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गंगा में डुबकी लगाकर पितरों को किया तर्पण

आश्विन (क्वार) महीने का कृष्ण पक्ष पितरों (पुरखों) के लिए समर्पित होता है। इसको लेकर मंगलवार की सुबह शहर से लगायत गांव तक के गंगा घाटों पर लोगों...

गंगा में डुबकी लगाकर पितरों को किया तर्पण
हिन्दुस्तान टीम,बलियाWed, 22 Sep 2021 03:22 AM
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बलिया। संवाददाता

आश्विन (क्वार) महीने का कृष्ण पक्ष पितरों (पुरखों) के लिए समर्पित होता है। इसको लेकर मंगलवार की सुबह शहर से लगायत गांव तक के गंगा घाटों पर लोगों ने पतित पावनी में डुबकी लगाया और पुरखों को तिलांजलि दी। कुछ लोगों ने पितरों की तिथि पहले ही होने से श्राद्ध कर्म भी किया।

सुबह से ही शहर से सटे गंगा नदी के शिवरामपुर घाट समेत अन्य घाटों पर लोग स्नान को जुटने लगे थे। नदी में स्नान करने पर तमाम लोगों ने नदी में खड़े रहकर या किनारे पर अपने पूर्वजों को तिलांजलि दी।

जिले के इंदरपुर थम्हनपुरा निवासी आचार्य डॉ. अखिलेश उपाध्याय ने बताया कि आश्विन कृष्ण पक्ष में सूर्य रश्मियों की प्रधानता होती है। पितृगण पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। उन्हीं के लिए तर्पण व पिंडदान आदि श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार क्वार महीने के इस पक्ष में पितरों के साथआठ वसु, नवग्रह ब्राह्मण, रूद्र, अग्नि, विश्वदेव, मनुष्य पशु-पक्षी भी संतुष्ट होते हैं। यही नहीं नियम पूर्व पितृपक्ष में श्राद्ध करने से नीच ग्रह भी शुभ प्रभाव देने लगते हैं। बताया कि जो लोग पितरों का श्राद्ध कर्म नहीं करते हैं, उन्हें पितृदोष लगता है। बताया कि हमेशा श्राद्ध कर्म मध्याह्न काल में करना चाहिए क्योंकि इसी समय पृथ्वी पर पितरों का आगमन होता है।

अन्न व जल दान का है विशेष महत्व : उपाध्याय

बलिया। जिले के इंदरपुर थम्हनपुरा निवासी आचार्य डॉ. अखिलेश उपाध्याय ने बताया कि यज्ञ, पूजन-अर्चन अथवा श्राद्ध में सबसे ज्यादा अन्न व जल दान देने का विशेष महत्व शास्त्रों में वर्णित है। एक कथा के अनुसारा कर्ण अभिमान के मद में चूर होकर आजीवन स्वर्ण दान करता रहा। वीर गति को प्राप्त होने के बाद उसे स्वर्ग में स्वर्ण रजित पंलग, कमरा आदि सब मिला, लेकिन जल दान नहीं करने के चलते उसे प्यास लगने पर बैंकुठ में उसे सोना पिघला कर दिया गया। बाद में उसके पुत्र द्वारा पितृपक्ष में अन्न जल दान करने पर उसे पानी मिला। ऐसे में खासकर श्राद्ध में अन्न, जल व वस्त्र दान का विशेष महत्व बताया गया है।

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