बोले बहराइच: मरीजों की बढ़ी कतार क्योंकि गंदगी-जलभराव है बरकरार
Balrampur News - बरसात का मौसम खत्म होते ही बहराइच जिले में संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ने लगा है। अस्पतालों में उल्टी-दस्त और वायरल बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। गंदगी और मच्छरों की भरमार के कारण डेंगू,...

बरसात का मौसम खत्म होते-होते संक्रामक रोग सिर उठाने लगते हैं। बारिश का पानी जगह-जगह इकट्ठा होने, ठीक से साफ सफाई न हो पाने और तापमान में उतार-चढ़ाव संक्रामक रोगों के फैलने की बड़ी वजह है। ऐसे में मच्छरों और मक्खियों से फैलने वाले डेंगू, मलेरिया और डायरिया जैसे रोग आसानी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा बहराइच जिले के अस्पतालों में देखा जा रहा है। अस्पतालों में उल्टी-दस्त, वायरल बुखार के मरीजों की लाइन लगी हुई है। डेंगू व मलेरिया के लक्षण वाले भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों पर यदि गौर करें तो मेडिकल कॉलेज की ओपीडी लगभग 2000 की होती है।
वहीं सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की लगभग 10 हजार मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। इसमें गंदगी व मच्छरजनित बीमारियों से पीड़ितों की संख्या अधिक है। संक्रामक रोगों से निपटने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं। बरसात का मौसम खत्म होने को है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए अभी तक कोई इंतजाम नहीं किए गए। सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की उमड़ती भी को देखकर लगता है कि गंदगी व मच्छरजनित रोग तेजी से प्रभावी हो रहे हैं। गांव-गांव दवा छिड़काव के लिए स्वच्छता समिति की ओर से पैसा दिया जाता है। इस पैसे से फागिंग, एंटीलार्वा, कीटनाशक दवा, चूना आदि का छिड़काव व क्लोरीन की दवा का वितरण किया जाता है। लेकिन इस पैसे का उपयोग नहीं किया जाता है। जिससे गांवों में संक्रामक रोग फैलते हैं। कीटनाशकों आदि का छिड़काव न होने से संक्रामक रोग क्यों न फैलें एक बड़ा सवाल है। ऐसे में ग्रामीण व बच्चे संक्रामक रोगों के शिकार होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक जिले का ऐसा कोई गांव नहीं है जहां कीटनाशक दवा व चूने आदि का छिड़काव किया गया हो। जब संक्रामक रोग प्रभावी होते हैं, तब स्वास्थ्य व अन्य जिम्मेदार विभाग आनन-फानन में दवा का छिड़काव कराता है। रिसिया में फैली जगह-जगह गंदगी, सीएचसी संक्रामक रोगों के मरीजों से फुल:बरसात के बाद बढ़ रही संक्रामक बीमारी की गवाही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिसिया दे रहा है। सीएचसी के सभी बेड और वार्ड फुल हो गए हैं। इसमें वायरल फीवर के बच्चे, वृद्ध और महिला मरीजों की तादाद आधिक है। वर्तमान में हर रोज रिसिया सीएचसी में चार से पांच सौ पहुंचते हैं। गंभीर मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है। सीएचसी के डॉ. मिथलेश बताते हैं कि बरसात के बाद से मरीजों की संख्या में वृद्धि हो गई है। ज्यादातर मरीज सर्दी जुखाम तथा वायरल बुखार के हैं। कस्बेवासियों का कहना है कि नगर में साफ सफाई की व्यवस्था पूरी तरह फेल है। गंदगी का अंबार जगह-जगह फैला हुआ है। जिससे मच्छरजनित बीमारियां फैल रही हैं। नालियों और नालों की नियमित साफ सफाई नहीं हो पा रही है। नाले गंदगी से पटे हुए हैं। फागिंग भी नहीं कराई जा रही है। कस्बे के देवीपुरा मोहल्ले के प्राथमिक विद्यालय प्रथम व मंदिर के बगल स्थित तालाब गंदगी से पटा होने के कारण भयंकर बदबू उत्पन्न हो रही है। इस विद्यालय में 145 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन बच्चों के साथ ही आस-पास के लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ कर बैठे हुए हैं। बकैना में मच्छरों की भरमार, सिकंदरपुर गांव में जलभराव व कीचड़ :महसी ब्लाक के ग्राम पंचायत बकैना में मच्छरों की तादाद इस कदर बढ़ गई है कि अब तो दिन में भी घर में व बाहर बैठना मुश्किल हो रहा है। गांव निवासी सौरभ, शिवम ने बताया कि मच्छर इतने विषैले हैं कि यदि एक बार काट लेता है तो करीब एक घंटे खुजली होती है। बड़े-बड़े चकत्ते पड़ जा रहे हैं। यदि फागिंग करा दी जाए तो मच्छरों से थोड़ी राहत मिल सकती है। इसके अलावा सिकंदरपुर गांव में कीचड़ व जलभराव की समस्या बनी हुई है। लोधपुरवा से सिकंदरपुर होते हुए बांध तक जाने वाले रास्ते पर कीचड़ भरा हुआ है। गांव निवासी नान्हू अवस्थी व रामकिशोर के दरवाजे से गोपाल कोटेदार के घर तक पानी भरा हुआ है। इस मार्ग सरकारी राशन की दुकान व पंचायत भवन इसी मार्ग पर स्थित है। लोगों को आने-जाने में कठिनाईयां का सामना करना पड़ रहा है। जगह-जगह कूड़े के ढेर व नालियां चोक : तेजवापुर ब्लॉक क्षेत्र में सफाई व्यवस्था ध्वस्त है। बेड़नापुर बाजार, रमपुरवा, रमपुरवा चौकी, मरौचा, खैरा बाजार समेत विभिन्न स्थानों पर सड़क के किनारे लगे कूड़े के ढेर व नालियां चोक होने से दुर्गंध फैल रही है। जिससे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना हुआ है। ब्लाक के जिम्मेदार अधिकारी जानकर भी अंजान बने हुए हैं। सरकारी अस्पताल में वायरल बुखार के मरीज अधिक पहुंच रहे हैं। ग्रामीण शकील, राजकुमार, अनवर, पवन, जगदीश, दीपू ने बताया कि गांव में गंदगी भरी पड़ी है। सफाई कर्मी गांव में नहीं आते हैं। तेजवापुर सीएचसी अधीक्षक डॉ. अभिषेक अग्निहोत्री ने बताया कि सीएचसी व पीएचसी में वायरल फीवर के मरीज अधिक पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों द्वारा मरीजों की जांचकर दवाएं दी जाती हैं। आशा कार्यकर्ता लोगों को सफाई व्यवस्था को लेकर जागरूक कर रही हैं। प्रस्तुति: ध्रुव शर्मा, अरविन्द पाठक, दीपक श्रीवास्तव, विनोद दुबे पालिका में खड़ी है फागिंग मशीन मच्छरों की भरमार जिले में रविवार से तीन दिन तक रुक-रुककर हुई बारिश से शहर समेत गांवों में भीषण जलभराव हो गया। इससे शहर समेत गांवों में भीषण कीचड़ उत्पन्न हो गया। बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में समस्या भयंकर हो गई। नगर पालिका परिषद नानपारा में जगह-जगह गंदगी होने से मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। नगर पालिका के गोड़ियन टोला स्थित प्लाट में गंदा पानी भरा होने से बीमारी का हब बना हुआ है। यहां जलभराव ऐसा है कि राहगीर दुर्गंध से नाक बंद कर निकलते हैं। नगर पालिका में खड़ी फांगिग मशीन नगर पालिका वाहन पार्किंग की शोभा बढ़ा रही है। वहीं सीएचसी नानपारा में प्रतिदिन 70 से 80 जांचे मलेरिया व डेगू की होती हैं। निजी पैथालॉजी का आंकड़ा लिया जाए, तो शतक के पार जाएगा। नगर पालिका में छोटे-बड़े कुल 36 नालों से जलनिकासी की समुचित व्यवस्था करने का दावा कर रहा है। पयागपुर में जलभराव से रोगों का खतरा बरसात के बाद पयागपुर नगर पंचायत में जगह-जगह पर जलभराव समस्या उत्पन्न हो जाती है। नगर के मोहल्ले ऐसे हैं जहां भीषण गंदगी भरी पड़ी है। मच्छरों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। इससे लोग बुखार, उल्टी-दस्त सहित अनेक प्रकार की समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं। वर्तमान समय में सभी वार्डों में गंदगी की भरमार है। नगर पंचायत की ओर से गंदगी से निपटने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। सबसे खराब हाल भूपगंज के वार्ड नंबर 12 का है। सड़कों पर पानी भरा रहता है। लोगों का कहना है कि समस्या की शिकायत नगर पंचायत कार्यालय में की जाती है, लेकिन समस्या को अनसुनी कर दी जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रयागपुर में प्रतिदिन लगभग 450 से 500 मरीज जाते हैं। इसमें अधिकतर चर्म रोग से संबंधित मरीज होते हैं। इसके अलावा सर्दी-जुखाम तथा वायरल बुखार के भी मरीज बहुतायत हैं। इसके बावजूद नगर पंचायत की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा संक्रामक रोगों से निपटने के लिए जिला स्तर व ब्लॉक स्तर पर संक्रामक रोग नियंत्रण सेल का गठन किया गया है। ओआरएस, ब्लीचिंग व क्लोरी की गोली पर्याप्त मात्रा में जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में मौजूद हैं। यदि बीमारी से पीड़ित कोई व्यक्ति मिलता है तो मेडिकल टीम भेजकर चेकअप कराया जाता है। मेडिकल कॉलेज सहित 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एटीसी (इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर) बनाए गए हैं। जिसमें 10 बेडों को आरक्षित किया गया है। आवश्यक सभी दवाएं उपलब्ध हैं। डॉ.संजय कुमार शर्मा, सीएमओ संक्रामक रोगों से निपटने के लिए सभी इंतजाम मौजूद हैं। रोस्टर के हिसाब से मोहल्लों में समय-समय पर फागिंग व एंटीलार्वा का छिड़काव कराया जाता है। निचले मोहल्लों में जलभराव की समस्या से छुटकारा पाने के लिए पंपिंग सेटों के माध्यम से गंदा पानी निकलवाया जाता है। शहर के जिन मोहल्लों में जलभराव व अन्य समस्याएं हैं उन्हें दूर करने के लिए प्रस्ताव दिया गया है। जल्द ही सभी समस्याएं दूर होंगी। प्रमिता सिंह, ईओ नगर पालिका सुझाव शहर, कस्बों व गांवों में संक्रामक रोगों से बचाने के लिए बेहतर साफ-सफाई व्यवस्था हो। जिले के सभी नगर पालिका व नगर पंचायत में पर्याप्त मैनपॉवर की तैनाती होनी चाहिए। शहरी क्षेत्र में छोड़ गांवों में फागिंग व एंटीलार्वा का छिड़काव प्राथमिका से होना चाहिए। नगर पंचायतों में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था ठीक व नियमित कूड़ा उठान कराया जाए। सीएचसी-पीएचसी में दवाओं, डॉक्टरों की कमी पूरा किया जाए जिससे मरीजों को दूर न जाना पड़े। ब्लॉकों व नगर पंचायतों में खराब पड़ी फागिंग मशीने सही कराने की जरूरत है। स्वच्छता समिति की ओर से भेजे गए रुपए का बंदरबांट न होकर उसी कार्य में लगाया जाए। संक्रामक रोगों के पांव पसारने से पहले ही सभी प्रयास हो जाने चाहिए। शिकायतें शहर, कस्बों व गांवों में संक्रामक रोगों से बचाने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं हैं। नगर पालिका व नगर पंचायत की साफ-सफाई व्यवस्था नियमित होनी चाहिए। शहर व गांवों में फागिंग व एंटीलार्वा का छिड़काव रोस्टर के हिसाब से नहीं हो रहा। नगर पंचायतों में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था ठीक नहीं है नियमित कूड़ा उठान नहीं हो रहा है। सीएचसी-पीएचसी में दवाओं, डॉक्टरों की कमी होने से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को मेडिकल कॉलेज आना पड़ता है। ब्लॉकों व नगर पंचायतों में फागिंग मशीने कबाड़ हो गई हैं। स्वच्छता समिति की ओर से भेजे गए रुपए का बंदरबांट हो जाता है। संक्रामक रोगों के पांव पसारने पर प्रशासन की नींद टूटती है। स्वच्छता समिति द्वारा दवा छिड़काव के लिए हर गांवों में रुपये भेजे जाते हैं। इससे कीटनाशक दवा, चूना छिड़काव व क्लोरीन दवा का वितरण करना होता है, लेकिन इस पैसे का उपयोग नहीं होता। -क्षितिज श्रीवास्तव गांवों में जलभराव व गंदगी से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। सड़कों और घरों के सामने पानी भरने से दुर्गंध फैलती है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो गया है। लोग आएदिन बीमार पड़े रहते हैं। -सूरज निषाद स्वच्छता समिति द्वारा भेजे गए पैसे का दुरुपयोग होने से गांवों में संक्रामक रोग फैलते हैं। ग्रामीण इनका शिकार होते हैं। संक्रामक रोग प्रभावी होने पर आनन फानन में दवा का छिड़काव होता है। -बालक राम संक्रामक रोगों से निपटने के इंतजाम सिर्फ कागजों में होते हैं। धरातल पर कोई काम नहीं होता है। बरसात में उच्चाधिकारी गांवों का निरीक्षण करें तो व्यवस्था की पोल खुल जाएगी। अधिकारी सिर्फ कागजों में पूरा काम दिखाते हैं। -मुस्तफा
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