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बलरामपुर: टांका फटने पर आधी रात को प्रसूता को जबरन किया गया रेफर

जिला महिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई है। आठ दिनों से अस्पताल में भर्ती प्रसूता का टाका फटने के बाद महिला चिकित्सक ने हाथ खड़े कर दिए। हालत बिगड़ते देख महिला चिकित्सक...

बलरामपुर: टांका फटने पर आधी रात को प्रसूता को जबरन किया गया रेफर
हिन्दुस्तान टीम,बलरामपुरSat, 03 Oct 2020 10:41 PM
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जिला महिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई है। आठ दिनों से अस्पताल में भर्ती प्रसूता का टाका फटने के बाद महिला चिकित्सक ने हाथ खड़े कर दिए। हालत बिगड़ते देख महिला चिकित्सक ने प्रसूता को आधी रात में जबरन रेफर कर दिया। यही नहीं उसे जबरदस्ती वार्ड से बाहर किया गया। प्रसूता और उसके परिजन इलाज के लिए गिड़गिड़ाते रहे लेकिन महिला अस्पताल की चिकित्सक व अन्य कर्मियों का दिल नहीं पसीजा।

जच्चा-बच्चा की जिंदगी से खिलवाड़ करना मानों जिला महिला प्रशासन की नीति बन गई है। महिला चिकित्सक की संवेदनहीनता की हद उस वक्त हो गई जब प्रसूता का टाका फटने के बाद उसे जबरन अस्पताल का पर्चा थमा कर भगा दिया गया। ललिया निवासी संतोष कुमार की पत्नी रीता का ऑपरेशन से गत 25 सितंबर को प्रसव हुआ था। ऑपरेशन महिला डा. माही कीर्ति ने किया था। प्रसूता के पति संतोष कुमार ने बताया कि प्रसव के बाद नवजात की हालत ठीक न होने के कारण उसे अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया था। हालत गंभीर होने पर कुछ ही घंटो बाद नवजात की मौत हो गई थी। बताया कि तब से उसकी पत्नी रीता अस्पताल में भर्ती थी। शुक्रवार की शाम उसका टाका फट जाने के कारण उसे अत्यधिक ब्लीडिंग होने लगी। प्रसूता के परिजन लेबर रूम में मौजूद स्टॉफ से बार-बार देखने के लिए मिन्नत करते रहे लेकिन कोई झाकने तक नहीं आया। तीन घंटे तक अस्पताल में पड़ी प्रसूता दर्द से कराहती रही। सीएमएस से शिकायत के बाद रात साढ़े दस बजे के करीब डा. माही कीर्ति वहां पर आई। उन्होंने प्रसूता की हालत गंभीर बताते हुए उसे केजीएमयू लखनऊ के लिए रेफर कर दिया। इस दौरान प्रसूता के परिजन महिला चिकित्सक से इलाज के लिए बार-बार आग्रह करते रहे लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। यह कोई पहली घटना नहीं है। जिला महिला अस्पताल में आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।

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जबरन ले जाने का बनाया दबाव

प्रसूता के पति संतोष का अरोप है कि लेबर रूम में मौजूद स्टॉफ ने उनसे अभ्रदता की। साथ ही प्रसूता को अस्पताल से बाहर ले जाने का दबाव बनाया। आरोप है कि जब तक प्रसूता रीता लेबर रूम में लेटी रही तब तक वहां मौजूद स्टॉफ परिजनों को धमकाती रही। तीमारदारों ने निजी अस्पताल के सर्जन से भी संपर्क किया लेकिन रात होने के कारण कोई भी नहीं मिला। मजबूरन रात में करीब दो बजे एंबुलेंस मिलने के बाद प्रसूता को लखनऊ ले जाया गया।

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मरीज के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई थी। हालत गंभीर होने पर उसे लखनऊ रेफर किया गया है। आरोप निराधार हैं। अगर इसमें किसी प्रकार की चिकित्सक की लापरवाही सामने आती है तो इसकी जांच कराकर चिकित्सक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

डा. विनीता राय, सीएमएस जिला महिला अस्पताल बलरामपुर

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