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सब्जी की खेती को बनाया तरक्की का हथियार

मजबूत इच्छाशक्ति व मेहनत के बदौलत इलाके के आधा दर्जन गांवों के युवक बेरोजगारी को ठेंगा दिखाते हुए कामयाबी की नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं। उन्होंने सब्जी के खेती को ही तरक्की का हथियार बना लिया है। घर बैठे...

सब्जी की खेती को बनाया तरक्की का हथियार
बैरिया (बलिया)। हिन्दुस्तान संवादThu, 14 Dec 2017 06:46 PM
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मजबूत इच्छाशक्ति व मेहनत के बदौलत इलाके के आधा दर्जन गांवों के युवक बेरोजगारी को ठेंगा दिखाते हुए कामयाबी की नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं। उन्होंने सब्जी के खेती को ही तरक्की का हथियार बना लिया है। घर बैठे कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे लोग रोजगार नहीं मिलने की दुहाई देने वालों के लिये नजीर है।

कुछ साल पहले तक इलाके के मिर्जापुर गांव के युवक पढ़ाई-लिखाई कर रोजगार की तलाश में थे। भावी पीढ़ी के भविष्य की चिंता अभिभावकों को भी सता रही थी। इसी बीच कुछ ने पुश्तैनी जमीन को ही रोजगार में बदल दिया। खेत में सब्जी की खेती शुरु की तो घर बैठे बढ़िया मुनाफा होने लगा। यह देख गांव के अन्य युवकों का रुझान खेती की ओर हुआ। लिहाजा एक तरह से इस गांव से पारम्परिक खेती यानि गेहूं-मक्का आदि की बुआई लगभग बंद हो गयी। 

मिर्जापुर गांव के उमेश कुमार वर्मा, वीरेंद्र प्रसाद मौर्य, राजेश कुमार वर्मा, सुशील कुमार, कन्हैया वर्मा, दीपक वर्मा व सुरेंद्र वर्मा आदि ने बताया कि गोभी का पौधा लगाने का काम अक्तूबर महीने में शुरु हो गया था। अगले साल अप्रैल तक पहले फूल तथा बाद में पत्ता गोभी की कम से कम पांच फसलें तैयार हो जायेंगी। 60 से 70 दिन में होने वाली करीब एक बीघा गोभी की पैदवार से खर्चा-बर्चा काटकर तकरीबन डेढ़ से दो लाख रुपये की आमदनी हो जाती है। वर्तमान समय में इलाके के इब्राहिमाबाद, सोनबरसा, चकिया, दयाछपरा, मधुबनी आदि गांवों में सब्जी की खेती जोरों पर हो रही है। किसानों का कहना है कि हम लोगों के खेतों में पैदा होने वाली गोभी इस समय बिहार, झारखंड व बिहार तक जा रही है।

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