निरक्षर ही नहीं साक्षर भी करते हैं मुकदमाबाजी
Illiterate not only literate but also litigation
लोग छोटे-मोटे मामलों का आपसी सुलह-समझौता से करने की बजाय कोर्ट में लेकर पहुंचते हैं। यही कारण है कि न्यायालयों में मुकदमों का बढ़ता जा रहा है। मुकदमाबाजी में सिर्फ निरक्षर ही नहीं बल्कि साक्षर यानि पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हैं।
उक्त बातें सोमवार को स्थानीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर को सम्बोधित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव पूनम कर्णवाल ने कही। कहा कि जिस कोर्ट में पांच सौ केस होने चाहिए, उसमें 15 हजार से 20 हजार मुकदमें लम्बित हैं। मुकदमों का निस्तारण आपसी सुलह-समझौता के आधार पर हो, इसके लिये लोक अदालत का गठन किया गया है। इसके लिये मीडिएशन, कलसीडेशन व अरबिडेशन सेंटर बनाये गये हैं। कहा कि बहुतेरे लोगों को यह भी पता नहीं है कि किस मामले के लिये कहां पर आवेदन है। उन्हें जागरुक करने के लिये पैरालीगल वालिंटियर की तैनाती की जा रही है, ताकि अनजान व्यक्तियों को नि:शुल्क सही जानकारी मिल सके।
एसडीएम बैरिया लालबाबू दूबे ने कहा कि आपसी सुलह-समझौता से मुकदमों का निस्तारण बेहतरीन उपाय है। इससे आपसी द्वेष दूर होता है तथा लोगों में सामन्जस्य बना रहता है। तहसीलदार गुलाब चंद्रा ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी इस मौके पर बीएसए संतोष कुमार राय, बीईओ हेमंत मिश्र, ओपी सिंह आदि थे।