ओटीएस का लाभ देने में बलिया मंडल में अव्वल
Balia News - अच्छी खबर:मऊ जनपद है। वाहनों पर टैक्स बकाया होने से परिवहन विभाग को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके लिए विभाग मऊ जनपद है। वाहनों पर टैक्स बकाया होने से

बलिया, संवाददाता। एकमुश्त समाधान योजना का लाभ देने में जिले का परिवहन विभाग पूरे मंडल में पहले स्थान पर है। दूसरे नम्बर पर आजमगढ़ तथा तीसरे स्थान पर मऊ जनपद है। वाहनों पर टैक्स बकाया होने से परिवहन विभाग को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके लिए विभाग की ओर से नवम्बर महीने में एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) लागू की गयी। इसका उद्देश्य गाड़ी मालिकों को टैक्स जमा करने में सुविधा देना था। सूत्रों की मानें तो जुर्माना पर लगने वाले अर्थदंड का माफकर बकाया टैक्स वाहन स्वामियों को जमा करना था। बताया जाता है कि जिले में सात हजार 928 वाहनों पर 2265.58 लाख रुपये केवल टैक्स के रुप में बाकी है। योजना शुरु होने के बाद 236 गाड़ी मालिकों ने ओटीएस का लाभ लेने के लिए आवेदन किया। कागजी कार्य पूरा करने के बाद अब तक 218 वाहन स्वामियों ने लगभग 60.36 लाख रुपये जमा कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार आजमगढ़ जिले के 10 हजार 112 वाहनों पर 3018.27 लाख रुपये टैक्स बाकी है। योजना के तहत वहां पर 234 गाड़ी मालिकों ने परिवहन विभाग में ओटीएस का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। इनमें से 212 वाहन स्वामयिों ने 77.89 लाख रुपये अब तक जमा किया है। पैसा वसूलने में आजमगढ़ भले ही मंडल में पहले स्थान पर है लेकिन वहां वाहनों की संख्या अधिक है। ऐसे में बलिया की उपलब्धि 2.66 प्रतिशत है, जबकि आजमगढ़ का प्रतिशत 2.58 है। मऊ जनपद के पांच हजार 980 गाड़ियों पर 1432.83 लाख रुपये टैक्स बाकी है। उस जनपद के 123 गाड़ी मालिकों ने आवेदन किया है, जिनमें से केवल 98 ने 29 लाख रुपये जमा किए हैं। मऊ का प्रतिशत 2.03 ही है।
गाड़ी मालिकों की सुविधा के लिए ओटीएस योजना लागू किया गया है। वाहन स्वामी इसका लाभ भी ले रहे हैं। अगर टैक्स बकाया वाले वाहनों को चेकिंग के दौरान चालान अथवा सीज करने की कार्रवाई की जाती है तो उस गाड़ी को ओटीएस का लाभ नहीं मिल सकेगा।
अरुण कुमार राय, एआरटीओ बलिया
वाहन मालिकों को हर दिन किया जाता है फोन
एकमुश्त समाधान योजना का लाभ देने के लिए परिवहन विभाग गाड़ी मालिकों से हर दिन अपील करती है। विभाग के कई कर्मचारियों को इस काम पर लगाया है। उनका कार्य हर दिन टैक्स बकाया वाले वाहन मालिकों को फोन कर योजना की जानकारी देना है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो इसका नतीजा यह हो रहा है कि गाड़ी मालिक इस योजना का लाभ लेने के लिए पहुंच रहे हैं।
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