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रानीगंज में ऐतिहासिक धनुषयज्ञ मेला आज से

रानीगंज। हिन्दुस्तान संवादगंगा व सरयू की पावन धाराओं के बीच द्वाबा की धरती पर सुदृष्टि बाबा की समाधिस्थल पर लगने वाला धनुषयज्ञ मेला 23 नवम्बर यानि आज से शुरू हो रहा है। 18 दिसम्बर तक चलने वाले इस...

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हिन्दुस्तान टीम,बलियाThu, 23 Nov 2017 12:10 AM
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रानीगंज। हिन्दुस्तान संवाद

गंगा व सरयू की पावन धाराओं के बीच द्वाबा की धरती पर सुदृष्टि बाबा की समाधिस्थल पर लगने वाला धनुषयज्ञ मेला 23 नवम्बर यानि आज से शुरू हो रहा है। 18 दिसम्बर तक चलने वाले इस मेला का उद्घाटन संत रामबालक दास बाबा करेंगे। सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व लोक संस्कृति से जुड़ा यह मेला 26 दिनों तक चलेगा। मेले में खेल-तमाशा, झूला, मौत का कुआं आदि मनोरंजन के लिए लगाये गये हैं।

यह ऐतिहासिक मेला कब से लग रहा है, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। सुदिष्ट बाबा इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य केदारनाथ सिंह की पुस्तक (संत परिचय) के अनुसार सुदिष्ट बाबा का जन्म 1785 माना है। गोन्हियाछपरा के रामपुर टोला में जन्मे सुदिष्ट बाबा अपनी मां-बाप के अंतिम संतान थे। परिवारिक आंकड़ों के सुदिष्ट बाबा ने 1892 में समाधि ली थी।

...और ऐसे पड़ा मेले का नाम

रानीगंज। अगहन सुदी पंचमी तिथि से शुरू होने वाला सुदिष्ट बाबा मेले का नाम धनुषयज्ञ मेला भी है। बताया जाता है मेले में काशी की रामलीला मंडली आती थी, जिसमें श्रीराम का पात्र बनने वाले लड़का व सीता का अभिनय करने वाली लड़की होती थी और दोनों कुंआरे होते थे। लीला मंचन के क्रम में जिस दिन प्रभु श्रीराम द्वारा धनुष तोड़े जाने का दृश्य मंचित होता था उसके अगले दिन श्रीराम व सीता का अभिनय करने वाले जोड़ों का वैदिक विधि से विवाह होता था। इस परम्परा को संत सुदिष्ट बाबा अपने जीवन काल में निर्बाध रूप से हर वर्ष कराते रहे। यही कारण है कि इस मेले का नाम धनुषयज्ञ मेला पड़ गया।

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