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शहीद के गांव को अब विकास की उम्मीद

जिला मुख्यालय से करीब 76 किमी दूर शहीद रामप्रवेश यादव का गांव टंगुनिया विकास की बाट जोह रहा है। बेटे की शहादत के बाद अचानक सुर्खियों में आये इस गांव में मूलभुत सुविधाओं का बेहद अभाव है। अब लोगों की...

शहीद के गांव को अब विकास की उम्मीद
हिन्दुस्तान टीम,बलियाSun, 24 Sep 2017 06:00 PM
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जिला मुख्यालय से करीब 76 किमी दूर शहीद रामप्रवेश यादव का गांव टंगुनिया विकास की बाट जोह रहा है। बेटे की शहादत के बाद अचानक सुर्खियों में आये इस गांव में मूलभुत सुविधाओं का बेहद अभाव है। अब लोगों की आस जगी है कि शहीद के नाम के ही सहारे इस गांव में बुनियादी सुविधाएं लोगों को मयस्सर होगी। गांव की माटी से निकलकर एसएसबी में भर्ती हुए रामप्रवेश यादव विगत बुधवार की शाम देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गये। इसके बाद इस गांव का नाम लोगों की जुबान पर आ गया। तीन दिनों तक गांव में अधिकारियों का आना-जाना लगा रहा। शनिवार को शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये मंत्री, विधायक व अधिकारियों की फौज पहुंची थी। दो गांवों छोटी व बड़ी टंगुनिया में विभक्त इस गांव की कुल आबादी करीब चार हजार है। हालांकि छोटी टंगुनिया के रहने वाले शहीद के गांव की जनसंख्या 12 सौ से 13 सौ के बीच है। मेहनत-मजदूरी व खेती-बारी ही गांव के लोगों के लिये आजिविका का साधन है। गांव में सड़क व नाली की समस्याएं भी मुंह बायें खड़ी हैं। छोटी टंगुनिया से बड़ी टंगुनिया को जोड़ने वाली सड़क जर्जर है। खास बात यह है कि शहीद के घर तक जाने वाले रास्ता कच्चा है, जिस पर पानी जमा था। हालांकि रामप्रवेश के शहीद होने के बाद अधिकारियों ने कीचड़ में मिट्टी व राबिश डलवाकर चलने लायक बनवाया। गांव में प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल एक ही परिसर में संचालित होते हैं। जबकि हाईस्कूल व इंटर की पढ़ाई के लिये बच्चों को करीब 11 किमी दूर बिल्थरारोड जाना पड़ता है। अस्पताल के नाम पर सोनाडीह गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। लोग इलाज के लिये सीएचसी सीयर अथवा जिला अस्पताल जाते हैं। अब जबकि गांव का बेटा देश के लिये वीरगति को प्राप्त हुआ है, ग्रामीणों को उम्मीद है कि गांव की सूरत व संसाधनों में बदलाव होगा। जिला मुख्यालय पहुंचना भी मुश्किल एक तरफ घाघरा नदी के किनारे बसे टंगुनिया गांव के उत्तर में देवरिया जनपद तथा पश्चिम में मऊ जिले के गांव बसे हुए हैं। दो पड़ोसी जनपदों से घिरे इस गांव के लोगों को बिल्थरारोड अथवा जिला मुख्यालय आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ साल पहले मऊ के दुबारी से टंगुनिया होते हुए बलिया तक रोडवेज की बस का संचालन हुआ। हालांकि करीब दो माह बाद ही यह सुविधा बंद हो गयी। इस स्थिति में लोगों को खुद के साधनों अथवा इक्का-दुक्का चलने वाली प्राईवेट गाड़ियों से बिल्थरारोड व बलिया आना-जाना पड़ता है। शहीद स्मारक की प्रस्तावित जगह नामंजूर, तलाश जारी उभांव थाना क्षेत्र के टंगुनिया गांव में शहीद स्मारक के लिये जमीन की तलाश शुरु हो गयी है। शनिवार को फौरी तौर पर स्मारक का निर्माण प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल के परिसर में बनाने का निर्णय अधिकारियों ने लिया। हालांकि शहीद के परिजन स्कूल परिसर में स्मारक निर्माण् के लिये राजी नहीं है। पिता लालबचन यादव का कहना है कि स्कूल की दूरी घर से करीब डेढ़ किमी है, ऐसे में परिवार के लोगों को इतना दूर आना-जाना सम्भव नहीं हो सकेगा। उनका कहना है कि गांव में नजदीक और भी सार्वजनिक जमीन है, लिहाजा जिला प्रशासन से मांग की जायेगी कि स्मारक स्थल घर के आसपास ही बनवाया जाय। बताया जाता है कि विकल्प के तौर पर लेखपाल रविन्द्र कुमार ने रविवार की जमीन की तलाश शुरु कर दी। प्रधान गीता यादव का कहना है कि जमीन की कोई कमी नहीं है। शहीद के परिजनों की इच्छा के अनुरुप दूसरे जगह का प्रस्ताव कर दिया जायेगा। \\कइनसेट\\क करूण क्रंदन तोड़ रहा सन्नाटा, पिता ने किये कर्मकांड बिल्थरारोड। शहीद रामप्रवेश यादव के अंतिम संस्कार के बाद रविवार को उनके घर पर सन्नाटा पसरा रहा। लोगों के आने-जाने का सिलसिला तो लगा रहा लेकिन बहुत हलचल नहीं दिखी। गांव के लोगों के अलावा कुछ नाते-रिश्तेदार पहुंचे तथा पिता लालबचन को सांत्वना दे रहे थे। शहीद को मुखाग्नि तो उनके बेटे सात वर्षीय आयुष ने दी लेकिन बाकी कर्मकांड पिता लालबचन ही कर रहे हैं। रविवार को गांव के बाहर स्थित पीपल के पेड़ में घंट बांधने के साथ ही अन्य कर्म सम्पादित कराये गये। घर में करुण-क्रंदन व गांव में गम का माहौल था।

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