप से सक्षम और परीक्षाएं पास कर नियुक्त होने के बाद भी सेवा शर्तें अलग हैं। हमको संस्थाओं के माध्यम से विभिन्न विभागों और कार्यालयों में संबद्ध किया जाता है। सरकार हमारे कार्य का भुगतान संस्थाओं को समय पर कर देती है, लेकिन हमें समय पर मानदेय नहीं मिलता। संस्थाएं हमारी तनख्वाह अकारण रोक लेती हैं। पूछने पर तरह-तरह की समस्या बताकर उनकी आवाज दबा दी जाती है। एनआरएलएम और मनरेगा में आउटसोर्स पर काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि यहां किसी का सात तो किसी का नौ माह से मानदेय रुका हुआ है। पूछने पर तरह-तरह की समस्या बताकर टरका दिया जाता है। सबसे बड़ी बात ये है कि किसी का सात तो किसी का नौ माह से मानदेय रुका हुआ है। घर चलाने के लिए भी हम लोगों को दूसरों से पैसा लेना पड़ता है और मानदेय मिलने के बाद उधारी का भुगतान कर पाते हैं।
आठ घंटे काम करने का समय, 12 घंटे करते काम: कर्मचारियों ने बताया कि विभागों और कार्यालयों में नियमित कर्मचारियों की भर्ती न होने से अधिकारी उनके हिस्से का काम भी उन्हीं से कराते हैं। मना करने पर सेवा वापसी का डर दिखा धमकाया जाता है। आठ घंटे काम का समय निर्धारित होने के बावजूद विभागाध्यक्ष कार्यालयों में दफ्तरों में रोके रहते हैं। काम का बोझ बढ़ने से 12 घंटे काम करना पड़ता है। कर्मचारियों पर हमेशा मानसिक दबाव बना रहता है। इससे स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
आउटसोर्सिंग व्यवस्था हमारे लिए अभिशाप: सरकारी कार्यालयों में आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारियों ने बताया कि आउटसोर्सिंग व्यवस्था हमारे लिए अभिशाप समान है। एक ओर महंगाई लगातार बढ़ रही है, वहीं दूसरी हमें वर्षों से एक समान वेतन मिल रहा है। हमारे भविष्य के लिए भी सरकार कुछ नहीं सोच रही है। जो वेतन मिलता है, उसमें बचत तो दूर, घर चला पाना भी मुश्किल है। न पेंशन की सुविधा है और न हम लोगों को कोई सेवा लाभ। ऐसे में वृद्धावस्था के लिए चिंता बनी रहती है।
कार्यालयों के अलावा फील्ड वर्क भी करना पड़ता: कर्मचारियों ने बताया कि विभागों और कार्यालयों के अलावा विभागाध्यक्ष हमें फील्ड पर भी काम के लिए भेजते हैं। उस काम का अगल से कोई भुगतान नहीं दिया जाता है। आने जाने का पेट्रोल का खर्च भी अपनी जेब से भरना पड़ता है। जितनी तनख्वाह हमें दी जाती है। उसमें अपना खर्च भी नहीं चल पाता। ऐसे में घर खर्च चलना पहाड़ तोड़ने जैसा हो जाता है। पारिश्रमिक का उचित मानदेय न मिलने से ज्यादातर कर्मचारी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उनका मानसिक, शारीरिक व आर्थिक रूप से शोषण किया जा रहा है।
नियोक्ता स्तर पर हो अंश की कटौती: आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने बताया कि ईपीएफओ से जारी निर्देशों के अनुसार यूएएन खातों में ईपीएफ कटौती की राशि जमा की जानी थी लेकिन अभी तक वर्ष 2015 से 19 तक कटौती का अंश नियोक्ता व कार्मिक की तरफ से जमा नहीं किया गया है। ईपीएफओ के एक्ट 1952 के पैरा 32ए के अनुसार कार्मिक अंश की कटौती तो 12 प्रतिशत होती है। कार्मिकों के उसी माह के मानदेय या वेतन से किया जाना प्रावधानित है। लेकिन पूर्व के मानदेय से कार्मिक अंश कटौती नहीं कराई गई है। कार्मिक अल्प मानदेय भोगी हैं। अत: कार्मिकों के अंश की कटौती नियोक्ता स्तर पर ही की जाए। हमारी इन समस्याओं की ओर कोई भी ध्यान नहीं देता है और हमारी जिंदगी बस ऐसे ही एक एक दिन कर कटती जा रही है। कोई यह भी जानने का प्रयास नहीं करता कि घर का चूल्हा कैसे और किन हालात में जल रहा है।
बोले कर्मचारी
विभागों में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को जो वेतन मिलता है, उसमें बचत तो दूर, घर भी चला पाना मुश्किल है। न पेंशन की सुविधा है और न हमलोगों को कोई सेवांत लाभ। वृद्धावस्था के लिए चिंता बनी रहती है। -धीरेन्द्र द्धिवेदी
आउटसोर्सिंग व्यवस्था हमारे लिए अभिशाप के समान है। एक ओर महंगाई लगातार बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर हमें सालों से एक समान वेतन मिल रहा है। हमारे भविष्य के लिए भी सरकार कुछ नहीं सोच रही है। -मेवालाल वर्मा
जनपद में आउटसोर्सिंग पर करीब 20 हजार से अधिक कर्मचारी विभिन्न विभागों में और दफ्तरों में कार्यरत हैं। विभागों और कार्यालयों के कामकाज को सुगम व तकनीकी गति देने वाले कर्मचारियों का खुद का जीवन गतिहीन हो गया है। -विक्रांत त्रिपाठी
विभागों में नियमित कर्मचारियों की भर्ती न होने से उनके हिस्से का काम भी हम से ही लिया जा रहा है। -सिराजुद्दीन
बोले जिम्मेदार
मुख्य विकास अधिकारी वेदप्रकाश मौर्य कहते हैं कि शासन से अभी तक मानदेय का भुगतान नहीं आया है। भुगतान के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। मार्च माह के अन्त तक भुगतान की उम्मीद है। शासन से भुगतान होते ही कर्मचारियों का मानदेय दिया जाएगा। अन्य कोई समस्या होने पर कर्मचारी कार्यालय आकर बता सकते हैं।
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