ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश बलियाचेतावनी बिन्दु से सिर्फ 15 सेमी दूर गंगा, जलस्तर बढ़ने से ठप पड़े बचाव कार्य

चेतावनी बिन्दु से सिर्फ 15 सेमी दूर गंगा, जलस्तर बढ़ने से ठप पड़े बचाव कार्य

चेतावनी बिन्दु के करीब पहुंच चुकी गंगा की लहरें धीरे-धीरे उग्र रूप अख्तियार करती जा रही है। नदी का वेग देख तटवर्ती लोगों की धुकधुकी बढ़ने लगी है। उधर नदी के जलस्तर ऊपर उठने के बाद से करोड़ों की...

चेतावनी बिन्दु से सिर्फ 15 सेमी दूर गंगा, जलस्तर बढ़ने से ठप पड़े बचाव कार्य
हिन्दुस्तान टीम,बलियाThu, 27 Aug 2020 03:12 AM
ऐप पर पढ़ें

चेतावनी बिन्दु के करीब पहुंच चुकी गंगा की लहरें धीरे-धीरे उग्र रूप अख्तियार करती जा रही है। नदी का वेग देख तटवर्ती लोगों की धुकधुकी बढ़ने लगी है। उधर नदी के जलस्तर ऊपर उठने के बाद से करोड़ों की परियोजनाओं के तहत शुरू हुआ बचाव कार्य पूरी तरह ठप पड़ा है।

केन्द्रीय जल आयोग (गायघाट) के अनुसार बुधवार की शाम तीन बजे नदी का जलस्तर 56.46 मीटर रिकार्ड किया गया। यहां चेतावनी बिन्दु 56.61 मीटर व खतरा बिन्दु 57.615 मीटर है। नदी यहां चेतावनी बिन्दु से महज 15 सेमी दूर है, जबकि जलस्तर में एक सेमी प्रति घंटे की वृद्धि हो रही है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार गुरुवार शाम तक इसके चेतावनी बिन्दु पार होने की सम्भावना है।

चेतावनी बिन्दु के करीब पहुंच चुकी नदी की लहरें अब कटार का रूप पकड़ रही हैं। किनारे वाले भागों में कटान तेज हो गयी है। इसके बाद भी प्रभावित किसी भी क्षेत्र में बचाव कार्य होता नहीं दिख रहा है। इससे कटान प्रभावित क्षेत्र के लोगों मे मायूसी के साथ बेचैनी भी है। लोगों की मानें तो बाद खण्ड के अधिकारी कटान को लेकर पहले कभी भी इतने उदासीन नहीं हुए थ। आलम तब है जबकि शासन ने बचाव के लिये अपनी झोली खोलते हुए विभाग द्वारा तैयारी करीब-करीब सभी परियोजनाओं को अपनी मंजूरी दे दी है। फिलहाल नदी की लहरें मौजा केहरपुर, गोपालपुर, रिकिनिछपरा आदि के साथ ही केहरपुर व चौबेछपरा अवशेष तथा गंगापार के नौरंगा में कहर बरपा रही है।

गंगा के निशाने पर है सुघरछपरा गांव

रामगढ़। बीते वर्षों के बीच दर्जनों गांवों के अस्तित्व मिटा चुकी गंगा के निशाने पर इस बार एक नया गांव सुघरछपरा है। ग्रामीणों की मानें तो नदी के बढ़ाव पर होने से पूर्व गांव की दूरी नदी से करीब 100 मीटर था। जबकि वर्तमान समय में यह दूरी महज 50 से 60 मीटर ही रह गया है। बताया जाता है कि यहां के बचाव के लिये भी बाढ़ खण्ड ने परियोजना बनाकर शासन को प्रेषित किया था लेकिन स्वीकृति नहीं मिल पायी है। कयास लगाया जा रहा है कि नदी इस वर्ष अपने उग्र रूप में आयी तो वर्षों पहले इस गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

चौबेछपरा के पास नदी में समाये पक्र्यूपाइन

रामगढ़। चौबेछपरा अवशेष के पास विभाग ने कटान को रोकने के लिये परियोजना से इतर पक्र्यूपाइन विधि से कार्य किया था। शुरुआती दिनों में ही इसके नदी मे समाने के कयास लगाए गये थे। कारण क़ि सारे परक्यूपाइन किनारों को बगैर स्लोपिंग किये व निचले किनारों के बजाय ऊपरी हिस्सों पर बगैर अधार ही खड़े कर दिये गये थे। ग्रामीणों का आरोप था क़ि उक्त कार्य विभाग बचाव के नाम धन का बंदरबाट करने को करा रहा है। शंका सही साबित हुई और नदी के हल्के झोखे में ही बचाव को लगाए गये पक्र्यूपाइन नदी में समाहित हो गए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें