फोरलेन ओवरब्रिज के लिए 56.61 करोड़ रुपए मंजूर
शहर में पल्हरी से झांसी मिर्जापुर हाइवे के बीच रेल लाइन में प्रस्तावित ओवरब्रिज के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। शासन ने इसका इसका रिवाइज स्टीमेट 56.61 करोड़ रूपए मंजूर कर धन अवमुक्त भी कर दिया है।...
शहर में पल्हरी से झांसी मिर्जापुर हाइवे के बीच रेल लाइन में प्रस्तावित ओवरब्रिज के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। शासन ने इसका इसका रिवाइज स्टीमेट 56.61 करोड़ रूपए मंजूर कर धन अवमुक्त भी कर दिया है। यह फोरलेन ओवरब्रिज वर्ष 2016 में 47.46 करोड़ रूपए का मंजूर हुआ था। तीन साल तक घोषणा के बाद अधूरा पड़ा रहा।
शहर में अधूरी रिंग रोड़ में दो ओवर ब्रिज बनने है। एक ओवरब्रिज महोबा रोड़ में दुरेड़ी रोड़ में बन रहा है। इसमें पिलर खड़े होने लगे है। दूसरा ओवर ब्रिज पल्हरी के पास रेलवे लाइन में प्रस्तावित हुआ। इसकी लागत 25 नवंबर 2016 को 47.46 करोड़ रूपए आंकी गई। इस पर साल भर पहले काम भी शुरू हुआ। पिलर आदि खड़े भी हो गए पर बजट के अभाव में काम रूक गया। सेतु निगम में लोनिवि को रिवाइज स्टीमेट बनाकर भेजा जो 9करोड़ 15 लाख रूपए बढकर 56.61 करोड़ रूपए हो गया। गत 14 अगस्त को लोनिवि के प्रमुख सचिव ने इस धनराशि को जारी करने का आदेश भी दे दिया। अब उम्मीद जगी है कि जल्द ही यह फोरलेन ओवरब्रिज बनकर तैयार हो जाएगा। कार्रदाई संस्था सेतु निगम के उप परियोजना प्रबंधक मुकेश कुमार ने बताया कि अब काम तेजी से होगा। इसकी लागत निर्माण मैटेरियल की लागत बढने से बढी है।
66 मीटर ओवरब्रिज 30 करोड़ से बनाएगा रेलवे
पल्हरी से झांसी मिर्जापुर हाइवे व नरैनी कालींजर स्टेट हाइवे को जोड़ने वाले रास्ते में रेल लाइन में नौ सौ मीटर लंबा फोरलेन ओवरब्रिज बनना है। इसमें रेलवे को 66 मीटर का ओवरब्रिज रेल लाइन के ऊपर बनाना है। विभाग रेलवे को 30.65 करोड़ रूपए देगा तभी पुल का निर्माण पूरा हो सकेगा। अभी तक सिर्फ सेतु निगम का काम चल रहा था।
फिर भी अधूरी रिंग रोड़
शहर में प्रस्तावित रिंग रोड़ में पड़ने वाली रेल लाइन में दो ओवरब्रिज का काम अब पूरा होने की उम्मीद जगी है पर रिंग रोड़ कब तक पूरी होगी यह तय नहीं है। इन ओवरब्रिजों के अलावा राजघाट में केन नदी में भी एक पुल निर्माणाधीन है जबकि बाइपास में कृषि विवि के पहले एक पुल बनकर आधा अधूरा चालू भी हो गया है। बीच में कई जगह रिंग रोड़ में सड़क का निर्माण ही शुरू नहीं हो सका है। समाजिक कार्यकर्ता कुलदीप शुक्ला कहते है कि अगर बांदा का विकास कराना है तो सबसे पहले प्रस्तावित रिंग रोड़ को पूरा कराया जाए तो आवागमन आसान होगा।