अपने घर की भी सुरक्षा नहीं कर सके पुलिस के जवान
Police jawans could not even protect their home
जिला अस्पताल के इमरजेंसी में होने वाले बवाल को रोकने के लिये कुछ माह पहले पुलिस चौकी की स्थापना की गयी। यह व्यवस्था अस्पताल के डॉक्टरों व कर्मचारियों की मांग पर सुरक्षा के लिये किया गया। हालांकि सोमवार की रात दो युवकों की मौत के बाद हुई तोड़फोड़ में पुलिस खुद को भी सुरक्षित नहीं बचा सकी।
शहर से सटे रामपुर महावल गांव में करंट से झुलसे दो युवकों को लेकर लोग सदर अस्पताल पहुंचे। चिकित्सक द्वारा दोनों की मौत हो जाने की पुष्टी करने के बाद इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते तोड़फोड़ शुरु हो गयी। आपात कक्ष के दरवाजों में लगे शीशा आदि को तोड़ दिया गया। अराजक तत्वों ने इमरजेंसी के एक कमरें में संचालित पुलिस चौकी को भी नहीं बख्शा। उन्होंने पुलिस चौकी में मौजूद मेज व प्लास्टिक की कूर्सियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इमरजेंसी में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों व कर्मचारियों की सुरक्षा के लिये पुलिस चौकी खोली गयी है। अस्पताल की ओर से उन्हें एक कमरा मुहैया कराया गया ताकि चौबिस घंटे पुलिस के जवान वहां पर मौजूद रहे। उनका कहना है कि जब पुलिस अपनी ही सुरक्षा नहीं कर सकती तो बाकि लोग क्या उम्मीद कर सकते है। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि दिन में तो अस्पताल पुलिस चौकी पर तैनात कुछ जवान मौजूद रहते है, लेकिन रात होने के बाद वह गायब हो जाते है। अस्पतालकर्मियों का कहना है कि दिन से अधिक रात में ही सुरक्षा की जरुरत ज्यादे रहती है।