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बलरामपुर: नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा एसएनसीयू वार्ड

जिला महिला अस्पताल में संचालित एसएनसीयू वार्ड (सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट) नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। शिशु मृत्यु दर में कमी आने के चलते महिला अस्पताल का यह एसएनसीयू पूरे प्रदेश में...

बलरामपुर: नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा एसएनसीयू वार्ड
हिन्दुस्तान टीम,बलरामपुरWed, 07 Oct 2020 10:01 PM
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जिला महिला अस्पताल में संचालित एसएनसीयू वार्ड (सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट) नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। शिशु मृत्यु दर में कमी आने के चलते महिला अस्पताल का यह एसएनसीयू पूरे प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। इस वार्ड में एक जनवरी से 30 जुलाई के बीच में रखे गए 901 नवजात शिशुओं में से 782 बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हुए हैं। इस अवधि में सिर्फ 17 नवजात शिशुओं की मौत हुई है।

जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड के प्रभारी व बालरोग विशेषज्ञ डा. महेश वर्मा ने बताया कि जिले में सिर्फ एक इसी सरकारी अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट संचालित है। यहां पर कंगारू मदर केयर यूनिट की सुविधा भी उपलब्ध है। डा. वर्मा बताते हैं कि सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट में 1800 ग्राम से कम वजन वाले ऐसे नवजात शिशु जिन्हें सांस फूलने, झटका आने एवं दूध न पीने की समस्या होती है, उन्हें भर्ती किया जाता है।

इस एसएनसीयू वार्ड में ऑक्सीजन सिलेंडर, पल्स ऑक्सीमीटर, फोटो थिरेपी, रेडियंटवार्मर, मल्टी पैरामॉनीटर व नेबुलाइजर की सुविधा उपलब्ध है। इन्हीं संसाधनों के जरिए इस वार्ड में भर्ती होने वाले नवजात शिशुओं की जान बचाई जाती है। डा. वर्मा बताते हैं कि कंगारू मदर केयर यूनिट में ढाई किलो से कम वजन वाले शिशुओं का तापमान मेनटेन रखने के लिए मां के शरीर के साथ चिपका कर रखा जाता है। मां के शरीर के पातमान से बच्चे का तापमान भी समान रहता है। उन्होंने बताया कि यहां शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है। 86.9 फीसदी बच्चों के स्वस्थ होने के कारण प्रदेश की रैंकिंग में बलरामपुर जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू को प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।

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पद के सापेक्ष नहीं है चिकित्सक व नर्स की तैनाती

जिला महिला अस्पताल एसएनसीयू वार्ड में स्वीकृत पद के अनुरूप चिकित्सक व स्टॉफ नर्स की तैनाती नहीं है। वार्ड के प्रभारी डा. महेश वर्मा ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में सांस से संबंधित गंभीर समस्याओं से पीड़ित सौ से अधिक नवजात शिशुओं का जीवन यहां प्रतिमाह सुरक्षित किया जाता है। इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आ रही है। डा. वर्मा बताते है कि एसएनसीयू वार्ड में 12 बेड उपलब्ध है, लेकिन बीमार बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण यहां प्रतिदिन बेड की संख्या से अधिक नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है। एसएनसीयू वार्ड की सुविधा जिले के अन्य किसी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, इसलिए यहां जिले भर से मरीज आते हैं।

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