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Hindi News उत्तर प्रदेश बलिया'चार आना पौवा पेट भरौवा' से 80 तक का सफर

'चार आना पौवा पेट भरौवा' से 80 तक का सफर

आप धनुषयज्ञ मेला घूमने आएं और गुड़ वाली जलेबी खाए बिना चले जाएं तो समझिए कि आपका मेला घूमना अधूरा रह गया। जी हां, मेला चाहें कितना भी आधुनिक हो जाय मगर आज भी इस मेले में बिकने वाली गुड़ही जलेबी की...

आप धनुषयज्ञ मेला घूमने आएं और गुड़ वाली जलेबी खाए बिना चले जाएं तो समझिए कि आपका मेला घूमना अधूरा रह गया। जी हां, मेला चाहें कितना भी आधुनिक हो जाय मगर आज भी इस मेले में बिकने वाली गुड़ही जलेबी की...
1/ 2आप धनुषयज्ञ मेला घूमने आएं और गुड़ वाली जलेबी खाए बिना चले जाएं तो समझिए कि आपका मेला घूमना अधूरा रह गया। जी हां, मेला चाहें कितना भी आधुनिक हो जाय मगर आज भी इस मेले में बिकने वाली गुड़ही जलेबी की...
आप धनुषयज्ञ मेला घूमने आएं और गुड़ वाली जलेबी खाए बिना चले जाएं तो समझिए कि आपका मेला घूमना अधूरा रह गया। जी हां, मेला चाहें कितना भी आधुनिक हो जाय मगर आज भी इस मेले में बिकने वाली गुड़ही जलेबी की...
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हिन्दुस्तान टीम,बलियाThu, 13 Dec 2018 10:30 PM
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आप धनुषयज्ञ मेला घूमने आएं और गुड़ वाली जलेबी खाए बिना चले जाएं तो समझिए कि आपका मेला घूमना अधूरा रह गया। जी हां, मेला चाहें कितना भी आधुनिक हो जाय मगर आज भी इस मेले में बिकने वाली गुड़ही जलेबी की खुशबू हर किसी के मुंह में पानी ला देती है। इस साल भी मेले में गुड़ही जलेबी की दर्जनों दुकानें सजी हैं। चीनी वाली जलेबी से अधिक ग्राहक इस जलेबी के हैं। आम से लेकर खास लोग इस लजीज व्यंजन का स्वाद लेना नहीं भूलते। मेले में अनुमान के मुताबिक रोजाना तकरीबन 50 से 60 क्विंटल जलेबी की बिक्री होती है।

आज से करीब 40 वर्ष पहले यही जलेबी 'चार आना पौवा, पेट भरौआ' कह कर इसी मेले में बेची जाती थी। आज यही जलेबी 80 रुपये किलो तक बिक रही है। मेले के पूर्वी व उत्तरी किनारे पर गुड़ही जलेबी की दर्जनों दुकानें सजी हुई हैं। गांव से आने वाले लोग इसे बड़े ही चाव से खरीदते व खाते हैं। कुछ लोग सुदिष्ट बाबा के प्रसाद के रूप में इसे अपने घर भी ले जाना नहीं भूलते। सहतवार से अपनी दुकान लेकर यहां पहुंचे रामजन्म साह बताते हैं कि यहां चीनी वाली जलेबी से ज्यादा गुड़ वाली जलेबी की डिमांड अधिक होती है।

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