चित्रकूट रेल हादसा: 'झटका लगा तो एक ओर झुक गईं बोगियां, कांप उठा कलेजा'
वास्कोडिगामा-पटना एक्सप्रेस में बुधवार को सवार यात्रियों के लिए उनका सफर खौफ और डर से भरा रहा। शुक्रवार को अहले सुबह मानिकपुर स्टेशन पर ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें कई बोगियां पलट गईं। तेज झटके...
वास्कोडिगामा-पटना एक्सप्रेस में बुधवार को सवार यात्रियों के लिए उनका सफर खौफ और डर से भरा रहा। शुक्रवार को अहले सुबह मानिकपुर स्टेशन पर ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें कई बोगियां पलट गईं। तेज झटके से उठे लोगों ने जब बाहर निकल कर देखा तो दृश्य हृदय विदारक दिखा। स्पेशल ट्रेन से पटना पहुंचे यात्रियों के चेहरे और हावभाव यह बयां कर रहे थे कि वे हादसे के सदमे से बाहर नहीं निकले हैं। यात्रियों का कहना था कि शुक्र है हादसा स्टेशन के पास हुआ।
छह बोगी ही बची थी सही सलामत, दो बुरी तरब डैमेज-
हमलोग बी-3 बोगी में सवार थे। सुबह के सवा चार बजे थे। ट्रेन में लगे जोर के झटके से नींद टूटी। ट्रेन में झटका देखकर बोगी के कई लोग इसका कारण जानने मानिकपुर स्टेशन पर उतरे। एक व्यक्ति कुछ सेकेंड बाद ही वापस आया। उसने बोगी में लगभग चिल्लाते हुए कहा कि ट्रेन पलट गई है। कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। स्टेशन पर उतर कर देखा तो बात सच निकली। इंजन के बाद लगभग छह बोगियां सही सलामत थी। इसके बाद की बोगियों के परखच्चे उड़ गए थे। वहां से गुजरने वाले लोगों ने बताया कि बोगियां कई भागों में टूट गई हैं। दो बोगी बुरी तरह डैमेज था। गणोश प्रसाद ने कहा-स्टेशन की भाग दौड़ बिल्कुल रौंगटे खड़ा करने वाला था। सही सलामत बोगियों को छिवकी तक लाया गया। इसके बाद हमलोगों को स्पेशल ट्रेन में बैठाकर पटना भेज दिया गया। मेरे साथ पत्नी फूल देवी थी। मैं अपने बेटे से मिलने गोवा गया था।
सहमे हुए थे बच्चे-
मैंगलोर में शादी समारोह में भाग लेकर हम लौट रहे थे। मेरे साथ पूरा परिवार था। बच्चे गुरुवार की देर रात तक खेलकर सोए थे। शुक्रवार अहले सुबह हुई ट्रेन बुरी तरह से हिलने लगी। मेरी नींद टूट गई। ट्रेन रूकी ही थी कि स्टेशन पर हो-हल्ला मचना शुरू हो गया था। स्टेशन पर ऐसी अफरा-तफरी पहले नहीं देखी थी। पूछने पर पता चला कि ट्रेन पलट गई थी। शोरगुल में बच्चे(लव-कुश) भी उठ गए थे। लोगों को परेशान और तेजी से आते-जाते देख दोनों बच्चे पहले ही सहमे हुए थे। एक-दम चिपके हुए थे। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है। राम बहादुर सिंह ने कहा- मैं भी समझ नहीं पा रहा था। ट्रेन से उतरने के बाद पता चला कि ट्रेन की 14 बोगियां हादसे से प्रभावित थीं। दर्जनों लोगों को आंशिक चोटें आयी थीं। यह हमलोगों की खुशनसीबी थी कि हमसभी सकुशल थे।
कलेजे के टुकड़े को देख चहक उठी सुरेशा-
हादसे में तीन यात्रियों की मौत की सूचना मिलते ही छपरा की नुरेशा खातून के तो होश उड़े गए। प्लेटफॉर्म पर नंबर एक पर पहुंचकर बेटे जावेद को ढूंढने की गुहार रेलकर्मियों से लगाती रही। जावेद का मोबाइल बंद था। कभी रेलवे इंक्वायरी तक जाती तो कभी हेल्प डेस्क पर बैठे रेलकर्मियों से गुहार लगाती। सुबह से प्लेटफॉर्म पर जमी नुरेशा शाम पांच बजे तब बेटे का पता न चलने पर फफक-फफक कर रोती रही। नुरेशा ने बताया कि बेटा जावेद काम की तलाश में गोवा गया था। काम नहीं मिला तो लौट रहा था। ट्रेन के पटना पहुंचते ही नुरेशा बदहवाश हालत में बोगियों की ओर लपकी। इधर अनाउंसमेंट किया गया कि जावेद टीसी ऑफिस के पास पहुंचे। एक-दूसरे को देखते ही मां-बेटे एक-दूसरे से लिपट गए।