ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश बलियामुआवजे को लेकर अधर में सड़क का निर्माण

मुआवजे को लेकर अधर में सड़क का निर्माण

एनएच -31 के पचरूखिया से होकर रेवती जाने वाले सड़क का पुनर्निमाण कार्य मुआवजे को लेकर अधर में लटक गया...

मुआवजे को लेकर अधर में सड़क का निर्माण
हिन्दुस्तान टीम,बलियाWed, 19 Aug 2020 03:05 AM
ऐप पर पढ़ें

एनएच -31 के पचरूखिया से होकर रेवती जाने वाले सड़क का पुनर्निमाण कार्य मुआवजे को लेकर अधर में लटक गया है। प्रभावित किसान बगैर मुआवजे अपने खेतों को काट किसी भी दशा में मिट्टी देने को तैयार नहीं है। वहीं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस कार्य में मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है। अलबत्ता विभाग ठेकेदार को चौड़ीकरण में लगने वाली मिट्टी का भुगतान जरूर करेगा।उल्लेखनीय है कि पचरूखिया से दिघार, पियरौटा, केवा होकर रेवती को जाने वाली 6.8 किमी लम्बी सड़क वर्षों से गड्ढों मे तब्दील हो चुकी है। इस पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। क्षेत्रीय विधायक सुरेन्द्र सिंह के प्रयास के बाद उक्त सड़क के पुनर्निमाण की स्वीकृति मिल गयी है। यही नही इसके लिये लिये शासन ने 12.6 करोड़ स्वीकृति भी कर दिया है। बताया जाता है कि चार मीटर चौड़ी सड़क को चौड़ीकरण कर 5.5 मीटर करना है। आरोप है कि बिना किसानों की अनुमति व मुआवजे के ही खेतों की खुदाई कर निकली मिट्टी को सड़क निर्माण में प्रयोग किया जाने लगा। इससे आक्रोशित किसानों ने बगैर मुआवजे खेतों की खुदायी करने पर रोक लगा दी। आरोप है कि इस बीच ठेकेदार के बल प्रयोग से भी बात नहीं बनी तो रेवती थाने में सरकारी कार्य में बाधा डालने की तहरीर भी दी। इस दौरान किसानों ने कार्यदायी संस्था लोकनिर्माण विभाग को खुली चुनौती देते हुए सरकार द्वारा पूर्व से अधिग्रहित भूमि का दस्तावेज सार्वजनिक करने को कहा। हालांकि विभागीय अधिकारी यह भी नहीं बता पाए कि उक्त सड़क कितनी चौड़ाई के मध्य अधिग्रहित है।इस सम्बंध में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मुआवजे का प्राक्कलन बनाकर शासन को भेजा गया था। इसकी अनुमति ऊपर से ही नहीं मिली। सड़क पुनर्निमाण में लगने वाली मिट्टी का भुगतान विभाग ठेकेदार को कर रहा है। अब ठेकेदार किसानों को दे रहा है या नहीं, विभाग को नहीं पता।किसानों की अनुमति के बिना खुदायी पर लगायी रोक रामगढ़। बगैर मुआवजे सड़क निर्माण के लिये खेतों की खुदायी किये जाने से आक्रोशित किसानों ने जिलाधिकारी से गुहार लगाकर इस पर रोक लगाने का अनुरोध किया। डीएम ने निस्तारण के लिये किसानों के आवेदन को तत्कालीन सदर तहसीलदार शिवसागर दूबे को भेजा। अधिकारी ने समाधान के लिये दोनों पक्षों को दस्तावेजों के साथ बुलाया। इसमें कार्यदायी संस्था किसानों की अधिग्रहित सम्बन्धित कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पायी। इसके बाद तहसीलदार ने किसानों की बगैर सहमति खेतों की खुदायी पर रोक लगा दी है। इसमें मुख्य रूप से सूर्यनाथ पांडे, रामसेवक पांडे, जितेन्द्र, देवनाथ, ओमप्रकाश, संदीप, लालविहारी, सुरेन्द्र आदि थे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें