बलरामपुर-कटान से खतरे में भरवलिया गांव का अस्तित्व
महुआ बाजार। हिन्दुस्तान संवाद पहले बाढ़ सुकून छीनती है। फिर नदी की कटान लोगों...
महुआ बाजार। हिन्दुस्तान संवाद
पहले बाढ़ सुकून छीनती है। फिर नदी की कटान लोगों की नींद उड़ा देती है। बाढ़ खंड व प्रशासनिक अधिकारी हैं कि उनके कान में जू तक नहीं रेंगती है। लापरवाही का नतीजा है कि नदी के छोर पर बसे भरवलिया गांव के अस्तित्व पर ही अब खतरा मंडराने लगा है। मगर जिम्मेदार हैं जो पूरी तरह बेफिक्र हैं। कटान रोकने में विभाग की धन कमाऊ नीति ने इन गांवों को तबाही के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। समय रहते जिम्मेदार नहीं जागे तो आने वाले समय में कटान यहां बर्बादी की नई इबारत लिख दे, तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
उतरौला तहसील अंतर्गत भरवलिया गांव नदी से सटा हुआ है। जब भी राप्ती नदी जरा भी उफान पर आती है, यहां के लोगों की नींद हराम हो जाती है। कुछ बरस पहले तक नदी गांवों की सीमा से दूर थी। परंतु धीरे-धीरे कटान के चलते अब गांव नदी के मुहाने पर खड़ा हो गया है। कहने को तो विभाग ठोकर आदि सुरक्षा के इंतजाम में लाखों खर्च कर देता है, परंतु अगर किसी को इसकी सच्चाई देखना हो, तो इस गांव के करीब आकर देखा जा सकता है। जहां सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया। कटान गांव की सीमा को छू रही है, बाढ़ ने यदि इस बार कहर बरपाया तो फिर यहां कुछ भी विकट स्थिति पैदा हो सकी है। ग्रामीण शबहू व गुलाम मोहम्मद का कहना है बारिश व बाढ़ के समय कटान भयावह स्थिति पैदा कर सकती है, लेकिन विभाग के जिम्मेदार मूक दर्शक बने हुए हैं। शमशेर व अमानत ने कहाकि गांव नदी तट पर स्थित हैं। सर्वाधिक खतरा भरवलिया गांव में बना रहता है। बाढ़ आने पर अपने सटे गांव नंदौरी जाने के लिए नाव से ही करीब एक किमी दूरी पानी में तय करनी पड़ती है। मुगीस अहमद, तौफीक, इश्तियाक, मोबीन हकीकुल्लाह, इसराइल, अब्दुल रशीद, सलीमुल्लाह व वहाजुद्दीन कहते हैं कि पिछले वर्ष गांव की तरफ तेजी से कटान हो रहा था। कटान से बचाव के लिए प्रशासन द्वारा ठोकर लगाने का काम शुरू हुआ था। थोड़ा सा ठोकर लगाने के बाद सब गायब हो गए। अभी नदी में पानी बहुत कम है विभाग चाहे तो बहुत ही आसानी से ठोकर का काम पूरा कराया जा सकता है। और गांव को भी कटान से बचा सकते हैं। ग्रामीणों ने सिचाई, बाढ़ खंड विभाग व प्रशासन के लोगों से सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी कदम उठाए जाने की मांग की है।