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अतिक्रमण के चलते तालाब विहीन होता जा रहा अतर्रा कस्बा

अतर्रा कस्बा एक समय तालाबों के लिए जाना जाता था। लेकिन बढ़ती हुई आबादी और प्रशासन और लोगों की अनदेखी के चलते तालाब विहीन कस्बा होता जा रहा है। कस्बे में करीब 9 तालाब है। लेकिन शायद ही कोई ऐसा तालाब हो...

अतिक्रमण के चलते तालाब विहीन होता जा रहा अतर्रा कस्बा
हिन्दुस्तान टीम,बांदाSun, 14 Oct 2018 11:05 PM
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अतर्रा कस्बा एक समय तालाबों के लिए जाना जाता था। लेकिन बढ़ती हुई आबादी और प्रशासन और लोगों की अनदेखी के चलते तालाब विहीन कस्बा होता जा रहा है। कस्बे में करीब 9 तालाब है। लेकिन शायद ही कोई ऐसा तालाब हो जहां अतिक्रमण की चपेट में न हो। अतिक्रमणकारी चौतरफा से तालाबों में अतिक्रमण जारी किए हुए है। कई बार प्रशासन द्वारा जल संचयन को लेकर तालाबों को बचाने की कवायद की गई। लेकिन अतिक्रमण हटाओं अभियान भी महज औपचारिकता में सिमट जाते रहे। ऐसे में तालाब अस्तित्व खो रहे है।

अतर्रा कस्बे के दामू तालाब, धोवा तालाब, गगेही तालाब, टिकना तालाब, मूसा तालाब, गर्गन तलैया, देविन तालाब, बछनी पुरवा का तालाब, घुम्मा तालाब आदि तालाब पूर्व में कई एकड़ में फैले थे। कस्बे की जैसे जैसे आबादी बढ़ती गई वैसे वैसे यह तालाब सिकुड़ते गए। तालाबों में पानी का उपयोग जहां बंद हुआ वहीं इन तालाबों में लोगों ने अपने अपने घरों का कूड़ा करकट भी डालने लगे। तालाबों से अतिक्रमण हटाने और जल संचयन को लेकर कई बार प्रशासन और पालिका के द्वारा कवायद की गई लेकिन जो भी अभियान चले महज औपचारिकता में सिमट कर रहे गए। तालाबों से अतिक्रमण हटाने के लिए टास्क फोर्स भी गठित किया गया। लेकिन तालाबों से अतिक्रमण नहीं हट सका। गिने चुने तालाबों को छोड़ दिया जाए तो शेष तालाबों में इस कदर अतिक्रमण किया गया है कि उनका दायरा भी अब लोगों को याद नहीं रह गया कि आखिर किस तालाब का कितना रकबा था। सिर्फ इन तालाबों का रकबा सरकारी कागजों में जरुर देखने को मिलता है। कई तालाबों में तो इस कदर अतिक्रमण किया गया है कि उनकी जद में इमारते खड़ी हो गई है।

विशालकाय तालाब अब नजर आते है तलैया

कस्बा के सबसे बडा धोवा तालाब बस्ती के बूढे बुजुर्ग बताते है कि करीब इस तालाब का दायरा करीब 24 बीघे का था। बाबूलाल, बिसंुथा, रामजस, किशोरी आदि कस्बावासियों का कहना है कि इतने बड़े क्षेत्रफल का यह तालाब अब तलैया नजर आती है। इस तालाब में एक समय बारिश का पानी इतना एकत्र होता था कि पूरे वर्ष इस तालाब के पानी का लोग प्रयोग करते थे। लेकिन अब जहां लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है वहीं जो पानी है उसे प्रयोग में नहीं रह गया। घरों से निकलने वाला पानी नाला नालियों के जरिए इन्हीं तालाबों में गिरता है।

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